
मशहूर कथा वाचक और बागेश्वर धाम सरकार के मुखिया पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने हाल ही में अपने एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘हिंदू ग्राम’ की घोषणा की है। यह विशेष ग्राम भारत में एक ऐसा धार्मिक और सांस्कृतिक मॉडल बनने जा रहा है, जिसमें सिर्फ सनातन धर्म को मानने वाले लोग निवास कर सकेंगे। इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि इसमें रजिस्ट्री नहीं होगी, बल्कि सिर्फ एग्रीमेंट के आधार पर फ्लैट आबंटित किए जाएंगे
पं. शास्त्री का कहना है कि यह ग्राम न केवल एक आवासीय क्षेत्र होगा, बल्कि यह सनातनी संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली को सहेजने वाला एक आदर्श ग्राम होगा। इसमें आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी पूरी तरह से शामिल किया जाएगा।
हर फ्लोर पर 333 फ्लैट
‘हिंदू ग्राम’ में हर फ्लोर पर 333 फ्लैट बनाए जाएंगे। यह संख्या प्रतीकात्मक रूप से चुनी गई है, क्योंकि ‘3’ संख्या सनातन परंपरा में विशेष महत्व रखती है – त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश), त्रिगुण (सत्व, रज, तम) और त्रिकाल (भूत, भविष्य, वर्तमान)। इस तरह की संख्याएं आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष मानी जाती हैं।
रजिस्ट्री नहीं, सिर्फ एग्रीमेंट
इस ग्राम की सबसे अनूठी व्यवस्था यह है कि यहां संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं करवाई जाएगी। इसके स्थान पर निवासियों के साथ एक विशेष प्रकार का एग्रीमेंट किया जाएगा, जिसके माध्यम से उन्हें फ्लैट का अधिकार मिलेगा। पं. शास्त्री ने बताया कि यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि ग्राम की धार्मिक और सांस्कृतिक पवित्रता को बनाए रखा जा सके। साथ ही, इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि यहां केवल वे ही लोग रहें जो वास्तव में सनातन धर्म के अनुयायी हैं और इस जीवनशैली को अपनाना चाहते हैं।
पहली बुकिंग अमेरिका से
इस प्रोजेक्ट की खास बात यह भी है कि इसकी पहली बुकिंग अमेरिका से हुई है। पं. शास्त्री ने कहा कि यह दर्शाता है कि दुनियाभर में बसे हिंदू अपने मूल संस्कृति और धर्म से जुड़े रहना चाहते हैं और ऐसे स्थानों की तलाश में रहते हैं जहां वे अपने जीवन को धार्मिक मूल्यों के अनुसार जी सकें।
इस ग्राम के लिए आवेदन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखा रहे हैं। पं. शास्त्री के अनुयायियों के अनुसार, यह प्रोजेक्ट सिर्फ एक रियल एस्टेट डेवेलपमेंट नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक आंदोलन है।
क्या होगा ‘हिंदू ग्राम’ में?
‘हिंदू ग्राम’ में गौशाला, वेद पाठशाला, यज्ञशाला, मंदिर, संस्कृत विद्यालय, आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र और संत निवास जैसी व्यवस्थाएं भी होंगी। यहां की जीवनशैली पूरी तरह से सनातन धर्म पर आधारित होगी – यानी भोजन, आचार-विचार, वस्त्र, और दिनचर्या सभी कुछ वैदिक परंपरा के अनुसार होगा।
सामाजिक चर्चा और विवाद
हालांकि इस पहल को कुछ लोग सराहनीय मान रहे हैं, वहीं कुछ वर्गों में यह चिंता भी जताई जा रही है कि यह भेदभाव और अलगाव को बढ़ावा दे सकती है। संविधान के अनुसार भारत में किसी भी नागरिक को धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता, ऐसे में इस ग्राम की कानूनी वैधता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
पं. धीरेंद्र शास्त्री का ‘हिंदू ग्राम’ एक अनोखी पहल है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को केंद्र में रखकर आधुनिक जीवनशैली के साथ संतुलन साधने का प्रयास है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मॉडल आने वाले वर्षों में कितना सफल होता है और समाज में किस तरह की प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है।