झारखंड में बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा झटका लगने वाला है। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने राज्य विद्युत नियामक आयोग (JSERC) को बिजली दरों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव के तहत घरेलू बिजली दरों में एक रूपए से अधिक की वृद्धि हो सकती है। वर्तमान में राज्य में घरेलू बिजली की दर प्रति यूनिट 6.65 रुपये है, जिसे बढ़ाकर 8.65 रुपये प्रति यूनिट करने की तैयारी की जा रही है।
200 यूनिट फ्री बिजली का दाव
झारखंड सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में राज्य के गरीब और मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए 200 यूनिट तक की घरेलू बिजली मुफ्त देने की योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत राज्य के लाखों लोग मुफ्त बिजली का लाभ उठा रहे हैं। लेकिन अब प्रस्तावित बिजली दरों में बढ़ोतरी के कारण यह राहत योजना भी उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ सकती है। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो फ्री बिजली के तहत मिलने वाली राहत में भी कटौती हो सकती है, क्योंकि राज्य सरकार को इस बढ़ी हुई दर के हिसाब से भुगतान करना होगा।
बिजली वितरण निगम का वित्तीय संकट
झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) का कहना है कि बढ़ी हुई बिजली दरों से उसे अपने वित्तीय संकट को दूर करने में मदद मिलेगी। निगम का यह भी कहना है कि राज्य में बिजली की आपूर्ति और वितरण के लिए उन्हें भारी लागत का सामना करना पड़ रहा है। 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली की योजना के कारण निगम को हर महीने करीब ₹344 करोड़ का नुकसान हो रहा है, जिससे वित्तीय संतुलन बनाए रखना कठिन हो गया है। यही कारण है कि निगम ने दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है।
30 प्रतिशत की बढ़ोतरी का असर
अगर राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रस्तावित दरों में बढ़ोतरी को मंजूरी मिल जाती है, तो राज्य के उपभोक्ताओं को प्रत्येक यूनिट के लिए अतिरिक्त पैसे खर्च करने होंगे। घरेलू बिजली दरों में 30 प्रतिशत की वृद्धि से उपभोक्ताओं पर हर महीने का बिल बढ़ सकता है। इसके अलावा, बढ़ी हुई दरों से सबसे ज्यादा असर उन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जो 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली का लाभ लेते हैं। दरों में वृद्धि के बाद, उन्हें अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ सकता है, जो उनके बजट को प्रभावित कर सकता है।
उपभोक्ताओं का विरोध
झारखंड में बिजली दरों में संभावित बढ़ोतरी को लेकर राज्य के उपभोक्ताओं में गहरी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि पहले ही महंगाई से परेशान नागरिकों पर अब बिजली दरों में बढ़ोतरी का बोझ डालना सरकार के लिए सही कदम नहीं है। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि अगर सरकार 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की योजना को जारी रखना चाहती है, तो उसे इस योजना के खर्च को कम करने के लिए अन्य उपायों की तलाश करनी चाहिए। लोग इस बढ़ोतरी को गरीबों और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए कठिनाई पैदा करने वाला मानते हैं।
क्या हो सकती है समाधान की दिशा?
विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकार और बिजली वितरण निगम को इस वित्तीय संकट से उबरने के लिए ऐसी योजनाएं बनानी चाहिए, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त दबाव न पड़े। एक विकल्प यह हो सकता है कि सरकार मुफ्त बिजली की योजना को संशोधित करे और अधिक लक्षित तरीके से यह सुविधा केवल उन परिवारों को दे, जो वास्तव में इसे जरूरतमंद हैं। साथ ही, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की दिशा में काम करने से बिजली उत्पादन की लागत को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
झारखंड में बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी राज्य के उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली की योजना के बावजूद, बढ़ी हुई दरों का असर लोगों की जेब पर पड़ सकता है। ऐसे में सरकार और बिजली वितरण निगम के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वे उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखते हुए इस मुद्दे का समाधान खोजें, ताकि वित्तीय संकट भी दूर हो सके और उपभोक्ताओं को भी राहत मिल सके।