प्रेम कुमार साहू घाघरा गुमला,
गुमला, 15 सितंबर, 2025 – गुमला की सड़कें अब सिर्फ कंक्रीट और डामर की नहीं, बल्कि उम्मीद और जिंदगी की नई कहानी गढ़ रही हैं। सड़क हादसों से लहूलुहान होती जिंदगियों को बचाने के लिए, उपायुक्त (डीसी) प्रेरणा दीक्षित ने खुद मोर्चा संभाला है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक अभियान नहीं, बल्कि लोगों के दिल और दिमाग में सुरक्षा की अलख जगाने की एक नई, भावनात्मक पहल है।
लापरवाही बनी 200 से अधिक मौतों का कारण
गुमला की सड़कों पर हर साल 200 से ज्यादा मौतें होती हैं। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि 200 परिवारों का बुझता हुआ चिराग है। एक पल की लापरवाही और जिंदगी का सफर अचानक थम जाता है। इसी दर्द की बानगी बीते दिनों चली वाहन जांच थी, जहां डीटीओ ज्ञान शंकर जायसवाल, डीएसपी शिव शंकर मरांडी, और उनकी टीम ने 110 से ज्यादा लोगों पर ₹1,34,000 का जुर्माना ठोका। यह एक जरूरी कार्रवाई थी, पर डीसी दीक्षित ने इसे सिर्फ एक दंड तक सीमित नहीं रहने दिया। उन्होंने इसे एक सबक और एक जीवन दान में बदल दिया।
जुर्माना भी हुआ और हेलमेट भी मिला, क्योंकि हेलमेट है तो जिंदगी है
आज, 15 सितंबर को डीसी ने उन लोगों को हेलमेट दिए, जिन पर पिछली जांच में चालान हुआ था। उन्होंने सिर्फ हेलमेट नहीं दिया, बल्कि एक सुरक्षा कवच भेंट किया। “अगर आप सब्जी लेने भी जा रहे हैं, तो हेलमेट पहन कर चले। यह सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि आपकी अपनी सुरक्षा है।” उनकी यह अपील
डीसी, एसपी, और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी अब खुद सड़कों पर उतरकर लोगों को जागरूक करेंगे। उनका मानना है कि सड़क सुरक्षा केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है।
इस अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए, डीसी प्रेरणा दीक्षित ने सभी अधिकारियों को सख्त संदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि अपने स्तर से बिना हेलमेट चल रहे लोगों पर अंकुश लगाएं।