बरवाडीह लातेहार जिले में हुई हाल सर्वे में गड़बड़ी का खामियाजा मूल रैयतों को भुगतना पड़ रहा है। जिसे लेकर रैयतों में खासा आक्रोश देखा जा रहा है। वहीं रैयत आपस में लड़ भिड़ रहे है, और खून खराबा तक की संभावना उत्पन्न हो गई है। ताजा मामला जिले के बरवाडीह प्रखण्ड से आया है। जहां भूमि के मूल रैयत नागेंद्र प्रसाद ने बताया कि बरवाडीह अंचल अंतर्गत छेंचा के टिकवाटोला में उनकी दस एकड़ रैयती जमीन हैं, जो कि 1955 में रजिस्ट्री द्वारा खरीदी गई हैं। जिसका सरकारी रसीद 2015 तक कटा हुआ है। जिसका पुराना खाता नंबर 524/799 रकवा 10 एकड़ है, और वर्तमान में मेरे दखल कब्जे में भी हैं। लेकिन हाल सर्वे में हुई गड़बड़ी के उपरांत उक्त भूमि का नया खाता संख्या 252, प्लॉट नंबर 1189 और रकवा 6.15 एकड़ है। वर्तमान में जिसका रसीद भी ऑनलाइन कट रहा है। लेकिन मेरी 10 एकड़ जमीन से 3.85 एकड़ जमीन जोहन तिग्गा उर्फ जोहन बाखला एवं उसके वारिश वगेरह के नाम से खाता खुल गया है। जिसका खाता नंबर 57, प्लॉट नंबर 1489/2034 aurnरकवा 4.85 एकड़ दर्शाया गया है, जो कि पूरी तरह गलत है, क्योंकि वह जमीन मेरे पुराने खतियान में पड़ता है। नागेंद्र प्रसाद ने आगे बताया कि वर्ष 2007 में मैने सरकारी अमीन के द्वारा अपनी जमीन का सीमांकन कराया था। जिसमें 15 डिसमिल जमीन मेरा सड़क में चला गया था, जो कि सीमांकन दस्तावेज में अमीन के द्वारा दर्शाया गया था। वर्तमान में उक्त जमीन के चौड़ीकरण का कार्य पीडब्ल्यूडी विभाग से कराया गया। जिसमें करीब 50 डिसमिल जमीन सड़क में अधिग्रहण होने की संभावना है। उधर सड़क निर्माण कार्य से पूर्व पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों के द्वारा भू अर्जन विभाग के माध्यम से जमीन का उचित मुआवजा दिए जाने की बात कही गई थी लेकिन अब मुआवजा सूची में हमारा नाम नहीं है। इसका मुख्य कारण हाल सर्वे में गड़बड़ी है। उन्होंने बताया कि अपनी अधिग्रहित की हुई जमीन के मुआवजा को लेकर उन्होंने पीडब्ल्यूडी विभाग, भू अर्जन विभाग और बरवाडीह अंचल अधिकारी को सभी दस्तावेजों के साथ आवेदन सौप कर पुराने खतियान के आधार पर मिलान करते हुए अपने जमीन का मुआवजा भुगतान कराने की मांग की है।