आंगनबाड़ी सेविकाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने व पेंशन की मांग, 10 सितम्बर से झारखंड में अनिश्चितकालीन धरना

आंगनबाड़ी सेविकाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने व पेंशन की मांग, 10 सितम्बर से झारखंड में अनिश्चितकालीन धरना

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आंगनबाड़ी सेविकाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने व पेंशन की मांग, 10 सितम्बर से झारखंड में अनिश्चितकालीन धरना


रांची:झारखंड प्रदेश आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन ने राज्य की 80 हजार से अधिक आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं की मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है। यूनियन ने साफ किया है कि यदि उनकी मांगों पर सरकार द्वारा सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं किया गया तो आगामी 10 सितम्बर 2025 से मुख्यमंत्री सचिवालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा।

यूनियन की ओर से प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बालमुकुंद सिन्हा, जिला अध्यक्ष सुशीला देवी और अन्य पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर यह जानकारी दी। पत्र में कहा गया है कि पहले यह धरना 8 सितम्बर से प्रस्तावित था, लेकिन संगठनात्मक कारणों से इसे स्थगित कर अब 10 सितम्बर से शुरू किया जाएगा।

आंगनबाड़ी आंदोलन की प्रमुख मांगें

यूनियन ने पत्र में अपनी लंबित मांगों का विस्तृत उल्लेख किया है। इनमें प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं–

  1. सरकारी कर्मचारी का दर्जा :
    सेविका-सहायिकाओं को लंबे समय से मात्र मानदेय पर काम कराया जा रहा है। 1975 से आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना हुई और आज पूरे भारत में लगभग 26 लाख तथा झारखंड में करीब 80 हजार सेविकाएं-सहायिकाएं कार्यरत हैं। इसके बावजूद सेवानिवृत्ति पर उन्हें एक भी पैसा लाभ नहीं मिलता।
    यूनियन ने कहा कि सेविकाओं को दूध में मक्खी की तरह बाहर निकाल देना अमानवीय है। इन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए।
  2. सेवानिवृत्ति लाभ और पेंशन :
    यूनियन की मांग है कि सेवानिवृत्ति के उपरांत सेविकाओं को एकमुश्त 5 लाख रुपये आर्थिक लाभ और मासिक मानदेय का आधा पेंशन दिया जाए। पश्चिम बंगाल सरकार की तर्ज पर झारखंड सरकार को भी यह लाभ लागू करना चाहिए।
  3. एफ.आर.एस. प्रणाली में सुधार :
    भारत सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों में फेश रिकग्निशन सिस्टम (एफ.आर.एस.) लागू किया गया है, जिसे आधार और मोबाइल नंबर से लिंक कर ओटीपी आधारित उपस्थिति अनिवार्य कर दिया गया है। यूनियन का कहना है कि इससे सेविकाओं और लाभार्थियों को भारी दिक्कत हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या और तकनीकी जटिलताओं के कारण काम प्रभावित हो रहा है। यूनियन की मांग है कि जब तक इसे सरल नहीं बनाया जाता, तब तक इस प्रणाली को रद्द किया जाए।
  4. अतिरिक्त कार्यों से मुक्ति :
    समाज कल्याण निदेशालय के आदेशानुसार आंगनबाड़ी सेविकाओं को विभागीय कार्यों के अतिरिक्त अन्य कार्यों—जैसे चुनाव (BLO ड्यूटी), सर्वे आदि—से मुक्त करने का निर्देश दिया गया है। लेकिन जमीनी स्तर पर अब तक इसका पालन नहीं हुआ है। सेविकाओं को निर्वाचन कार्य में लगाया जा रहा है, जिससे ICDS की मूल योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। यूनियन ने मांग की है कि सेविकाओं को तुरंत BLO कार्य से मुक्त किया जाए।
  5. ग्रेच्युटी का लाभ :
    माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश (सिविल अपील संख्या–3153) के अनुसार सभी राज्यों में आंगनबाड़ी सेविकाओं-सहायिकाओं को ग्रेच्युटी देने का निर्देश है। झारखंड सरकार को भी इस आदेश को लागू कर सेविकाओं को ग्रेच्युटी का लाभ देना चाहिए।

यूनियन का तर्क और पीड़ा

यूनियन ने पत्र में लिखा है कि 1975 से अब तक आंगनबाड़ी सेविकाएं समाज के सबसे निचले तबके तक पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाएं पहुँचाने का कार्य कर रही हैं। वे बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाने की रीढ़ हैं।

इसके बावजूद, सेविकाओं की स्थिति दयनीय है। 62 वर्ष की उम्र पूरी करने पर उन्हें सेवा से हटा दिया जाता है, लेकिन सेवानिवृत्ति लाभ के नाम पर एक भी पैसा नहीं मिलता। इसे यूनियन ने “अत्यंत पीड़ादायक और अन्यायपूर्ण” बताया है।

प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बालमुकुंद सिन्हा ने कहा कि सेविकाएं राज्य और केंद्र सरकार की हर योजना का ईमानदारी से निर्वहन करती हैं। कोविड काल में भी उन्होंने घर-घर जाकर टीकाकरण और पोषण संबंधी कार्य किए, लेकिन उनके हक और अधिकारों पर ध्यान नहीं दिया गया।

सरकार से संवाद और उम्मीद

पत्र में यूनियन ने यह भी लिखा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहले सेविकाओं-सहायिकाओं को सम्मान दिया है, जिसके लिए वे आभारी हैं। अब संगठन को विश्वास है कि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी।

यूनियन ने आग्रह किया है कि मुख्यमंत्री स्वयं या संबंधित मंत्री मंडल के सदस्य प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए बुलाएं और मांग पत्र पर सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लें।

धरना की रूपरेखा

यूनियन ने घोषणा की है कि 10 सितम्बर 2025 से मुख्यमंत्री सचिवालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा। इस आंदोलन में राज्य भर से हजारों सेविकाएं और सहायिकाएं शामिल होंगी।

यूनियन का कहना है कि जब तक सरकार से ठोस आश्वासन नहीं मिलता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

प्रतिलिपि के जरिए प्रशासन को दी सूचना

पत्र की प्रतिलिपि राज्य सरकार और जिला स्तर के कई अधिकारियों को भी भेजी गई है, जिनमें शामिल हैं—

  • सचिव, महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग, रांची
  • निदेशक, महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग
  • उपायुक्त, लातेहार
  • जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, लातेहार
  • सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी

प्रदेश व जिला पदाधिकारियों के हस्ताक्षर

पत्र पर यूनियन की ओर से कई पदाधिकारियों के हस्ताक्षर हैं। इनमें सुशीला देवी (जिला अध्यक्ष), कौशल्या देवी (सचिव), रेशमा टॉव, निकिता कुमारी, सरिता देवी, प्रतिमा बड़ा, नीर देवी, भीलावती देवी, ललिता सिंह और गणिता देवी आदि शामिल हैं।

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