अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के अवसर पर ग्रामीणों को मिली नई दिशा
DUMKA/चोरखेड़ा (झारखंड) : अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के उपलक्ष्य में नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) ने चोरखेड़ा ग्राम पंचायत में सहकारी साक्षरता शिविर का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय निवासियों को सहकारिता के लाभों और सिद्धांतों के बारे में शिक्षित करना, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना और सामुदायिक विकास को सशक्त बनाना था।
कार्यक्रम में गणमान्य लोगों की उपस्थिति
शिविर में नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक शुभेंदु कुमार बेहरा, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) के सहायक प्रबंधक जयंत शर्मा, चोरखेड़ा ग्राम पंचायत के पूर्व मुखिया नरेश कोलकाता, पंचायत सचिव पंकज सिन्हा और चोरखेड़ा लैम्प्स के अध्यक्ष मंदू मरांडी मौजूद थे। इसके अलावा, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के व्यक्तिगत व्यवसाय संवाददाता भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष का महत्व
संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है। इसका मुख्य उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में सहकारी समितियों की अहम भूमिका को उजागर करना है। नाबार्ड का यह आयोजन इसी वैश्विक दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है, जिसमें किसानों और ग्रामीण समुदायों को सहकारी समितियों के माध्यम से आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
नाबार्ड के अधिकारियों ने बताया कि सहकारी समितियाँ केवल वित्तीय लेन-देन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक एकता, साझा जिम्मेदारी और सामुदायिक विकास की मजबूत नींव रखती हैं।
सहकारिता के सिद्धांतों पर जानकारी
शिविर में लगभग 50 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। उन्हें सहकारिता के मूल्यों, सिद्धांतों और लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
- नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक शुभेंदु कुमार बेहरा और लैम्प्स सचिव पंकज सिन्हा ने प्रतिभागियों को बताया कि सहकारिता कैसे समावेशी विकास को बढ़ावा देती है, ग्रामीण आजीविका में सुधार लाती है और सामुदायिक लचीलापन को मजबूत बनाती है।
- वक्ताओं ने यह भी समझाया कि सहकारी समितियाँ न केवल किसानों को उचित दाम पर संसाधन उपलब्ध कराती हैं, बल्कि उन्हें ऋण, बीमा और विपणन जैसी सुविधाएँ भी मुहैया कराती हैं।
सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर चर्चा
आईपीपीबी के सहायक प्रबंधक श्री जयंत शर्मा और बैंकिंग संवाददाताओं ने ग्रामीणों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बारे में जागरूक किया। उन्होंने प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना और जन-धन योजना जैसी योजनाओं की जानकारी दी और समझाया कि इन योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण परिवार वित्तीय रूप से सुरक्षित हो सकते हैं।
शिविर के दौरान यह भी बताया गया कि डिजिटल भुगतान और बैंकिंग सेवाएँ अब गाँव-गाँव तक पहुँच चुकी हैं। संवाददाताओं ने ग्रामीणों को मोबाइल बैंकिंग और डिजिटल लेन-देन के लाभों के बारे में जागरूक किया।
ग्रामीणों की उत्साही भागीदारी
कार्यक्रम में उपस्थित ग्रामीणों ने सहकारिता से जुड़ी समस्याओं और संभावनाओं पर सवाल पूछे। कई प्रतिभागियों ने अनुभव साझा किया कि सहकारी समितियों से उन्हें खेती-बारी में लाभ हुआ है। वहीं, कुछ ने सुझाव दिया कि यदि सहकारी समितियों को और अधिक प्रशिक्षण तथा संसाधन दिए जाएँ तो वे ग्रामीण विकास की रीढ़ साबित हो सकती हैं।
ग्रामीणों ने विशेष रूप से इस बात की सराहना की कि नाबार्ड और आईपीपीबी जैसे संस्थान गांवों में आकर सीधे संवाद कर रहे हैं और उन्हें नई योजनाओं और सुविधाओं के बारे में बता रहे हैं।
नाबार्ड की प्रतिबद्धता
नाबार्ड ने इस शिविर के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की कि संस्था ग्रामीणों को सिर्फ वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह उन्हें ज्ञान और कौशल से भी सशक्त बनाना चाहती है।
- नाबार्ड का उद्देश्य सहकारी समितियों को मजबूत बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक असमानता को कम करना है।
- संस्था का मानना है कि यदि ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारिता को मजबूत किया जाए तो न केवल किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक विकास जैसे क्षेत्रों में भी सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं।
सहकारिता आंदोलन को मिलेगा बल
नाबार्ड के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि आने वाले समय में ऐसे साक्षरता शिविरों का आयोजन और भी पंचायतों और प्रखंडों में किया जाएगा। संस्था का लक्ष्य है कि हर ग्रामीण परिवार सहकारी आंदोलन से जुड़ सके और इसका लाभ उठा सके।