
झारखंड सरकार की नई उत्पाद नीति के तहत राज्य में विदेशी शराब अब सस्ती मिलेगी, जबकि यहां निर्मित और लोकप्रिय ब्रांड की देसी शराब महंगी हो जाएगी। यह बदलाव जुलाई 2025 से लागू होने जा रही नई शराब नीति के तहत किया जा रहा है। नई नीति में शराब पर लगने वाले वैट (मूल्य वर्धित कर) को कम किया गया है, जिससे आयातित विदेशी शराब की कीमतों में गिरावट आएगी।
नई नीति का उद्देश्य शराब व्यवसाय को व्यवस्थित और आधुनिक बनाना है। इसके तहत राज्य में “मॉडल शराब दुकानें” खोली जाएंगी, जहां ग्राहक न केवल शराब खरीद सकेंगे बल्कि वहीं बैठकर पीने की भी सुविधा उपलब्ध होगी। इन दुकानों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा, जैसे एयर-कंडीशनिंग, बैठने की व्यवस्था, स्नैक्स और साफ-सफाई का विशेष ध्यान। इन मॉडल दुकानों को चुनिंदा स्थानों पर खोला जाएगा, जहां कानून-व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने पर असर न पड़े।
वहीं, राज्य में निर्मित पॉपुलर ब्रांड की शराब पर कर ढांचा कुछ ऐसा रखा गया है जिससे उसकी कीमतें बढ़ेंगी। राज्य सरकार का मानना है कि इससे स्थानीय शराब की खपत में थोड़ी कमी आएगी और उच्च गुणवत्ता वाली शराब के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
वित्त विभाग और उत्पाद विभाग के अनुसार, नई नीति से राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी। सरकार का लक्ष्य है कि शराब व्यवसाय से प्राप्त राजस्व को स्वास्थ्य, शिक्षा और जनकल्याण योजनाओं में लगाया जाए। इसके अलावा शराब की अवैध बिक्री और तस्करी पर भी सख्ती से रोक लगाने के उपाय किए जा रहे हैं।
सरकार का कहना है कि नई शराब नीति का उद्देश्य केवल राजस्व वृद्धि नहीं, बल्कि शराब बिक्री को नियंत्रित और सुरक्षित बनाना भी है। शराब दुकानों का समय, स्थान और संचालन सख्त नियमों के तहत होगा। रात 11 बजे के बाद शराब बिक्री प्रतिबंधित रहेगी। अवैध दुकानों पर कार्रवाई तेज की जाएगी और पुलिस एवं प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वे नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें।
हालांकि, इस नई नीति पर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि बैठकर पीने की सुविधा सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा दे सकती है, जबकि समर्थकों का कहना है कि इससे अवैध शराब पर रोक लगेगी और शराब पीने वालों को सुरक्षित वातावरण मिलेगा।