
संवाददाता
लातेहार :अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत समिति के द्वारा उपायुक्त के माध्यम से झारखंड के मुख्यमंत्री का नाम पत्र दिया गया। जिसमें मांग किया गया है, मिलावट दूध पर रोक लगे ,बाजार में बिक रही जंक फूड पर रोक लगे, जिससे लोग बीमार पड़ रहे हैं । स्वास्थ्य खराब हो रहा है । आने वाला समय लोगों के लिए आफत बन जाएगा। ज्ञात हो कि अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत स्वयंसेवी संगठन है। पिछले पचास वर्षों से संगठन ग्राहक जागरण, प्रशिक्षण एवं ग्राहक समस्या समाधान के क्षेत्र में देश के 400 से अधिक जिलों से कार्य कर रहा है। यह वर्ष संगठन पूरे देश में अपना “स्वर्णजयंती वर्ष” मना रहा है। इस उपलक्ष्य में आम नागरिकों के स्वास्थ्य के विषय को लेकर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत कार्यरत है।ग्राहक पंचायत के संगठन प्रभारी डॉ चंदन कुमार सिंह ने कहा कि एफएसएसएआई के अनुसार देश भर में लगभग 70प्रतिशत दूध के नमूनों को मिलावटी पाया गया। कुछ राज्यों में तो 100प्रतिशत दूध के नमूने एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित दूध मानकों के अनुरूप नहीं थे।14प्रतिशत नमूनों में डिटर्जेंट पाया गया। एफ.एस.एस.ए.आई. ने कुल 1791 नमूने का परीक्षण किया, जिनमें 46प्रतिशत दूध जल मिलावट के कारण कम सॉलिड नॉन फैट की श्रेणी के थे, और लगभग 548 नमूर्ना में स्कीम मिल्क पाउडर की उपस्थिति पाई गई जिनमें से 477 नमूनों में ग्लूकोज पाया गया। सिंथेटिक और मिलावटी दूध और दूध के उत्पाद यूरिया, डिटर्जेंट, रिफाइंड तेल, कास्टिक सोडा, बोरिक एसिड, आदि का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं।कहा कि अपने जिले में भी दूध का उत्पादन और मांग में भारी अंतर है, इसे लेकर व्यापारी दूध में मिलावट करते है। इसी कारण बच्चे और आम नागरिक बीमारियों का शिकार बनते हैं। जिले की तरफ से इस पर रोक लगने हेतु पर्याप्त संसाधनों की कमी के कारण मिलावट करनेवाले व्यापारियों को खुला बाजार मिलता है। ऐसे व्यापारियों पर कठोर कार्रवाई न होने के कारण यह मिलावट का व्यापार बिना रोक-टोक फैलता है। आम नागरिक के पास दूध की शुद्धता हेतु न तो समय है, ना ही संसाधन। अतः जो भी दूध जनता को मिलता है, उसी का उपयोग करते है।