बुनियाडीह गांव के नव प्राथमिक विद्यालय में बड़ी लापरवाही, बच्चे सिर्फ दाल-भात खाने को मजबूर
✍️ संवाददाता: प्रेम कुमार साहू,
घाघरा प्रखंड क्षेत्र के बुनियाडीह गांव स्थित नव प्राथमिक विद्यालय से मिड-डे मील योजना की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। विद्यालय में बच्चों को मिलने वाले मध्यान्ह भोजन से सब्जी पूरी तरह गायब है। बुधवार को की गई पत्रकारों की पड़ताल में यह आरोप सच साबित हुआ। जांच के दौरान बच्चों की थालियों में केवल दाल और भात परोसा गया, जबकि सब्जी कहीं दिखाई नहीं दी।
ग्रामीण अभिभावकों ने बताया कि पोषण देने के नाम पर चल रही यह योजना अब महज औपचारिकता बनकर रह गई है। बच्चों को सब्जी कभी-कभी ही मिलती है, जबकि अधिकांश दिनों में उन्हें सिर्फ दाल-भात परोसा जाता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य और शारीरिक विकास पर गंभीर असर पड़ने का खतरा बढ़ गया है।
बच्चों का दर्द – “कभी-कभी ही सब्जी बनती है”
स्कूल के मासूम बच्चों से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बेबाकी से कहा कि सब्जी हफ्ते में शायद एक-दो बार ही बनती है, अन्यथा ज्यादातर दिन केवल दाल-भात ही मिलता है। बच्चों की यह बात साफ तौर पर दर्शाती है कि पोषणयुक्त भोजन देने का सरकारी दावा जमीन पर कहीं नजर नहीं आता।
रसोइया की सफाई – “जो मिलता है वही पकाते हैं”
जब विद्यालय की रसोइया से सवाल किया गया तो उन्होंने अपनी मजबूरी बताई। उनका कहना था कि एक सप्ताह से सब्जी का सामान ही नहीं आया है। प्रधानाध्यापक जो सामग्री मुहैया कराते हैं, वही पकाना पड़ता है। यदि सब्जी नहीं आती तो उसे बनाने का सवाल ही नहीं उठता।
प्रधानाध्यापक की दलील – “पैसे की कमी”
विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने भी इस लापरवाही को स्वीकार करते हुए कहा कि जब राशि मिलती है तो सब्जी खरीदी जाती है, लेकिन कई बार फंड की कमी हो जाती है। ऐसे में बच्चों को केवल दाल और भात ही परोसा जाता है। उनका यह बयान साफ करता है कि स्कूल प्रबंधन मिड-डे मील योजना की राशि के सही उपयोग और पोषण मानक के पालन को लेकर गंभीर नहीं है।
पोषण पर संकट
विशेषज्ञों के अनुसार, संतुलित भोजन में दाल और भात के साथ सब्जी का होना बेहद जरूरी है, क्योंकि सब्जियां विटामिन और मिनरल्स का प्रमुख स्रोत हैं। इनके अभाव में बच्चों में कुपोषण और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। मिड-डे मील योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पोषण देना और उन्हें विद्यालय से जोड़कर रखना था, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह मकसद अधूरा साबित हो रहा है।
जवाबदेही तय करने की मांग
गांव के लोगों और अभिभावकों का कहना है कि यदि फंड की कमी है तो इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई जानी चाहिए थी। बच्चों के पोषण से समझौता करना किसी भी सूरत में बर्दाश्त योग्य नहीं है। ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है।
जिला शिक्षा अधीक्षक का बयान
इस संबंध में जिला शिक्षा अधीक्षक नूर आलम खान ने कहा कि मामला अत्यंत गंभीर है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इसकी तुरंत जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।