जमशेदपुर : पुनीत जीवन नामक सामाजिक संस्था के द्वारा बागबेडा स्थित डॉ अनुग्रह नारायण सिंह शिक्षण एवं सेवा संस्थान के सभागार में रक्तदाता सम्मान समारोह आयोजित की गई। जिसमें बतौर अतिथि भीबीडीए के सुनील मुखर्जी , डॉ अनुग्रह नारायण संस्था के सीएस पी सिंहा , पुनीत संस्था की संस्थापिका मंजू कुमारी , जमशेदपुर बल्ड बैंक के जीएम संजय चौधरी समेत अन्य उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान सर्व प्रथम वैसे दिवंगत रक्तदाताओं को श्रद्धांजलि दी गई जो अब इस दुनिया में नहीं है। बाद में रक्तदान में कीर्तिमान स्थापित करने वाले रक्तदाताओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन रवि शंकर ने किया।
निम्न हुए कार्यक्रम में सम्मानित ।
सम्मान समारोह में श्रेष्ठ रक्तदाता के रूप में क्रांति सम्मानित किए गये। वो अब तक एक सौ से अधिक बार रक्त दान कर चुके हैं। गौरतलब हो कि वो 18 वर्ष की उम्र से रक्तदान कर रहे हैं। इसके आलावे मनोरंजन गौड़ , अरजीत सरकार , रवि शंकर , राजीव सिंह , मनीष , सार्थक , अमन घोष , आनंद प्रसाद , एसडीपी दाता के रूप में कीर्तिमान स्थापित करने वाले उत्तम गोराई , धीरज कुमार , डॉ बीके सिंह , डॉ शिवानी शर्मा के आलावे मुखिया राज कुमार गौड़ , पंचायत समिति सदस्य सुनील गुप्ता समेत अनेकों रक्तदाताओं को अंग वस्त्र , प्रतीक चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि रक्तदान को निरंतर जारी रखने के लिए तथा भविष्य में किसी को रक्त की कमी महसूस न हो इसके लिए तीसरी पीढ़ी को तैयार करना समय की मांग है , ताकि रक्तदान का सिलसिला कभी रूके नहीं। जानकारी में बताया गया कि प्रत्येक वर्ष देश में औसतन 15 लाख यूनिट रक्त की जरूरत होती है परंतु 11 लाख ही उपलब्ध हो पाता है। ऐसे में शेष लोग रक्त के अभाव में जान गवां बैठते हैं। इस लिए रक्तदान को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है।
कार्यक्रम को सुनील मुखर्जी , संजय चौधरी , सीएसपी सिंहा , क्रांति , अरजीत सरकार , रवि शंकर समेत अन्य ने संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने शहर के रक्तदाताओं की तारीफ की। रक्तदान के महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही रक्तदान को लेकर भ्रांतियों से सचेत किया।
संबोधन के दौरान भावुक हुई संस्थापिका मंजू कुमारी , छलका आंसू
पुनीत जीवन के रक्तदाता सम्मान समारोह में अंतिम वक्ता के रूप में मंच संचालन कर्ता रवि शंकर ने शिक्षिका सह संस्था की संस्थापिका मंजू कुमारी को संबोधन के लिए आमंत्रित किये ।इस दौरान मंजू कुमारी सबों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विशेष परिस्थिति में पुनीत संस्था की स्थापना की गई थी। जिस परिस्थिति में संस्था की स्थापना की गई थी , उस वक्त यदि यह संस्था स्थापित नहीं होता , तो शायद मैं जीवित नहीं रहती। इतना कहते उनकी आंखें भर आईं। गला रूंध गया। वो आगे कुछ कहने में खुद को असहज महसूस कर रही थी , फिर वो माईक छोड़कर मंच से हट गई । अपने सीट पर आकर बैठ गई। उनकी आंखों से ममता के आंसू धारा प्रवाह बहने लगी। वो रूमाल से अपनी आंखें पोछ कर खुद को संभाली।
बताते चलें कि अपने इकलौते बेटे के अकास्मिक निधन के बाद उसके नाम पर संस्था का गठन कर सेवा को ही जीवन का मकसद बना ली। आज पुनीत जीवन के सम्मान समारोह में वो अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करना चाह रहीं थी लेकिन भावुक हो गईं। उनकी आंखे भर आई। उन्हे अपने जिगर के टुकड़े की याद आ गई। वो यादों में खो गई। फिर मंच पर कुछ कहने की हिम्मत तो जुटाई। पर कह न सकी ।
आखिर वो मां जो ठहरी ! अपने कलेजे को टुकड़े को उसने खोया है। इस क्षण सभागार गमगीन हो उठा। हर शख्स की आंखें डबडबा गई। फिर रविशंकर ने स्थिति को संभाला हिम्मत बढ़ाया तथा स्थिति को सामान्य किया। सचमुच कार्यक्रम सीख और सबक दे गया।