प्रभाकर कुमार श्रीवास्तव
क्षेत्रीय संपादक
न्यूज अप्रेजल
रांची
जब से इंडिया गठबंधन का जन्म हुआ है, उनके कई नेताओं के दिल के अंदर छिपी सोच बाहर आ रही है। मानो अपनी इस गंदी सोच को वायरस की तरह बाहर निकालने की होड़ सी लग गई हो। देश के कई राज्यों में यह सोच वायरस की तरह फैलती जा रही है। जैसे ही यह वायरस तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश एवं बिहार तक फैली, इस गंदी सोच को आम जनता ने देश एवं धर्म के लिए जहर के रूप में देखना शुरू कर दिया। इंडिया गठबंधन के लगभग सारे नेताओं को यह गहन अध्ययन करने की जरूरत है कि, इस वायरस से वे सनातन धर्म को प्रभावित न कर, खुद ही प्रभावित हो रहे हैं। और एक बार पुनः नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का रास्ता साफ कर रहे हैं।
सर्वप्रथम सनातन धर्म के प्रति अपनी जहर भारी सोच को उदयनिधि स्टालिन ने बाहर निकाला और ऐसी सोच को बिहार के राजद के नेता जगदानंद सिंह ने समर्थन कर किया। जगदानंद सिंह ने कहा कि टीका लगाकर घूमने वालों ने भारत को गुलामी की जंजीर में बांध रखा था। खैर जगदानंद सिंह ने कुछ गलत नहीं किया, उन्होंने तो बस अपनी पार्टी के इतिहास को परस्पर आगे बढ़ने का काम किया है। जो शुरुआत से ही विवादों के घेरे में राजनीति करता आया है। कुछ दिन पहले ही इसी पार्टी के एक नेता चंद्रशेखर यादव ने तुलसी दास द्वारा रचित श्री रामचरितमानस पर गंदी टिप्पणी कर खुद को नायक साबित करने की कोशिश की थी ।इसी पार्टी के कर्ताधर्ता लालू प्रसाद यादव एक समय भूरा बाल को देखना भी पसंद नहीं करते थे। इन नेताओं के जहर भारी बयान के बावजूद जदयू नेता एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सनातन धर्म से संबंधित पर्व-त्योहारो पर होने वाली सरकारी छुट्टियां को बंद कर उनका समर्थन कर दिया। जब आम जनता ने इस संबंध में नीतीश कुमार की आलोचना शुरू की एवं भाजपा ने आम जनता का समर्थन किया और नीतीश कुमार के इस फैसले के विरोध में आवाज बुलंद किया। तब जाकर इंडिया गठबंधन के अगुआ नेता नीतीश कुमार ने फैसला वापस लिया। परंतु नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सुप्रीम और शायद प्रधानमंत्री बनने की चाहत में इतना व्याकुल हो गए हैं कि उनकी सूझबूझ मानो घास चरने चली गई हो। इन्हें जहर एवं अमृत के बीच का अंतर पता ही नहीं चल पा रहा है। खैर ये जानता है सब जानती है। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के सनातन विरोधी बयान को जनता अभी भूली ही नहीं थी कि इंडिया गठबंधन के कई नेताओं की धर्म विरोधी बयान एवं सोच बाहर आने लगी। जो भारत देश की एकता के लिए सही नहीं है। शायद ये नेता भूल रहे हैं कि ऐसा करके वे नरेंद्र मोदी की राह और आसान करते जा रहे हैं। खैर 2024 के परिणाम के बाद ऐसे नेताओं को स्वयं अनुभव हो जाएगा कि दूसरे धर्म के वोट पाने के चक्कर में एवं सनातन विरोधी बयान देकर इन्होंने क्या खोया है, एवं क्या पाया है। आज सनातन धर्म की मान मर्यादा एवं प्रशंसा पूरी दुनिया कर रही है। आज अगर विश्व परिपाटी पर नजर दौड़ाई जाए तो, हमें यह स्वीकार करना होगा कि यह समय सनातनियों की स्वीकृति एवं विकास का समय है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का सनातनी होने वाला कथन काफी गर्व महसूस करने वाला पल रहा। अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की दौड़ में शामिल व्यक्ति एवं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का कहना है कि वे अपने देश की समस्या का समाधान सनातन धर्म में देखते हैं। यह कोई साधारण बात नहीं है।ऐसा सुनकर तो लगता है कि सनातन विरोधियों की नींद ही उड़ गई होगी। परंतु इंडिया गठबंधन के नेता सनातन धर्म को गाली देना ही अपना धर्म समझ बैठे हैं।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन का बेटा उदय निधि स्टालिन जो सरकार में मंत्री भी है। वह सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, डेंगू एवं मलेरिया से करता है। और हद तो तब होती है ,जब कर्नाटक के कांग्रेसी मंत्री प्रियंक खड़गे उदयनिधि का खुलकर समर्थन कर देता है। प्रियंक खड़गे शायद यह भूल जाते हैं कि उनके पिता मल्लिकार्जुन खड़गे जो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, इसी सनातन धर्म के लोगों के भरोसे इंडिया गठबंधन को जीताकर सरकार बनाने का सपना देख रहे हैं।और दूसरी तरफ उसी सनातन धर्म को गाली देने वालों का समर्थन भी करते हैं। खैर भारत की जनता यह भूली नहीं है कि मल्लिकाअर्जुन खड़गे ने ही कुछ समय पहले कहा था कि अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो देश में सनातन धर्म की सरकार बन जाएगी। कांग्रेस की सर्वोपरी सोनिया गांधी को यह सोचना होगा कि सिर्फ गठबंधन का नाम इंडिया रख लेने मात्र से उनका बेटा राहुल गांधी कभी भी प्रधानमंत्री नहीं बन सकता,और ना ही नरेंद्र मोदी की बराबरी कर सकता है। और राहुल गांधी को भी सोचना होगा की मात्र भगवा कपड़े पहन लेने एवं जनेऊ धारण कर मंदिरों के चक्कर काटने मात्र से प्रधानमंत्री का सपना कभी पूरा नहीं होगा। सनातन धर्म को गाली देने वालों का साथ देकर राहुल गांधी नरेंद्र मोदी के सामने हमेशा बौने ही नजर आएंगे। राहुल गांधी को जितनी जल्द यह बात समझ आ जाएगी,उनकी राजनीतिक सफर के लिए उतना ही फलदायक सिद्ध होगा।
इंडिया गठबंधन नरेंद्र मोदी को हराने के चक्कर में मुख्य मुद्दों से भटक चुकी है ।अगर इंडिया गठबंधन बेरोजगारी,महंगाई, भ्रष्टाचार एवं आमजन से जुड़ी मुद्दों को मुद्दा बनाती,तब शायद आम जनता इनके बारे में जरूर सोचती। परंतु अफसोस की बात है कि इंडिया गठबंधन के कई नेता मुद्दा विहीन हो चुके हैं। या फिर यूं कहा जाए कि नरेंद्र मोदी जिस तरह काम कर रहे हैं,तब शायद इन्हें कोई मुद्दा नजर ही नहीं आ रहा है।परंतु चुनाव में मुद्दे का होना तो जरूरी है। तब इन्होंने आनंद फानन में सनातन पर ही प्रहार करना शुरू कर दिया। ताकि दूसरे धर्म का कुछ तो वोट मिले। इंडिया गठबंधन शायद यह भूल रहा है कि नरेंद्र मोदी के कारण ही आज भारत पांचवी अर्थव्यवस्था है। नरेंद्र मोदी के कारण ही भारतीयों को विदेश में उचित सम्मान मिल रहा है,एवं आज पूरा विश्व भारत के आगे नतमस्तक है। नरेंद्र मोदी के कारण ही इंडिया गठबंधन के नेता विदेशों में उचित सम्मान पाते हैं। नरेंद्र मोदी के कारण ही पाकिस्तान आज आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। नरेंद्र मोदी के कारण ही आज अयोध्या में श्री राम का भव्य मंदिर नजर आ रहा है। जिससे सनातनियों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। भारत के स्वतंत्र होने के बाद अब तक जितने भी प्रधानमंत्री आए, किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं हुई की जम्मू कश्मीर से धारा सिंह 370 हटा सके।परंतु नरेंद्र मोदी ने ही धारा 370 हटाकर कश्मीर को पुन: स्वर्ग बना दिया। आज नरेंद्र मोदी के कारण ही भारत देश की गरीब जनता आयुष्मान योजना पाकर खुद को स्वस्थ एवं जीवित महसूस कर रही है।आज नरेंद्र मोदी की ही राजनीतिक कूटनीति का नतीजा है कि उद्धव ठाकरे का काला सच सबके सामने आ गया। और उन्होंने साबित कर दिया कि उद्धव ठाकरे अपने ही बाल ठाकरे की सोच को जीवित रखने में असफल हो गए हैं। इंडिया गठबंधन के नेता चाहे कुछ भी कर ले नरेंद्र मोदी को हराना बहुत ही मुश्किल है,क्योंकि नरेंद्र मोदी में धर्म,सत्य एवं विकास का मिश्रण है।।