
प्रेम कुमार साहू की रिपोर्ट,
घाघरा:- झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना घाघरा में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। योजना के तहत लाभुकों को अच्छी नस्ल के पशु देने के बजाय कमजोर और बीमार सुअरों का वितरण किया गया। परिणामस्वरूप, कई लाभुकों के सुअर दो दिन के भीतर ही मर गए।
झारखंड सरकार इस योजना के तहत पशुपालकों को सरकारी अनुदान पर पशु उपलब्ध कराकर उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने का प्रयास कर रही है। लेकिन घाघरा प्रखंड में इस योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई है। लाभुकों को प्रखंड कार्यालय में अच्छी नस्ल के सुअरों के साथ फोटो खिंचवाने के बाद, उनके घरों पर छोटे और बीमार सुअर भेज दिए गए।
लाभुकों ने जताई नाराजगी, ठगी महसूस कर रहे किसान
निर्मला उरांव:
घाघरा की लाभुक निर्मला उरांव ने बताया कि प्रखंड कार्यालय में अच्छे नस्ल के सुअर के साथ उनकी तस्वीर ली गई थी, लेकिन घर पर कमजोर और बीमार सुअर भेज दिए गए। जब उन्होंने इसकी शिकायत पशुपालन पदाधिकारी डॉ. सीमा एक्का से की, तो उन्होंने सुअरों को बदलने का आश्वासन दिया। लेकिन इससे पहले ही उनके दो सुअरों की मौत हो गई। निर्मला उरांव ने यह भी बताया कि उन्हें यह योजना लेने के लिए ₹14,400 का भुगतान करना पड़ा था, लेकिन अब वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही हैं।
नीमा देवी:
लाभुक नीमा देवी ने बताया कि उन्होंने एक साल पहले ₹14,400 का भुगतान किया था, लेकिन इतने समय बाद भी उन्हें केवल छोटे और बीमार सुअर मिले। उनका एक सुअर बीमार है और खाना-पीना भी नहीं कर रहा, जिससे यह साफ है कि उन्हें दूध पीने वाले छोटे सुअर दे दिए गए हैं।
विनीता देवी:
दोदांग की लाभुक विनीता देवी ने बताया कि उन्हें भी कमजोर और बहुत छोटे सुअर मिले, जिससे उनका एक सुअर मर गया।
विभाग का जवाब – सुअरों को वापस लेकर दोबारा वितरण होगा
इस मामले में जब प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ. सीमा एक्का से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि गाड़ी का डाला लगे होने के कारण वह सुअरों को ठीक से देख नहीं पाईं। उन्होंने कहा कि यदि लाभुकों को कमजोर और बीमार सुअर मिले हैं, तो सभी वितरित सुअरों को वापस लेकर दोबारा स्वस्थ सुअरों का वितरण किया जाएगा।
भ्रष्टाचार से योजना की साख पर सवाल
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना का उद्देश्य पशुपालकों की आय बढ़ाना और रोजगार देना था, लेकिन घाघरा में इसे भ्रष्टाचार और अनियमितता ने कमजोर कर दिया है। कागजी हेराफेरी कर लाभुकों को कमजोर पशु देने और सरकारी राशि की बंदरबांट का आरोप लग रहा है। अब यह देखना होगा कि विभाग इस घोटाले पर क्या कार्रवाई करता है और किसानों को उनका हक कैसे मिलता है।