
धनबाद। रेलवे में वित्तीय अनियमितता का बड़ा मामला सामने आया है। धनबाद रेल मंडल के 22 स्टेशनों से जुड़े करीब साढ़े सात करोड़ रुपये की हेराफेरी का खुलासा हुआ है। यह हेराफेरी रेलवे के कैश को बैंक में जमा करने की प्रक्रिया के दौरान की गई है। मामले के उजागर होते ही रेलवे प्रशासन में हड़कंप मच गया है। इस फर्जीवाड़े में कैश ले जाने वाले लिफ्टरों की संलिप्तता सामने आई है। रेलवे के वित्त विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है, वहीं कई स्टेशनों पर एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।
कैसे हुआ घोटाला?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, रेलवे स्टेशनों की टिकट बिक्री और अन्य स्रोतों से प्राप्त नकद राशि को बैंक में जमा कराने का जिम्मा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की अधिकृत एजेंसी राइटर सेफगार्ड लिमिटेड को सौंपा गया था। रेलवे ने वर्ष 2016 में इस एजेंसी से करार किया था, जिसके तहत छोटे स्टेशनों से नकदी को बैंक में जमा कराने की जिम्मेदारी दी गई थी।
कैश लिफ्टरों ने हेराफेरी को कैसे अंजाम दिया?
- रेलवे से प्राप्त पूरी नकद राशि को बैंक में जमा नहीं कराया गया।
- ट्रेजरी रेमिटेंस नोट (TRN) में हेरफेर किया गया, जिसमें बैंक को दी गई कॉपी में कम रकम दर्शाई गई, जबकि रेलवे को दी गई कॉपी में पूरी राशि दिखाई गई।
- इस तरह, करोड़ों रुपये की रकम कैश लिफ्टरों के जरिए हड़प ली गई।
कौन-कौन से स्टेशन घोटाले की जद में?
रेलवे की प्रारंभिक जांच के अनुसार, धनबाद मंडल के सिंगरौली, शक्तिनगर, अनपरा, दुद्धी समेत 22 रेलवे स्टेशनों से इस घोटाले को अंजाम दिया गया है। सीनियर डीसीएम अमरेश कुमार ने बताया कि 22 में से 14 स्टेशनों से जुड़ी हेराफेरी के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी है, जबकि शेष 8 स्टेशनों की जांच जारी है और जल्द ही एफआईआर दर्ज की जाएगी।
2020 से 2024 तक हुआ फर्जीवाड़ा, वित्त विभाग कर रहा जांच
रेलवे प्रशासन ने 2020 से 2024 तक के वित्तीय लेन-देन की जांच शुरू की है। रेलवे का वित्त विभाग टिकट बिक्री और अन्य नकद आय से हुई गड़बड़ियों की गहन जांच कर रहा है। शुरुआती अनुमान के मुताबिक, कुल गड़बड़ी का आंकड़ा साढ़े सात करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
रेलवे को कैसे हुआ इस घोटाले का शक?
धनबाद रेल मंडल की वित्तीय समीक्षा के दौरान ट्रेजरी रेमिटेंस नोट (TRN) की जांच की गई। इस दौरान यह पाया गया कि रेलवे द्वारा जमा कराई गई राशि और बैंक में जमा हुई वास्तविक राशि में अंतर था। जब इस अंतर का मिलान किया गया तो पता चला कि राइटर सेफगार्ड लिमिटेड के कैश लिफ्टरों ने रेलवे के पैसों में हेराफेरी की है।
अब तक की कार्रवाई क्या हुई?
- रेलवे प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
- 14 स्टेशनों से जुड़े मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, शेष 8 स्टेशनों पर भी एफआईआर की प्रक्रिया जारी है।
- कैश लिफ्टरों से पूछताछ जारी है और संलिप्त अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच हो रही है।
- रेलवे ने स्टेट बैंक की एजेंसी राइटर सेफगार्ड लिमिटेड से स्पष्टीकरण मांगा है और अनुबंध की शर्तों की समीक्षा की जा रही है।
रेलवे की वित्तीय सुरक्षा पर सवाल
इस घोटाले के उजागर होने के बाद रेलवे की वित्तीय सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। एक ओर रेलवे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की बात करता है, वहीं नकदी के प्रबंधन में इतनी बड़ी चूक हो जाना दर्शाता है कि रेलवे की वित्तीय निगरानी प्रणाली में खामियां हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे को अपने नकद प्रबंधन प्रणाली को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना होगा, ताकि इस तरह की हेराफेरी दोबारा न हो सके।
क्या हो सकते हैं घोटाले के असर?
✔️ रेलवे की वित्तीय साख पर बुरा असर पड़ेगा।
✔️ कैश लिफ्टरों और एजेंसी पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
✔️ रेलवे को अपने नकदी जमा प्रणाली में सुधार करना होगा।
✔️ जांच के बाद रेलवे के संबंधित अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।
क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
✔️ बैंक में नकद जमा करने की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल किया जाए।
✔️ हर स्टेशन पर कैश की रसीद को ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ा जाए।
✔️ कैश लिफ्टरों की जिम्मेदारी की निगरानी के लिए CCTV और GPS ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जाए।
✔️ रेलवे के वित्तीय प्रबंधन प्रणाली का हर साल ऑडिट किया जाए।
धनबाद रेल मंडल के 22 स्टेशनों से जुड़े साढ़े सात करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला रेलवे की वित्तीय सुरक्षा पर सवाल उठाता है। शुरुआती जांच में यह साफ हो चुका है कि कैश लिफ्टरों ने ट्रांजेक्शन में हेराफेरी कर रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया है। रेलवे प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एफआईआर दर्ज करा दी है और जांच तेज कर दी गई है।