
गारु (लातेहार)।
पलामू टाइगर रिजर्व के भीतर अवैध बालू खनन का पर्दाफाश करने गए दो पत्रकारों पर बुधवार को जानलेवा हमला हुआ। यह घटना लातेहार जिले के बारेसाढ़ थाना क्षेत्र स्थित तिलैयाटांड़ के टेटूक नाला में हुई, जहां कथित रूप से वन विभाग के एक टेकगार्ड ने बालू माफिया के साथ मिलकर पत्रकारों से मारपीट की, मोबाइल छीना और धमकियां दीं।
हमले का शिकार हुए पत्रकार निरंजन प्रसाद (झारखंड वार्ता) और पंकज यादव (न्यूज़ अप्रैजल) पर उस वक्त हमला हुआ जब वे 2 जुलाई को दोपहर करीब 1:10 बजे टेटूक नाला में अवैध खनन की तस्वीरें और वीडियो बना रहे थे।
“प्रशासन भी कुछ नहीं कर पाएगा”: आरोपी की दबंगई
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आरोपी धनेश्वर यादव, जो एक ट्रैक्टर मालिक है और साथ ही वन विभाग में टेकगार्ड के पद पर कार्यरत बताया जा रहा है, ने पत्रकारों के साथ न सिर्फ मारपीट की बल्कि धमकी देते हुए कहा, “जहां जाना है जाओ, प्रशासन भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।” यह बयान प्रशासनिक व्यवस्था को खुली चुनौती और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ—पत्रकारिता—पर सीधा हमला माना जा रहा है।
सबूत मिटाने की साजिश
घटना के दौरान दोनों पत्रकारों के मोबाइल छीन लिए गए। कुछ देर बाद पंकज यादव का मोबाइल लौटा दिया गया, लेकिन निरंजन प्रसाद का फोन आरोपी ने थाना प्रभारी को सौंपा। मोबाइल लौटाने से पहले उसमें से अवैध बालू खनन की तस्वीरें डिलीट कर दी गई थीं। हालांकि, पत्रकार द्वारा तकनीकी सहायता से तस्वीरों को रिकवर कर पुलिस को साक्ष्य के रूप में सौंप दिया गया।
एफआईआर दर्ज, अब कार्रवाई पर निगाहें
घटना के बाद पत्रकारों की शिकायत पर बारेसाढ़ थाना में FIR संख्या 04/25 दिनांक 03/07/2025 के तहत BNS की धारा 126(2), 115(2), 117(2), 351(2), 352, 303(2) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। आरोपी के वन विभाग से जुड़े होने की बात ने पूरे प्रकरण को और भी गंभीर बना दिया है।
वन विभाग की भूमिका पर सवाल
घटना स्थल पलामू टाइगर रिजर्व के बीसी-8 क्षेत्र में आता है, जहां वन विभाग की सीधी निगरानी होती है। आरोप है कि विभागीय मिलीभगत से अवैध खनन जारी है, जबकि पूरे झारखंड में बालू उठाव पर प्रतिबंध लगा हुआ है। स्थानीय वनरक्षी निर्भय सिंह एवं प्रभारी वनपाल को इस संबंध में सूचित किया गया है।
पत्रकार संगठनों में आक्रोश
इस हमले को लेकर पत्रकार संगठनों में भारी आक्रोश है। पत्रकार निरंजन प्रसाद ने कहा कि यह हमला केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि पूरे पत्रकारिता समुदाय और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला है। उन्होंने निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है।