
लातेहार/बालूमाथ – भारत की महान धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में से एक, रथ यात्रा पर्व के पावन अवसर पर जिला परिषद लातेहार की उपाध्यक्ष अनीता देवी ने समस्त जिलेवासियों को रथ यात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि रथ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि, सेवा, प्रेम और सामाजिक एकता का प्रतीक पर्व है।
अनीता देवी ने कहा कि रथ यात्रा विशेष रूप से ओडिशा के पुरी नगर में भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा के नगर भ्रमण के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन व रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं।
उन्होंने बताया कि रथ यात्रा का उद्देश्य भगवान को उनके भक्तों के बीच ले जाना है ताकि वे आम जन को दर्शन देकर उन्हें आशीर्वाद दे सकें। इस परंपरा के अंतर्गत भगवान जगन्नाथ के लिए ‘नंदिघोष’, बलभद्र के लिए ‘तालध्वज’ और सुभद्रा के लिए ‘पद्मध्वज’ नामक तीन विशाल रथों का निर्माण होता है।
अनीता देवी ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि यह पर्व हमें धर्म, करुणा और सेवा भाव से जीवन यापन की प्रेरणा देता है। भगवान जगन्नाथ का रथ जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, वैसे ही हमें भी अपने जीवन रूपी रथ को सत्कर्म, सद्भावना और सच्चाई के मार्ग पर आगे ले जाना चाहिए।उन्होंने आगे कहा कि रथ यात्रा केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और सामाजिक समरसता का भी परिचायक है।

इस पर्व में सभी जाति, धर्म, वर्ग और समुदाय के लोग समान रूप से भाग लेते हैं, जिससे आपसी भाईचारा और एकता का वातावरण निर्मित होता है।उन्होंने सभी लोगों से अपील की कि रथ यात्रा के इस पावन अवसर पर अपने भीतर के अहंकार, क्रोध, लालच और ईर्ष्या जैसे विकारों का त्याग करें और एक सच्चे मानव के रूप में समाज और देश की सेवा करें।
अनीता देवी ने कहा कि भगवान जगन्नाथ की कृपा सभी पर बनी रहे और यह पर्व सभी के जीवन में शांति, सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि लेकर आए। उन्होंने अंत में कहा, “आइए, हम सब रथ यात्रा के इस पवित्र दिन यह संकल्प लें कि हम आपसी प्रेम, शांति और सच्चाई के मार्ग पर चलेंगे और एक समतामूलक समाज की स्थापना में सहयोगी बनेंगे।”उनके इस संदेश को लोगों ने काफी सराहा और सोशल मीडिया पर भी इसे साझा किया जा रहा है। लोग इसे प्रेरणादायक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सराहनीय बता रहे हैं।