उधवा : शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने और बच्चों को विद्यालय की ओर आकर्षित करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से मध्यान भोजन (एमडीएम) योजना चलाई जा रही है। यह योजना न सिर्फ बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से है, बल्कि विद्यालयों में उनकी उपस्थिति बढ़ाने का भी एक अहम साधन मानी जाती है। लेकिन शनिवार को उधवा प्रखंड क्षेत्र के पीएम श्री मध्य विद्यालय नया बाजार में इस योजना की पोल खुल गई। विद्यालय में उपस्थित बच्चों के लिए मध्यान भोजन नहीं बनाया गया, जिसके कारण सैकड़ों बच्चे भूखे ही घर लौट गए।
जानकारी के अनुसार, विद्यालय में कुल 843 बच्चे नामांकित हैं। शनिवार को लगभग ढाई सौ बच्चे उपस्थित थे। लेकिन दोपहर 12:30 बजे जब संवाददाता विद्यालय पहुंचे तो देखा गया कि रसोई घर में ताला लटक रहा था और भोजन बनाने की कोई तैयारी नहीं की गई थी। बच्चों से पूछताछ में पता चला कि उस दिन एमडीएम नहीं बना। कुछ बच्चों ने यह भी कहा कि जब भी भोजन बनता है तो अक्सर मेनू के अनुसार नहीं बनता, जिससे वे निराश रहते हैं। यह स्थिति साफ तौर पर विद्यालय प्रबंधन समिति और जिम्मेदार पदाधिकारियों की लापरवाही को दर्शाती है।
सरकार की ओर से करोड़ों रुपये खर्च कर चलाई जा रही इस योजना में स्थानीय स्तर पर मनमानी और लापरवाही से बच्चों को सीधे-सीधे नुकसान उठाना पड़ रहा है। विद्यालय प्रबंधन समिति पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर क्यों बच्चों को भूखा लौटना पड़ा।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले पर पूछे जाने पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) रॉबिन चंद्र मंडल ने कहा कि यदि विद्यालय में मध्यान भोजन नहीं बनाया गया है तो यह गंभीर लापरवाही है। सोमवार को विद्यालय खुलने के बाद मामले की जांच की जाएगी। जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आश्वस्त किया कि बच्चों के साथ किसी भी तरह की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
क्या कहते हैं प्रधानाचार्य
विद्यालय के प्रधानाचार्य दिलीप कुमार ने इस पर अलग सफाई दी। उन्होंने बताया कि सुबह रसोइया खाना बनाने के लिए विद्यालय आई थी। लेकिन बीते 5 सितंबर को शिक्षक दिवस की छुट्टी रहने के कारण छात्रों ने 6 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया। प्रधानाचार्य के अनुसार, छात्रों ने शिक्षक दिवस के कार्यक्रम के दौरान स्वयं ही कहा कि वे आज भोजन नहीं करेंगे। इसी वजह से एमडीएम नहीं बनाया गया।
बच्चों की पीड़ा
हालांकि, बच्चों की बात कुछ और ही बयां करती है। छात्रों ने कहा कि उन्हें बिना कारण बताए भोजन से वंचित कर दिया गया। इससे वे निराश होकर विद्यालय की छुट्टी के बाद घर लौट गए। बच्चों का कहना है कि अक्सर उन्हें मेनू के हिसाब से खाना नहीं मिलता। कभी-कभी सिर्फ चावल पकाकर दे दिया जाता है, तो कभी दाल या सब्जी की कमी रहती है। यह स्थिति बच्चों के स्वास्थ्य और उनके अधिकार दोनों के साथ खिलवाड़ है।