
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संभल स्थित शाही जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई और मरम्मत के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मस्जिद प्रबंधन समिति ने रमजान से पूर्व मस्जिद की सफेदी और मरम्मत की अनुमति के लिए याचिका दायर की थी। इस पर न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को मस्जिद का निरीक्षण कर यह निर्धारित करने का निर्देश दिया कि क्या सफेदी और मरम्मत की आवश्यकता है।
ASI की तीन सदस्यीय टीम ने मस्जिद का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट में बताया कि सफेदी की आवश्यकता नहीं है, केवल साफ-सफाई पर्याप्त होगी। न्यायालय ने ASI की इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मस्जिद में केवल साफ-सफाई की अनुमति दी है, जबकि सफेदी और मरम्मत कार्यों पर रोक लगा दी है।
इससे पूर्व, मस्जिद प्रबंधन समिति ने रमजान के मद्देनजर मस्जिद की रंगाई-पुताई और मरम्मत की अनुमति मांगी थी। न्यायालय ने ASI को निर्देश दिया था कि वह मस्जिद का निरीक्षण कर यह निर्धारित करे कि क्या सफेदी और मरम्मत की आवश्यकता है। ASI की टीम ने निरीक्षण के दौरान मस्जिद के अंदर और बाहर का गहन निरीक्षण किया और पाया कि सफेदी की आवश्यकता नहीं है। इस रिपोर्ट के आधार पर, न्यायालय ने मस्जिद में केवल साफ-सफाई की अनुमति दी है।
यह निर्णय मस्जिद की ऐतिहासिक और संरचनात्मक महत्व को संरक्षित रखने के उद्देश्य से लिया गया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि मस्जिद में किसी भी प्रकार का संरचनात्मक परिवर्तन या मरम्मत कार्य बिना उचित अनुमति के नहीं किया जा सकता। इससे मस्जिद की मूल संरचना और ऐतिहासिक महत्व सुरक्षित रहेंगे।