रांची। छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर ननों और आदिवासी युवकों-युवतियों को धर्म परिवर्तन के झूठे आरोप में जेल भेजे जाने के विरोध में रविवार को रांची में ईसाई समुदाय ने मौन जुलूस निकाला। यह जुलूस ऑल चर्चेज कमेटी के बैनर तले आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में ईसाई समुदाय के लोग शामिल हुए और एकजुटता का परिचय दिया।
मौन जुलूस की शुरुआत दोपहर करीब 1 बजे जीईएल चर्च परिसर से प्रार्थना के साथ हुई। इसके बाद जुलूस मेन रोड और अल्बर्ट एक्का चौक से होता हुआ राजभवन के बाहर पहुंचा। प्रतिभागियों ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए हुए थे तथा सरकार और प्रशासन के खिलाफ विरोध दर्ज कराया।
राजभवन के बाहर यह जुलूस सभा में तब्दील हो गया। सभा को संबोधित करते हुए आर्चबिशप विंसेंट आईंद ने कहा कि भारत विविधता का देश है, लेकिन कुछ राज्यों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कुचला जा रहा है। आज का मौन जुलूस मानवाधिकार और न्याय की रक्षा के लिए है।
जीईएल चर्च के मॉडरेटर मार्शल केरकेट्टा ने इस घटना को धार्मिक स्वतंत्रता और मानवता के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान देने के बावजूद ईसाई समुदाय को तिरस्कार झेलना पड़ता है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सीएनआई चर्च के बिशप बीबी बास्के ने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई गईं तो पूरा कलीसिया एकजुट होकर बड़ा आंदोलन करेगा। वहीं एनडब्ल्यूजीईएल चर्च के बिशप निस्तार कुजूर ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार है, जिसे कुचलने की कोशिश अस्वीकार्य है।
सभा में ऑल चर्चेज कमेटी के सचिव जोलजस कुजूर, सभापति कुलदीप तिर्की और समन्वयक सुनील खलखो समेत अन्य वक्ताओं ने कहा कि निर्दोषों को न्याय मिलना चाहिए और संविधान विरोधी घटनाओं पर रोक लगाई जानी चाहिए।