
अग्रगति ने सभी राजनीतिक दलों से इसे चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने की अपील किया
बाल विवाह के खिलाफ अभियान में महिला सदस्य।
दानिश पटेल की रिपोर्ट,
गोला:- रामगढ़ जिला को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के सौजन्य से अग्रगति संस्था लगातार प्रयासरत है। एक साल के भीतर संस्था ने बाल विवाह के मुद्दे पर एक नया क्रांति लाने का प्रयास किया है। परिणाम यह हुआ कि पूरे जिले में पांच सौ से भी अधिक बाल विवाह रोके गए है। जिससे यह पता चलता है कि जिले में काफी संख्या में बाल विवाह हो रहे है। जिसमे संस्था के महिला कार्यकर्ता निशा कुमारी और कविता कुमारी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। संस्था ने अठारह वर्ष की उम्र तक सभी बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा देने की मांग की है। तभी 2030 तक देश से बाल विवाह के खत्म किया जा सकता है। अग्रगति के परियोजना पदाधिकारी किरण शंकर दत्त ने बताया कि विशाल नेटवर्क और जमीनी स्तर पर सूचना तंत्र के माध्यम से पूरे देश में कुल पांच प्रतिशत बाल विवाह रुकवाने में कामयाबी हासिल की है। दुनिया के तमाम देश संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों यानी एसडीजी के तहत 2030 तक बाल विवाह और जबरन विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल करने की प्रतिबद्धता जता चुके हैं। बताया गया कि 18 वर्ष से पहले पढ़ाई छोड़ने और बाल विवाह में एक सीधा और स्पष्ट अंतरसंबंध है। बाल विवाह के खात्मे के लिए पूरे देश में 160 गैर सरकारी संगठन अभियान चला रहे है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जारी एक शोधपत्र “एजुकेट टू इंड चाइल्ड मैरिज : एक्सप्लोरिंग लिंकेजेज एंड रोल ऑफ एजुकेशन इन एलिवेटिंग एज ऐट मैरिज फॉर गर्ल्स इन इंडिया” में उजागर हुआ कि भारत में बाल विवाह मुक्त 2030 तक खात्मे की राह में टिपिंग प्वाइंट की तरफ बढ़ रहा है। टिपिंग प्वाइंट वह बिंदु है जहां से बाल विवाह अपने आप खत्म हो जाएगा। ऐसे में यदि 18 वर्ष की उम्र तक मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा एक वास्तविकता बन जाए तो बाल विवाह के अपराध को जड़मूल से समाप्त करने की इस लड़ाई को एक नई धार और दिशा मिल जाएगी।
देश में पच्चास हजार बाल विवाह रोके गए

पूरे देश मे पिछले छह महीनों के दौरान ही देश में पच्चास हजार से ज्यादा बाल विवाह रोके हैं। जबकि दस हजार से ज्यादा मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है। अग्रगति के परियोजना पदाधिकारी किरण शंकर दत्त ने आगे बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (एनएचएफएस 019-21) के अनुसार देश में 20 से 24 आयुवर्ग की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 वर्ष की होने से पहले ही हो जाता है। जबकि 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार हर तीन में से दो लड़कियों का विवाह 15 से 17 की उम्र के बीच हो जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि कुल 52 लाख में से 33 लाख लड़कियों का विवाह उनके 18 वर्ष की होने से पहले ही हो गया।
राजनीतिक दलों को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग

राज्य सरकार ने इस सामाजिक अपराध के खात्मे में प्रशंसनीय इच्छाशक्ति व गंभीरता दिखाई है, फिर भी बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई को धार देने के लिए कुछ और अहम कदम उठाने की दरकार है। बाल विवाह के खात्मे के लिए 18 वर्ष तक अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा का कदम परिवर्तनकारी साबित हो सकता है। इसलिए सभी राजनीतिक दलों से अपील किया गया है कि वे हमारी इस मांग को आगामी लोकसभा के अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करें।
वर्तमान में बाल विवाह की स्थिति
जानकारी के अनुसार महिला साक्षरता दर और बाल विवाह की दर के अंतरसंबंधों को रेखांकित किया गया है। 96 प्रतिशत महिला साक्षरता वाले केरल में बाल विवाह की दर सिर्फ छह प्रतिशत है ।जबकि राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत है। इसी तरह 93 प्रतिशत महिला साक्षरता वाले राज्य मिजोरम में बाल विवाह की दर सिर्फ आठ प्रतिशत है। इसके उलट बिहार में जहां महिला साक्षरता की दर सिर्फ 61 प्रतिशत है, बाल विवाह की दर 41 प्रतिशत है। मध्य प्रदेश जहां कि महिला साक्षरता दर 67.5 प्रतिशत है, वहां बाल विवाह की दर 23.1 प्रतिशत है। जबकि 73.8 प्रतिशत महिला साक्षरता वाले हरियाणा में बाल विवाह की दर काफी कम 12.5 प्रतिशत है। शोधपत्र के अनुसार, “अध्ययन से यह स्पष्ट है कि शिक्षा तक पहुंच के विस्तार से लड़कियों के विवाह की उम्र आगे खिसकती है। जिसके सकारात्मक नतीजे बेहतर आर्थिक-सामाजिक स्थिति और लैंगिक समानता के रूप में सामने आते हैं।