प्रयागराज (11 जनवरी): महाकुंभ में एक ओर धर्म और राजनीति के बीच बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद आज़ाद सिंह द्वारा अविमुक्तेश्वरानंद महाराज पर की गई टिप्पणियों को लेकर संत समाज में नाराजगी फैल गई है। सांसद आज़ाद सिंह ने अविमुक्तेश्वरानंद महाराज को “पापी” करार देते हुए तीखी आलोचना की थी। अब इस पर अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने पलटवार करते हुए सांसद के बयान को न केवल निंदनीय बताया बल्कि उनके इस प्रकार के बयान को राजनीति से प्रेरित करार दिया है।
मंगलवार को सांसद आज़ाद सिंह ने क्या कहा था?
मंगलवार को सांसद आज़ाद सिंह ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अविमुक्तेश्वरानंद महाराज के खिलाफ कहा था कि “वह पापी हैं” और उनका कथित रूप से महाकुंभ के आयोजन पर राजनीति करना और संत समाज के नाम पर राजनीति करना उचित नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने केवल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए महाकुंभ का मंच इस्तेमाल किया है। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई थी।
अविमुक्तेश्वरानंद महाराज का पलटवार
सांसद आज़ाद सिंह के बयान के जवाब में अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा, “जो व्यक्ति खुद राजनीति में है और सार्वजनिक जीवन में सक्रिय है, वह मुझे पापी कहे तो यह उसकी अपनी मानसिकता को दर्शाता है। अगर वह मेरी तुलना पापी से करना चाहते हैं, तो मैं उन्हें यह बताना चाहता हूं कि पाप से परे निष्पापी व्यक्ति ही महाकुंभ और धर्म की रक्षा कर सकता है।”
महाराज ने आगे कहा कि “महाकुंभ का आयोजन केवल धार्मिक उद्देश्य से होता है और इसे राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। अगर कुछ लोग इसे राजनीतिक मंच बनाने की कोशिश करते हैं, तो यह उनका व्यक्तिगत दोष है। मेरे जैसे संत समाज को राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।”
अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने सांसद के बयान को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और आक्षेपपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में होने वाली धार्मिक गतिविधियाँ और उनकी बातों को राजनीति से जोड़ना पूरी तरह से गलत है। “हमारा उद्देश्य समाज की भलाई और धर्म की रक्षा करना है। यदि कोई इसे पाप मानता है तो यह उसकी खुद की मानसिकता का प्रतिबिंब है,” महाराज ने कहा।
राजनीति और धर्म का मिश्रण
महाकुंभ में राजनीति और धर्म के इस मिश्रण को लेकर संत समाज में भी असंतोष फैल गया है। कई संतों का कहना है कि राजनीति का धर्म से कोई संबंध नहीं होना चाहिए और धर्म के नाम पर राजनीतिक लाभ लेने वालों को संत समाज द्वारा गंभीरता से जवाब दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि महाकुंभ में इस तरह की बयानबाजी नई नहीं है। पहले भी विभिन्न राजनीतिक नेता और संत समाज के बीच बयानबाजी हो चुकी है, लेकिन इस बार सांसद आज़ाद सिंह के बयान ने एक नया मोड़ लिया है।
संत समाज की प्रतिक्रिया
संत समाज का मानना है कि महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन को केवल धर्म के संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए, न कि राजनीतिक दृष्टिकोण से। वे इस बात पर जोर देते हैं कि महाकुंभ में केवल भगवान के आशीर्वाद और समाज के कल्याण की बात होनी चाहिए, न कि राजनीतिक दावे और आरोप-प्रत्यारोप।
संतों का कहना है कि सांसद आज़ाद सिंह जैसे राजनीतिक लोग धर्म के उच्चतम आदर्शों और सिद्धांतों का पालन नहीं करते हुए केवल अपने स्वार्थ के लिए इस पवित्र अवसर का इस्तेमाल करते हैं।
महाकुंभ का आयोजन धर्म और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है, और इस समय जो बयानबाजी हो रही है, वह इसे राजनीति से जोड़ने की एक हताश कोशिश दिखाई देती है। हालांकि, यह संत समाज का स्पष्ट मत है कि ऐसे विवादों से बचना चाहिए और केवल धर्म की रक्षा करनी चाहिए। अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अपने उद्देश्य को स्पष्ट किया और संत समाज के लिए अपने विचार व्यक्त किए।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का अंत कब होता है और क्या राजनीति और धर्म के बीच का यह घर्षण शांत होता है या और बढ़ता है।