बरहड़वा, । पतना के छाता डंगाल मैदान में मंगलवार को परंपरागत छाता मेला धूमधाम से आयोजित किया गया। मेला में दुलमपुर, धरमपुर, बरमसिया, आमडंडा पहाड़, चापांडे, बठाइल सहित आसपास के दर्जनों गांवों के महिला-पुरुष बड़ी संख्या में पहुंचे।
भीड़भाड़ और उत्साह से पूरा मैदान गुलजार रहा। करीब सौ वर्षों से आयोजित हो रहा यह मेला आदिवासी समाज की आस्था और परंपरा से जुड़ा है। भगवान सूर्य की उपासना को समर्पित इस अनोखे पर्व में बांस से बने छाता का विशेष महत्व है। यह छाता सूर्य की दिशा के अनुरूप गतिशील रहता है, जो प्राचीन काल में धूप घड़ी के आधार पर समय के महत्व को दर्शाता है।
परंपरागत पूजा-अर्चना स्थानीय पुजारी द्वारा की गई। मेला परिसर में लगे रंग-बिरंगे खिलौनों, मनिहारी की दुकानों, गोलगप्पे और मिठाई के स्टॉल आकर्षण का केंद्र बने रहे। महिलाएं, बच्चे और युवा जमकर खरीदारी करते और झूला-झूलते नजर आए।
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी जीवंत बनाए हुए है