(रिपोर्ट: विशेष संवाददाता, बरहरवा)

बरहरवा: सुख के समय भगवान को भूलना नहीं चाहिए, बल्कि हर परिस्थिति में उनकी भक्ति करनी चाहिए। यह विचार साध्वी प्रियंका शास्त्री ने मयूरकोला समिति द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा सह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन गुरुवार को व्यक्त किए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु, विशेष रूप से महिला और पुरुष उपस्थित थे।
साध्वी ने प्रवचन में कहा कि “दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोई” यह उक्ति सत्य है, क्योंकि लोग केवल संकट के समय ही भगवान को याद करते हैं। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ही हमारे तारणहार हैं और उनकी स्तुति हर समय करनी चाहिए।
श्रीकृष्ण और अर्जुन का संवाद
गीता का उल्लेख करते हुए साध्वी प्रियंका ने कहा कि अर्जुन ने श्रीकृष्ण को गुरु के रूप में स्वीकार किया था और वे हर समय पांडवों को उपदेश देते थे। लेकिन युधिष्ठिर को यह उपदेश समझ नहीं आ रहा था। यह जानकर श्रीकृष्ण ने पांडवों को भीष्म पितामह के पास भेजने का निर्णय लिया।
भीष्म पितामह उस समय बाणों की शय्या पर थे। जब श्रीकृष्ण ने उनसे पांडवों को उपदेश देने का अनुरोध किया, तो भीष्म ने कहा, “खूब धन कमाओ, पर कमाए गए धन का दसवां भाग दान करो। दान से धन पवित्र होता है और भजन से मन। कभी भी अन्याय होते हुए न देखें, और यदि सामर्थ्य हो तो उसका प्रतिवाद करें।”
द्रौपदी की हँसी और भीष्म का आत्मचिंतन
भीष्म के उपदेशों के दौरान द्रौपदी अचानक हँस पड़ी, जिसे देखकर भीष्म ने कहा कि “कुलवती स्त्रियाँ ऐसे नहीं हँसतीं, अवश्य ही इसका कोई विशेष कारण होगा।” इस पर द्रौपदी ने कहा कि “उपदेश देना सरल है, पर उसका पालन कठिन।” उन्होंने भीष्म को महाभारत के उस प्रसंग की याद दिलाई जब कौरव सभा में द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था और किसी ने भी उसे नहीं रोका। इस पर भीष्म ने स्वीकार किया कि उन्होंने पाप देखा था और अब वे इस गलती का प्रायश्चित कर रहे हैं।
द्रौपदी का आशीर्वाद और प्रतिज्ञा की हार
महाभारत युद्ध के दौरान भीष्म पितामह ने कौरवों से प्रतिज्ञा की थी कि अगले दिन वे किसी एक पांडव को अवश्य मारेंगे। यह जानकर श्रीकृष्ण ने एक योजना बनाई और द्रौपदी को रात में भीष्म पितामह के विश्राम कक्ष में भेजा। द्रौपदी ने चुपचाप उनके चरण स्पर्श किए, और भीष्म ने स्वाभाविक रूप से उसे “अखंड सौभाग्यवती” का आशीर्वाद दे दिया। इस प्रकार, उनकी प्रतिज्ञा आशीर्वाद के आगे हार गई और पांडव बच गए।
श्रीकृष्ण की अंतिम सेवा
जब पांडव कथा समाप्त होने के बाद लौट रहे थे, तब श्रीकृष्ण भीष्म पितामह के पास रुक गए। जब पांडवों ने इसका कारण पूछा, तो श्रीकृष्ण ने कहा कि “मैंने वचन दिया है कि उनके जीवन के अंतिम क्षणों में मैं उनके पास रहूँगा।”
धार्मिक झांकी और भजन संध्या
कथा के दौरान भगवान शिव की मनमोहक झांकी प्रस्तुत की गई, जिसे देखकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। संगीतमय भजन संध्या में उपस्थित भक्तगण झूम उठे और संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया।
भागवत कथा को सफल बनाने में समिति की भूमिका
मयूरकोला समिति के सदस्य संजय यादव, सोनू तिवारी, काशी साहा, कलेश्वर साहा, दीपक साहा सहित अन्य सभी सदस्यों ने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से यह धार्मिक आयोजन भव्य रूप से संपन्न हो रहा है।