
रांची: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की पीठ ने अवमानना के एक मामले में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को आदेश दिया कि अपर मुख्य सचिव को शुक्रवार शाम 4 बजे तक अदालत में पेश किया जाए।
कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर वारंट जारी
हाई कोर्ट में एक अवमानना याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया कि एक पूर्व सरकारी कर्मचारी की पेंशन की 20 प्रतिशत राशि विभाग द्वारा काट ली गई थी। इस संबंध में अदालत ने राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया।
हाई कोर्ट ने 31 जनवरी को अपर मुख्य सचिव को 7 फरवरी को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था। लेकिन जब शुक्रवार को सुनवाई हुई तो सरकार की ओर से एक आवेदन दाखिल कर बताया गया कि अपर मुख्य सचिव 5 से 7 फरवरी तक अवकाश पर हैं।
DGP ने कोर्ट को दी जानकारी
जब अदालत ने अपर मुख्य सचिव को पेश करने का आदेश दिया तो झारखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता ने ऑनलाइन जुड़कर अदालत को बताया कि अजय कुमार सिंह रांची में नहीं हैं और राज्य से बाहर हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अपर मुख्य सचिव शुक्रवार रात 8:30 बजे विमान से रांची लौटेंगे।
इस पर अदालत ने DGP को निर्देश दिया कि अपर मुख्य सचिव को शुक्रवार रात 9 बजे तक हाई कोर्ट में पेश किया जाए।
अपर मुख्य सचिव पर कोर्ट के आदेश की अवहेलना का आरोप
हाई कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि अपर मुख्य सचिव ने कोर्ट के आदेश से बचने के लिए ही अवकाश लिया है।
अदालत ने यह भी कहा कि अपर मुख्य सचिव ने अवकाश लेने का कारण स्पष्ट नहीं किया और यह भी नहीं बताया कि वह रांची में रहेंगे या राज्य से बाहर जाएंगे।
हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा,
“कोर्ट के आदेश सर्वोच्च होते हैं और कोई भी व्यक्ति कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन नहीं कर सकता। इस प्रकार की अवहेलना की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
सरकार की भूमिका पर भी सवाल
अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार के वरिष्ठ अधिकारी जानबूझकर कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। इससे न केवल प्रशासनिक लापरवाही सामने आती है बल्कि यह भी संकेत मिलता है कि अधिकारियों में कोर्ट के आदेशों का पालन न करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
अगली सुनवाई और संभावित कार्रवाई
अब इस मामले की अगली सुनवाई में अगर अपर मुख्य सचिव अदालत में पेश नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
झारखंड हाई कोर्ट का यह फैसला दर्शाता है कि कोई भी सरकारी अधिकारी, चाहे वह कितना भी उच्च पद पर हो, कोर्ट के आदेशों की अनदेखी नहीं कर सकता।
source-जागरण