पर्यटकों के लिए ये है खुशखबरी
लातेहार गारू पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बारेसांढ़ गांव में वुलेन नेक स्टार्क सारस पक्षी देखने को मिल रहा है, जिसे लोग हर साल देखते हैं. लेकिन, इस बार कुछ खास हुआ है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पक्षी ऊनी गर्दन वाला सारस है. यहां तीन-चार महीने के लिए आता है. हर साल और सेमर के पेड़ पे हमेशा अपना घोंसला बनते है।
बब्लू खान
पलामू:-झारखंड को प्रकृति ने बड़े ही खूबसूरती से सजाया है. यहां के जंगलों का लुत्फ लेने सैलानियों के अलावा अनोखे पक्षी भी आते हैं. वहीं, इन दिनों पलामू टाइगर रिजर्व में एक अनोखा पक्षी देखने को मिल रहा है. लोग इसे देख रोमांचित हो रहे हैं. इस पक्षी को पहली बार देखने वाले हैरान भी हैं, क्योंकि इसके गले में ऊन है. ऊनी गर्दन वाला ये पक्षी झारखंड में कैसे पहुंचा,
पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बारेसांढ़ गांव में वुलेन नेक स्टार्क देखने को मिल रहा है, जिसे लोग हर साल देखते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पक्षी ऊनी गर्दन वाला सारस है. यहां तीन-चार महीने के लिए आता है. इन दिनों ये पक्षी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना है. ग्रामीण भी इस पक्षी के साथ घुलमिल जाते हैं. इस बार इस पक्षी ने यहां एक विशाल सेमर के पेड़ पर घोंसला बनाया है और उसमें बच्चे भी आ गए हैं. ऐसा पहली बार हुआ है.
चार महीने बनाता है ठिकाना
आगे ग्रामीणों ने बताया कि ये पक्षी जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर चार महीने गारू बारेसांड क्षेत्र हर वर्ष म देखा जाता है बरसात के . इसी सीजन में कीड़े-मकोड़े बहुतायत में जंगलों में पनपते हैं. अपने भोजन के लिए वो इस इलाके को ठिकाना बनाता है, ताकि भोजन मिल सके और बच्चों को खिला सके.।
सांप छिपकीली भी खाता है ये पक्षी
आगे बताया कि ये पक्षी ज्यादातर धान के खेत और पानी वाले जगह पर देखने को मिलते हैं. इसका मुख्य भोजन रेप्टाइल्स, छिपकली, कीड़े-मकोड़े और सांप है. सबसे खास बात ये कि अब ये पक्षी काफी कम संख्या में हैं. जिस कारण कम देखने को मिलते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में इस पक्षी को बहुत बार देखा गया है. मगर ये पहली बार है कि इसने यहां बच्चे दिए हैं. ये खुशखबरी है. वास्तव में ये पक्षी मनुष्य के नजदीक कम आता है. अब इस क्षेत्र में बच्चा देने से इसकी बढ़ोतरी होगी. और पर्यटकों के लिए भी ये एक नई चीज होगी
विदेशी नहीं है ये पक्षी
वाइल्ड लाइफ जानकर बताते है कि ये बेहद खुशी की बात है कि सारस ने यहां बच्चे दिए हैं. इसका मतलब ये कि हमारा जंगल अब भी जिंदा है. उन्होंने बताया कि वुलेन नेक स्टार्क की दो प्रजाति अफ्रीकन और एशियन है, जिसकी पीठ का रंग काला होता है. पंख गहरे हरे और बैंगनी के होते हैं. गर्दन में सफ़ेद पट्टी बनी होती है. जब ये उड़ान भरता है तो पंखों पर धारियां दिखाई देती हैं. इससे इसकी खूबसूरती देखने लायक होती है. ये पक्षी भारत से लेकर बर्मा और इंडोनेशिया तक फैले हैं. ये कोई विदेशी नहीं हैं, न ही साइबेरियन हैं. ये अपने पक्षी हैं, जो काफी कम संख्या में हैं.