शिक्षक का कार्यक्षेत्र केवल किताबों तक सीमित नहीं होता, बल्कि वे विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में भी योगदान करते हैं:बैजनाथ राम शिक्षा मंत्री झारखंड

शिक्षक का कार्यक्षेत्र केवल किताबों तक सीमित नहीं होता, बल्कि वे विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में भी योगदान करते हैं:बैजनाथ राम शिक्षा मंत्री झारखंड

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शिक्षक का कार्यक्षेत्र केवल किताबों तक सीमित नहीं होता, बल्कि वे विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में भी योगदान करते हैं:बैजनाथ राम शिक्षा मंत्री झारखंड

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बब्लू खान

गुरु यानी अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाने वाला. बच्चे को नैतिकता, ईमानदारी, दया और नम्रता के रास्ते पर स्थापित करने की जिम्मेदारी शिक्षकों को दी जाती है क्योंकि उनके जैसा कोई और बच्चों को प्रभावित नहीं कर सकते ।गुरु शब्द का अर्थ ‘ज्ञानदाता’ होता है। हमारे जीवन में गुरु का महत्वपूर्ण स्थान होता है, क्योंकि वो हमारे ज्ञान के मार्गदर्शक होते हैं, हमें सही और गलत के बीच अंतर को समझाते हैं और हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास में मदद करते हैं।शिक्षक दिवस का महत्व यह है कि भारतीय संस्कृति गुरु और शिष्य (शिक्षक और छात्र) के रिश्ते को बहुत महत्व देती है।

यह दिन न केवल डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती का उत्सव है, बल्कि यह शिक्षकों की लगन और कड़ी मेहनत का भी सम्मान करता है. पांच सितंबर को शिक्षक दिवस इसी बात का प्रतीक है. जहां छात्रों को अपनी कृतज्ञता और प्रशंसा व्यक्त करने का अवसर मिलता है, वहीं शिक्षकों को आत्मनिरीक्षण करने और छात्रों के लिए एक स्वस्थ और प्रेरक वातावरण बनाने का मौका मिलता है.


पांच सितंबर को स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. छात्र अपने प्रिय शिक्षकों के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त करने के लिए प्रदर्शन, नृत्य और विस्तृत शो जैसी विभिन्न गतिविधियां आयोजित करते हैं. यहां तक कि उन लोगों के लिए भी जो अब स्कूल या कॉलेज में नहीं हैं, शिक्षक दिवस अपने गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करने और शिक्षकों के उनके जीवन पर पड़े गहरे प्रभाव को स्वीकार करने का एक उत्कृष्ट अवसर है. शिक्षक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव हैं और अक्सर अपने छात्रों की सफलता पर गर्व महसूस करते है।

, 1962 में जब डॉ राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला, तब उस दौरान उनके छात्रों ने 5 सितंबर के दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव लाया

शिक्षक दिवस भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक और विद्वान थे और उन्हें वर्ष 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और 1963 में उन्हें ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ़ मेरिट की मानद सदस्यता प्रदान की गई थी.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म पांच सितंबर, 1888 को मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ था. उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया और वे एक विपुल लेखक भी थे और उन्होंने अमेरिका और यूरोप में अपने व्याख्यानों के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा दिया.

भारत में शिक्षकों को श्रद्धांजलि के रूप में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके पीछे की कहानी दिलचस्प है। डॉ. राधाकृष्णन के छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाने का अनुरोध किया। लेकिन उन्होंने उत्तर दिया कि उनका जन्मदिन सभी शिक्षकों के लिए एक उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए। तब से, 1962 से, शिक्षक दिवस पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है।

शिक्षकों की भूमिका को समाज ने सर्वोपरि माना। सरवर अंसारी पूर्व शिक्षक

. *राधाकृष्णन न केवल एक उत्कृष्ट शिक्षक थे, बल्कि एक महान विद्वान, दार्शनिक और भारत के राष्ट्रपति भी थे। उन्होंने हमेशा शिक्षा के महत्व को समझा और शिक्षकों की भूमिका को समाज में सर्वोपरि माना।

छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने के लिए प्रेरित करता है। गुरु कृष्ण चौधरी हाई स्कूल शिक्षक

गुरु-शिष्य संबंध या गुरु-शिष्य की परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। शिक्षक उस माली के समान है, जो एक बगीचे को अलग अलग रूप-रंग के फूलों से सजाता है। जो छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने के लिए प्रेरित करता है।

इस पथ का उद्देश्य नहीं है शांत भवन में टिके रहना किंतु पहुंचाना उस सीमा पर जिसके आगे राह नहीं । इम्तियाज़ खान शिक्षक

एक अच्छा शिक्षक मोमबत्ती की तरह होता है वह दूसरों का रास्ता रोशन करने के लिए खुद को जला देता है, शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मनुष्य को मनुष्य बनाना उसमें आप निर्भरता की भावना भरना, चरित्र निर्माण करना, तथा मोछ की प्राप्ति करना है ,
इंसान को दिया जाने वाला सबसे उत्तम उपहार शिक्षा (ज्ञान )का उपहार है आप एक व्यक्ति को आज भोजन खिला सकते हैं लेकिन कल वह उतना ही भूखा फिर से हो जाएगा इसलिए उसे कोई हुनर (ज्ञान) सिखाओ जिससे वह जीवन पर्यंत अपनी आजीविका अर्जित कर सके। और अंत में यही कहना है की,शिक्षा का मेरे दिल में खजाना है दोस्तों शिक्षक हूं मेरा काम सीखना है दोस्तो

बिना गुरु के आप सिर्फ किताबें पढ़ सकते हैं, ज्ञानी नहीं बन सकते। अरविंद सिंह ग्रीनफील्ड अकैडमी डायरेक्टर

गुरु वह है जो अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाने के लिए ज्ञान का दीपक जलाते हैं और सब अंधकार मिट जाता है।
साक्षर और शिक्षित में सबसे बड़ा फर्क यही है कि साक्षर को केवल किताबी ज्ञान होता है लेकिन शिक्षित व्यक्ति को अच्छा, बुरा, सही, गलत, सुकर्म, कुकर्म हर विषय का ज्ञान होता है। और ये ज्ञान बिना गुरु के मिलना असंभव है।

एक अच्छा शिक्षक समझाता है। एक बेहतर शिक्षक कर के दर्शाता है। एक महान शिक्षक प्रेरित करता है। आनंदी सोरेंग ग्रीन फील्ड अकादमी प्रबंधक

शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसे आप दुनिया को बदलने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं’।
एक औसत दर्जे का शिक्षक बताता है। एक अच्छा शिक्षक समझाता है। एक बेहतर शिक्षक कर के दर्शाता है। एक महान शिक्षक प्रेरित करता है
हमें याद रखना चाहिए कि एक किताब, एक कलम, एक बच्चा और एक शिक्षक पूरी दुनिया बदल सकते हैं’.

रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में आनंद जगाना शिक्षक की सर्वोच्च कला है’। राधिका कुमारी शिक्षक

एक अच्छे शिक्षक की कसौटी यह नहीं है कि वह अपने विद्यार्थियों से कितने प्रश्न पूछ सकता है जिनका वे तुरंत उत्तर देंगे, बल्कि यह है कि वह उन्हें कितने प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करता है जिनका उत्तर देना उसके लिए कठिन होता है।’रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में आनंद जगाना शिक्षक की सर्वोच्च कला है’।

गुरु ही सब कुछ है,गुरु से बड़ा कोई नहीं होता है। प्रमोद साहू किसान नेता

आप गुरुओं ने हमेशा मुझे सत्य और अनुशासन का पाठ पढ़ाया है। आपको शिक्षक दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं। ऐसे सभी गुरुओं को मैं दिल से सलाम करता हूं। गुरु ही सब कुछ है,गुरु से बड़ा कोई नहीं होता है। प्राचीन कल से लेकर अब तक गुरु-शिष्य के मध्य के सम्बन्ध को बताया गया है वह आज भी है और यह श्लोक गुरु शिष्य के सम्बन्ध को, गुरु की जीवन में महत्ता को दर्शाता है।”

शिक्षक न केवल ज्ञान का पाठ पढ़ाते हैं, बल्कि वे विद्यार्थियों को सोचने की क्षमता, समस्याओं का समाधान निकालने की कला और सही और गलत के बीच विवेकपूर्ण अंतर को समझाते हैं। वे अपनी अनुभवों और ज्ञान से विद्यार्थियों को जीवन के मार्ग पर सही दिशा में प्रेरित करते हैं।

शिक्षकों की महत्वपूर्ण योगदान से ही समाज में विकास संभव होता है। सिंधु मिश्रा दहेज मुख्य संस्था राष्ट्रीय अध्यक्ष

शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है बच्चों के सोचने के तरीकों को निर्माण करने में। वे बच्चों को सिखाते हैं कि कैसे सही और सजीव तरीके से सोचा जाए, कैसे नये और उनिक कोण देख समस्याओं का समाधान ढूंढा जा सकता है।शिक्षकों की महत्वपूर्ण योगदान से ही समाज में विकास संभव होता है। उनका योगदान सिर्फ विद्या के क्षेत्र में ही सीमित नहीं होता, बल्कि वे नए सोच, नए आदर्श और नये दिशा-निर्देश प्रदान करके समाज को मजबूती देते हैं।

शिक्षकों को अक्सर छात्रों की सफलता के पीछे मार्गदर्शक शक्ति के रूप में देखा जाता है,। बैजनाथ राम शिक्षा मंत्री झारखंड,लातेहार विधायक

शिक्षक दिवस का उत्सव व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। शिक्षकों को अक्सर छात्रों की सफलता के पीछे मार्गदर्शक शक्ति के रूप में देखा जाता है, जो न केवल शैक्षणिक ज्ञान प्रदान करते हैं बल्कि चरित्र और मूल्यों को आकार देने वाले जीवन के सबक भी देते हैं। यह दिन छात्रों को अपने शिक्षकों की कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए आभार व्यक्त करने का अवसर देता है।

शिक्षक का कार्यक्षेत्र केवल किताबों तक सीमित नहीं होता, बल्कि वे विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में भी योगदान करते हैं:बैजनाथ राम शिक्षा मंत्री झारखंड

जीवन के हर पहलू में सफल बनने के लिए तैयार करता है। इंद्रजीत भारती सचिन अभिराम ए ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट

शिक्षक दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारे जीवन में शिक्षकों का क्या महत्व है। शिक्षक न केवल हमें पढ़ाते हैं, बल्कि हमें जीवन के सही मार्ग पर चलना भी सिखाते हैं। सही और गलत का भेद सिखाते हैं। एक जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में हमारा मार्गदर्शन करते हैं। एक अच्छा शिक्षक अपने छात्रों में न केवल ज्ञान का बीज बोता है, बल्कि उन्हें जीवन के हर पहलू में सफल बनने के लिए तैयार करता है।

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