नई दिल्ली (Rns): भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, शीत लहर की मजबूत पकड़ के साथ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार की सुबह ठंड रही और न्यूनतम तापमान 7.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। आईएमडी ने हल्के कोहरे की भी भविष्यवाणी की है और अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। बुधवार को सुबह 7.30 बजे पालम में सबसे कम विजिबिलिटी 500 मीटर दर्ज की गई। हालांकि, सुबह करीब 9 बजे पालम में विजिबिलिटी सुधरकर 700 मीटर हो गई, जबकि सफदरजंग में 500 मीटर दर्ज की गई। भारतीय रेलवे के मुताबिक, कोहरे के कारण कम से कम 26 ट्रेनें घंटों की देरी से चल रही हैं। चेन्नई-नई दिल्ली दुरंतो एक्सप्रेस, अमृतसर-नांदेड़ एक्सप्रेस और अजमेर-कटरा एक्सप्रेस छह घंटे से अधिक की देरी से चल रही हैं। इस बीच, शहर भर के कई स्टेशनों पर हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, आनंद विहार क्षेत्र में पीएम2.5 का स्तर 301 पर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा और पीएम10 का स्तर 166 यानी ‘मध्यम’ पर पहुंच गया। शून्य और 50 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को ‘अच्छा’ माना जाता है, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे टी3 पर भी पीएम2.5 का स्तर 321 पर था, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी है, जबकि पीएम10 का स्तर 221 था, जो क्रमशः ‘खराब’ श्रेणी में आता है।
अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : SEBI ही करेगी मामले की जांच, SIT जांच से किया इनकार
नई दिल्ली (Rns) : हिंडनबर्ग-अडानी मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है और अडानी समूह को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी जांच से इनकार कर दिया है और सेबी को ही जांच करने को कहा है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने वाले बाजार नियामक सेबी के अधिकार क्षेत्र में दखल देने का सीमित अधिकार है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने अपना फैसला सुनाया कि सेबी (SEBI) की जांच मे सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देगा। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 2 बाकी मामलों की जांच के लिए 3 महीने का समय दिया। बता दें कि अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 नवंबर को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी की जांच उचित है। सेबी ने 24 में से 22 मामलों की जांच की है। बाकी बचे दो मामलों की जांच भी दो महीने में पूरी कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश हम दे रहे हैं। सेबी सक्षम प्राधिकरण है। कोर्ट ने कहा कि OCCPR की रिपोर्ट के आधार पर SEBI की जांच पर संदेह नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने जांच को SEBI से SIT को सौंपने से इनकार कर दिया। हिंडनबर्ग-अडानी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले की जांच सेबी ही करेगी। SIT को जचांच ट्रांसफ़र नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि सेबी इस जांच के लिए सक्षम एजेंसी है, इआसलिए हमें इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार और सेबी को भारतीय निवेशकों के हित को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर काम करने को कहा। कोर्ट ने सेबी से कहा है कि मौजूदा नियामक तंत्र को बेहतर बनाने के लिए एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव पर काम करें। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी के सदस्यों पर उठे सवालो को खारिज किया और कहा कि हितों के टकराव की याचिकाकर्त्ता की दलील बेमानी है। कोर्ट ने कहा कि बिना पुख्ता आधार के जांच सेबी से ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर SEBI की जांच पर संदेह करना या किसी निष्कर्ष पर पहुंचना सही नहीं है। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट से अडानी को बड़ी राहत मिली है।
राम मंदिर के बाद जल्द लागू होगा CAA!, लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार की तैयारी
नई दिल्ली (Rns) : केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोकसभा की तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। साथ ही सरकार के सूत्रों ने यह भी बताया कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के नियम को लोकसभा चुनाव की घोषणा से बहुत पहले अधिसूचित किया जाएगा। आपको बता दें कि इस विधेयक को दिसंबर 2019 में संसद द्वारा मंजूरी दे दी गई थी। इस विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की वकालत की गई है। वहीं, मुसलमानों को इससे अलग रखा गया है। कानून पारित होने के तुरंत बाद देश भर में इसके खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इस कानून के अधिनियमों को कभी भी अधिसूचित नहीं किया गया है। सरकार ने नियम बनाने के लिए बार-बार विस्तार की मांग की है। सूत्रों ने बताया है कि नियम अब तैयार हैं। ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार है। सूत्रों ने यह भी बताया कि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और आवेदक अपने मोबाइल फोन से भी आवेदन कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा, “हम आने वाले दिनों में सीएए के लिए नियम जारी करने जा रहे हैं। एक बार नियम जारी होने के बाद कानून लागू किया जा सकता है और पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।” पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल में भाजपा की सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भाजपा सीएए के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “दीदी (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी) अक्सर सीएए के बारे में हमारे शरणार्थी भाइयों को गुमराह करती हैं। मैं स्पष्ट कर दूं कि सीएए देश का कानून है और इसे कोई नहीं रोक सकता। सबको नागरिकता मिलने वाली है। यह हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है।” मोदी सरकार द्वारा लाए गए सबसे ध्रुवीकरण वाले कानूनों में से एक के कार्यान्वयन में देरी के लिए सरकार द्वारा कई कारण जिम्मेदार ठहराए गए हैं। इसका एक प्रमुख कारण असम और त्रिपुरा समेत कई राज्यों में सीएए को लेकर हो रहा जोरदार विरोध है। असम में विरोध प्रदर्शन इस आशंका से भड़के थे कि यह कानून राज्य की जनसांख्यिकी को स्थायी रूप से बदल देगा। विरोध प्रदर्शन केवल उत्तर-पूर्व तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी फैल गया। सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हैं।
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