नई दिल्ली (Rns): नई आपराधिक संहिता के तहत हिट-एंड-रन मामलों में सजा 2 साल से बढ़ाकर 10 साल किए जाने के खिलाफ ट्रांसपोर्टरों का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन केंद्र के आश्वासन के बाद खत्म हो गया कि वह इसे लागू करने से पहले उनके साथ चर्चा करेगी। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला से मुलाकात की। बैठक के दौरान भल्ला ने उन्हें बताया कि नए कानून के तहत प्रावधानों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है। उन्होंने उन्हें यह भी आश्वासन दिया कि मंत्रालय इसे लागू करने से पहले एआईएमटीसी के साथ चर्चा करेगा। इस आश्वासन के बाद कि प्रावधानों को लागू करने से पहले चर्चा की जाएगी, एआईएमटीसी ने ड्राइवरों से हड़ताल खत्म करने की अपील की। एआईएमटीसी के चेयरमैन मलकीत सिंह बल के मुताबिक, नए कानून की धारा 106 (2) में ‘हिट-एंड-रन’ मामलों में 10 साल तक की कैद और 7 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। ट्रांसपोर्टर और ट्रक ड्राइवर इस प्रावधान का विरोध कर रहे हैं और उनकी मांग है कि इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को अपनी सहमति दे दी है और इसे 26 जनवरी से पहले अधिसूचित किया जा सकता है। गृह मंत्रालय का कहना है कि इस बदलाव से एक ऐसी प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसके जरिए कोई भी पीड़ित 3 साल के अंदर न्याय पा सकेगा।
ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट देने की मांग पर फैसला आज, मस्जिद पक्ष ने की थी आपत्ति
वाराणसी (Rns) : ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) सर्वे की रिपोर्ट वादी महिलाओं और उनके वकील को देने की मांग को लेकर दाखिल प्रार्थना पत्र पर अदालत बुधवार को आदेश दे सकती है। इस मामले में पक्षकारों की बहस सुनने के बाद जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने आदेश के लिए तीन जनवरी की तारीख तय की थी। एएसआइ ने ज्ञानवापी में चार अगस्त से दो नवंबर तक चले सर्वे की रिपोर्ट अदालत में 18 दिसंबर को दाखिल की थी। शृंगार गौरी मुकदमे की तीन वादी महिलाओं सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास की ओर से उनके वकीलों सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, दीपक सिंह की ओर से अदालत में प्रार्थना पत्र देकर सर्वे रिपोर्ट ई-मेल के जरिये देने की मांग की। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने की मांग की गई। अगली सुनवाई पर मस्जिद पक्ष की ओर से एक और प्रार्थना पत्र दिया गया। इसमें कहा गया कि सर्वे रिपोर्ट किसी को भी नहीं दी जानी चाहिए। मगर अदालत मंदिर पक्ष के वकीलों को रिपोर्ट देने निर्णय करती है तो अंजुमन इंतेजामिया के वकील एखलाक अहमद को भी उपलब्ध कराई जाए। ज्ञानवापी स्थित व्यास जी का तहखाना जिलाधिकारी को सौंपने की मांग को लेकर दाखिल मुकदमे में पक्षकार बनने की स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ पक्ष के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की अपील पर भी बुधवार को आदेश आ सकता है। जिला जज ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा है। पंडित सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र कुमार पाठक की ओर से दाखिल मुकदमे में पक्षकार बनने के लिए वकील विजय शंकर रस्तोगी ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था।
दिल्ली शराब घोटाला मामला : अरविंद केजरीवाल आज भी ED के समक्ष नहीं होंगे पेश, AAP ने कहा- नोटिस ही गैर कानूनी है
नई दिल्ली (Rns) : दिल्ली शराब कांड में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज यानी बुधवार को ईडी के सामने पेश नहीं होंगे। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ईडी को जवाब भेजा है कि वह आज भी ईडी दफ्तर नहीं जाएंगे और पूछताछ में शामिल नहीं होंगे। इसकी जानकारी आम आदमी पार्टी ने दी है। बता दें कि ईडी ने दिल्ली शराब घोटाला केस में आज यानी 3 जनवरी को पूछताछ के लिए अरविंद केजरीवाल को तीसरी बार समन जारी किया था। ईडी के तीसरे समन पर आम आदमी पार्टी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ईडी की जांच में सहयोग करने को तैयार हैं, लेकिन ईडी का नोटिस गैर कानूनी है। इनकी नीयत अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने की है। यह अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार करने से रोकना चाहते हैं। आप ने सवाल उठाया कि आखिर ठीक चुनाव से पहले ही यह नोटिस क्यों जारी किया गया? आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भेजा गया यह तीसरा नोटिस है। इससे पहले उन्हें दो नवंबर और 21 दिसंबर को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने एजेंसी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया था। ईडी के द्वारा अरविंद केजरीवाल को दिल्ली सरकार की पूर्व आबकारी नीति भ्रष्टाचार मामले में दो नवंबर को पूछताछ के लिए पहला समन भेजा गया था, लेकिन वो पूछताछ की प्रक्रिया में हिस्सा लेने नहीं आए थे। दरअसल, दिल्ली का उत्पाद शुल्क नीति घोटाला जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना को दायर की गई एक रिपोर्ट पर आधारित है। पांच पेज की रिपोर्ट में उन्होंने दिल्ली शराब नीति के निर्माण में कथित प्रक्रियात्मक खामियों की ओर इशारा किया था। नरेश कुमार ने आरोप लगाया कि तत्कालीन उत्पाद शुल्क मंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा ‘मनमाने और एकतरफा फैसले’ लिए गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि नई नीति से सरकारी खजाने को वित्तीय नुकसान हुआ, जबकि कुछ आप नेताओं और मंत्रियों को ‘रिश्वत’ मिली। इस मामले को सीबीआई ने अपने हाथ में ले लिया और फरवरी में मनीष सिसौदिया को गिरफ्तार कर लिया गया। इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू को देखने के लिए जांच सीबीआई से ईडी ने अपने हाथ में ले ली।