
प्रयागराज, 27 जनवरी 2025: महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की भावनाओं और तकनीकी विकास का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। हर दिन 8,000 से अधिक लोग डिजिटल माध्यम से महाकुंभ का आनंद ले रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने इसे और खास बना दिया है, जहां भक्त अब ‘नारायण’ से सीधी संवाद कर पा रहे हैं।
महाकुंभ के इस डिजिटल अवतार ने इसे देश-विदेश में लोगों के लिए और भी आकर्षक बना दिया है। खासकर वे लोग जो प्रयागराज आने में असमर्थ हैं, वे घर बैठे कुम्भ के धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभवों में सहभागी बन रहे हैं।
डिजिटल कुंभ की शुरुआत
इस वर्ष पहली बार महाकुंभ में डिजिटल प्लेटफॉर्म का इतने बड़े स्तर पर उपयोग किया गया है। वेबसाइट, मोबाइल ऐप्स, और वर्चुअल रियलिटी उपकरणों के जरिए भक्त संगम स्नान, गंगा आरती, और महाकुंभ की परंपराओं का वर्चुअल अनुभव कर रहे हैं। भक्तों को 360-डिग्री वर्चुअल रियलिटी के जरिए संगम, स्नान घाट, और साधु-संतों के दिव्य दर्शन की सुविधा मिल रही है।
AI के जरिए ‘नारायण’ से बातचीत का अनुभव
सबसे खास पहल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग है, जिसके जरिए श्रद्धालु ‘नारायण’ से संवाद कर सकते हैं। AI-सक्षम चैटबॉट को धार्मिक ग्रंथों और ज्ञान से समृद्ध किया गया है। भक्त अपनी शंकाओं का समाधान पूछ सकते हैं, धार्मिक सलाह ले सकते हैं, और शास्त्रों से जुड़ी जिज्ञासाओं को शांत कर सकते हैं।
AI का यह अनोखा उपयोग न केवल श्रद्धालुओं को धार्मिक शिक्षा प्रदान कर रहा है, बल्कि यह युवाओं को भारतीय परंपराओं और ग्रंथों के करीब भी ला रहा है।
हर दिन बढ़ रही सहभागिता
दैनिक आधार पर 8,000 से अधिक श्रद्धालु डिजिटल महाकुंभ में भाग ले रहे हैं। आयोजकों के मुताबिक, इस संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। देश के विभिन्न हिस्सों के अलावा विदेशों में बसे भारतीय समुदाय के लोग भी इस पहल से उत्साहित हैं।
प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध लाइव स्ट्रीमिंग सुविधाओं से लोग घर बैठे गंगा आरती, पंडाल में प्रवचन, और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले पा रहे हैं। इसके अलावा, कई साधु-संतों ने अपने प्रवचन डिजिटल माध्यम पर उपलब्ध कराए हैं।
तकनीकी सुविधाएं
डिजिटल महाकुंभ को संचालित करने के लिए उच्चस्तरीय तकनीकी सेवाओं का उपयोग किया गया है। प्लेटफॉर्म्स पर लाइव चैट, अनुकूल भाषा विकल्प, और वर्चुअल डोनेशन सुविधाएं शामिल हैं। इसके अलावा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित सुझाव श्रद्धालुओं को उनके हितों के अनुसार सेवाएं उपलब्ध करा रहा है।
विशेष रूप से वर्चुअल रियलिटी अनुभव के लिए ऐप्स को इस तरह डिजाइन किया गया है, जिससे श्रद्धालु खुद को कुंभ मेले के केंद्र में महसूस कर सकें।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
डिजिटल कुंभ ने लोगों को प्रभावित किया है। दिल्ली से जुड़े श्रद्धालु नीता अग्रवाल ने कहा, “डिजिटल महाकुंभ का अनुभव अद्भुत है। ऐसा लगा जैसे हम संगम के पास ही खड़े हैं। नारायण से संवाद ने मेरी शंकाओं का समाधान किया।”
इसी प्रकार, अमेरिका में रहने वाले अरविंद त्रिवेदी ने डिजिटल आरती का आनंद लेते हुए कहा, “महाकुंभ की यह पहल हमारे जैसे विदेश में रहने वाले लोगों के लिए आशीर्वाद की तरह है।”
सरकार और आयोजकों का प्रयास
महाकुंभ 2025 को तकनीकी दृष्टिकोण से सशक्त बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने विशेष बजट आवंटित किया। प्रयागराज में इसके लिए समर्पित टीम कार्यरत है।
डिजिटल महाकुंभ की सफलता को देखते हुए सरकार ने इसे भविष्य की योजना में शामिल करने का इशारा भी किया है।
परंपरा और तकनीक का मेल
महाकुंभ 2025 ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय परंपरा और तकनीक का समन्वय न केवल संभव है, बल्कि यह लोगों को भक्ति और सांस्कृतिक परंपराओं से जोड़ने का सशक्त माध्यम भी बन सकता है। डिजिटल महाकुंभ न केवल श्रद्धालुओं के लिए सुविधा प्रदान कर रहा है, बल्कि विश्व में भारतीय संस्कृति की ताकत भी दिखा रहा है।