लातेहार:- चेतना इंटरनेशनल स्कूल में 17 अगस्त 2024 को रक्षा बंधन का पर्व हर्षोल्लास और सांस्कृतिक उमंग के साथ मनाया गया। इस कार्यक्रम में स्कूल प्रबंधन, शिक्षकगण, छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम की शुरुआत शैक्षणिक निदेशक श्री आर्यन गर्ग ने की, जिन्होंने भारतीय त्योहारों के महत्व पर जोर दिया और बताया कि ये त्योहार छात्रों के बीच प्रेम और सम्मान के बंधन को मजबूत करते हैं।
सांस्कृतिक आकर्षण और गतिविधियाँ
रक्षा बंधन समारोह की शुरुआत परंपरागत तरीके से हुई, जिसमें बहनों ने अपने भाइयों को राखी बांधी, जो प्रेम, सुरक्षा और समर्पण का प्रतीक है। छात्रों ने पारंपरिक परिधानों में उत्साह के साथ विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में भाग लिया। इन प्रस्तुतियों में नृत्य, नाटक और गीत शामिल थे, जिन्होंने इस सुंदर त्योहार की भावना को दर्शाया।
इसके अलावा, छात्रों ने रक्षा बंधन के महत्व, इसके इतिहास और इसके द्वारा सिखाए जाने वाले आपसी देखभाल, सुरक्षा और सम्मान के मूल्यों पर अपने विचार साझा किए। इस कार्यक्रम में छात्रों ने हस्तनिर्मित राखियाँ भी बनाई, जो उनकी रचनात्मकता और सांस्कृतिक गर्व को प्रदर्शित करती हैं।
एकता और प्रेम का संदेश
इस अवसर पर अमित कुमार पांडे, प्रबंध निदेशक चेतना इंटरनेशनल स्कूल, ने छात्रों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की और बताया कि रक्षा बंधन न केवल पारिवारिक रिश्तों को बल्कि सामाजिक एकता और सद्भावना के व्यापक संदेश को भी सिखाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के त्योहार छात्रों में करुणा, सहानुभूति और आपसी सम्मान के मूल्यों को बढ़ावा देते हैं, जो उनके समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
अभिभावकों की सहभागिता
इस कार्यक्रम में अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी भी देखने को मिली। उन्होंने स्कूल द्वारा सांस्कृतिक शिक्षा और शैक्षणिक कार्यक्रमों के समन्वय की सराहना की और गर्व व्यक्त किया कि उनके बच्चे एक ऐसे विद्यालय में पढ़ रहे हैं, जो परंपराओं का सम्मान करते हुए उनके सर्वांगीण विकास की दिशा में कार्यरत है।
समापन समारोह
रक्षा बंधन समारोह का समापन स्कूल प्रधानाचार्य द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने आज के वैश्विक युग में सांस्कृतिक जड़ों को बनाए रखने के महत्व पर बल दिया। कार्यक्रम के अंत में छात्रों को मिठाई वितरित की गई, जो भाई-बहन के रिश्ते की मिठास का प्रतीक थी।
यह आयोजन भारतीय परंपराओं की सुंदरता और शैक्षणिक संस्थानों की सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित और प्रोत्साहित करने में निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाने वाला था।