लातेहार, 20 फरवरी 2025
जलछालन मिशन के तहत आज लातेहार जिले के समाहरणालय परिसर से उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता ने वाटरशेड अवेयरनेस रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए यह एक अनोखी पहल है, जिससे जिले को राज्य स्तर पर विशेष पहचान मिली है। लातेहार जिला इस अभियान में अग्रणी जिलों में से एक है और इसे नेशनल लेवल पर भी Watershed Plus के रूप में पहचान मिली है।
जलछाजन मिशन और उसकी महत्ता
उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता ने बताया कि जलछाजन मिशन का मुख्य उद्देश्य जल, जंगल और मृदा का संरक्षण करना है। इस पहल से प्राकृतिक संसाधनों को बचाने और उनके सतत विकास को सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि लातेहार जिला के कई किसान जल प्रबंधन और कृषि सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं, जिन्हें प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। भविष्य में इन किसानों को और अधिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ताकि वे इस मिशन का अधिकतम लाभ उठा सकें।
वाटरशेड अवेयरनेस रथ का सफर
वाटरशेड अवेयरनेस रथ लातेहार जिले के सात पंचायतों – पांडेपुरा, डेमू, मोंगर, शीशी, भूसूर, पेशरार और जालिम खुर्द के विभिन्न गांवों का भ्रमण करेगा। इस दौरान यह रथ ग्रामीण जनता को जल, जंगल और जमीन के संरक्षण की विभिन्न विधियों के बारे में जागरूक करेगा।
अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण, वृक्षारोपण, भूमि सुधार, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल संचयन के उपाय, खेती में जल प्रबंधन और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा, इस अभियान के अंतर्गत किसानों को नए कृषि तकनीकों से अवगत कराया जाएगा, जिससे वे अपनी खेती को अधिक लाभदायक बना सकें।
योजना का क्रियान्वयन
इस Watershed PMKSY-2 योजना का क्रियान्वयन लातेहार जिले में भूमि संरक्षण पदाधिकारी के नेतृत्व में किया जा रहा है। इस योजना के तहत जल संचयन, भूमि संरक्षण और जल उपयोगिता को बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जाएगा।
समारोह में प्रमुख लोगों की उपस्थिति
इस मौके पर लातेहार के अपर समाहर्ता रामा रविदास, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. चंदन, जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी विवेक मिश्रा, अवर निबंधक लातेहार बिपिन साहु, लातेहार विधायक प्रतिनिधि अनिल सिंह, मनिका विधायक प्रतिनिधि श्री हरिशंकर यादव सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
जलछाजन मिशन से संभावित लाभ
- जल संरक्षण: जल संचयन के माध्यम से भूजल स्तर को बढ़ाया जाएगा और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत मिलेगी।
- मृदा संरक्षण: मिट्टी के कटाव को रोकने और भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए उचित तकनीकों को अपनाया जाएगा।
- वृक्षारोपण को बढ़ावा: जंगलों के संरक्षण के लिए ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा और वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- कृषि सुधार: जल संसाधनों के सही उपयोग से किसानों की उपज और आय में वृद्धि होगी।
- सामुदायिक भागीदारी: ग्रामीण समुदाय की सक्रिय भागीदारी से इस योजना को प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा।