
रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) अपने राजनीतिक विस्तार की नई रणनीति पर काम कर रहा है। इस दिशा में पार्टी 13 से 15 अप्रैल तक महाधिवेशन का आयोजन करेगी, जिसमें भविष्य की नीतियों और योजनाओं पर मंथन होगा। पार्टी अब क्षेत्रीय दल की छवि से बाहर निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की तैयारी में जुट गई है। इसके तहत झारखंड से बाहर दिल्ली, पश्चिम बंगाल, असम और छत्तीसगढ़ में संगठन विस्तार की योजना पर काम किया जा रहा है।
दिल्ली में खुलेगा जेएमएम का कार्यालय
जेएमएम साल के अंत तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपना कार्यालय खोलने की तैयारी कर रहा है। इससे पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती मिलेगी और देशभर में अपनी नीतियों को प्रभावी ढंग से रखने का मंच मिलेगा। जेएमएम का फोकस झारखंड से सटे राज्यों में संगठन को मजबूत करना और वहां अपनी राजनीतिक पकड़ बनाना है।
महाधिवेशन में होगी बड़े फैसलों की घोषणा
महाधिवेशन के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मिलकर संगठन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की रणनीति बनाएंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस अधिवेशन में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे, जिनमें नए राज्यों में संगठन निर्माण, सदस्यता अभियान और राजनीतिक गठजोड़ जैसे विषय प्रमुख होंगे।
झारखंड से बाहर विस्तार की योजना
जेएमएम झारखंड में सत्ताधारी दल होने के साथ ही अब पड़ोसी राज्यों में भी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। पश्चिम बंगाल, असम और छत्तीसगढ़ में संगठन निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इन राज्यों में आदिवासी और मूलवासी समुदायों के बीच पार्टी की पकड़ को मजबूत करने की योजना बनाई जा रही है। पार्टी का मानना है कि इन राज्यों में उसकी विचारधारा और नीतियों को समर्थन मिल सकता है।
राष्ट्रीय पार्टी बनने की दिशा में बढ़ते कदम
जेएमएम अब केवल एक क्षेत्रीय दल तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि खुद को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की कोशिश में है। महाधिवेशन में इस दिशा में औपचारिक प्रस्ताव पास किया जा सकता है। इसके लिए पार्टी अपने जनाधार को बढ़ाने और अन्य राज्यों में सक्रिय राजनीति में उतरने की रणनीति बना रही है।
जेएमएम का यह महाधिवेशन पार्टी के भविष्य की दिशा तय करेगा और राष्ट्रीय राजनीति में उसकी भूमिका को मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।