
म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने दक्षिण-पूर्व एशिया को हिला कर रख दिया। इस आपदा में अब तक 144 लोगों की मौत हो चुकी है और 732 से अधिक लोग घायल हुए हैं। भूकंप का केंद्र सागाइंग शहर से 16 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में, मांडले के पास स्थित था।
भूकंप का प्रभाव और नुकसान
भूकंप के कारण म्यांमार की राजधानी नेपीडॉ और मांडले में सड़कों में दरारें आ गईं और कई इमारतें धराशायी हो गईं। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी झटके महसूस किए गए, जहां एक निर्माणाधीन गगनचुंबी इमारत गिरने से दर्जनों श्रमिक फंस गए। थाईलैंड में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और सहायता
म्यांमार की सत्तारूढ़ जुंटा ने अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता के लिए अनुरोध किया है और छह क्षेत्रों में आपातकाल की स्थिति घोषित की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप के बाद की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।
भूकंप का वैज्ञानिक कारण
म्यांमार दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक है। यहां की टेक्टोनिक सेटिंग, तेजी से हो रहे शहरीकरण और ऐतिहासिक भूकंपीय घटनाओं के कारण यह क्षेत्र भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
नागरिकों की स्थिति
भूकंप के बाद लोग अपने प्रियजनों की तलाश में सड़कों पर हैं। बचाव दल मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। अस्पतालों में घायलों की संख्या बढ़ने से चिकित्सा सुविधाओं पर दबाव बढ़ गया है।
यह भूकंप 2015 में आए विनाशकारी भूकंप की यादें ताजा कर देता है, जब नेपाल में भारी तबाही हुई थी। वर्तमान में, म्यांमार और पड़ोसी देशों में राहत और बचाव कार्य जारी हैं, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता की अपील की जा रही है।