
लातेहार/मनिका – प्रकृति प्रेम और संस्कृति के रंग में सराबोर आदिवासी समुदाय ने सरहुल पर्व को धूमधाम से मनाया। मनिका प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के ग्रामों से आए युवा-युवतियों ने मांदर, ढोल और नगाड़े की थाप पर पारंपरिक नृत्य करते हुए पूरे उत्साह के साथ इस पर्व को मनाया। मंगलवार को मनिका प्रखंड मुख्यालय के हाई स्कूल मैदान में सरहुल समिति द्वारा भव्य आयोजन किया गया, जहां हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया।
पारंपरिक वेशभूषा में सजी आदिवासी टोलियां
इस अवसर पर आदिवासी समुदाय के लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित होकर पहुंचे। कमर और पांव में घुंघरू बांधे युवक-युवतियों ने नृत्य प्रस्तुत कर समां बांध दिया। सरहुल समिति के प्रखंड अध्यक्ष नगेंद्र उरांव की देखरेख में आयोजित इस कार्यक्रम में मंच पर उपस्थित गणमान्य अतिथियों को सम्मानित किया गया। सम्मानित अतिथियों में प्रमुख प्रतिमा देवी, जीप सदस्य बलवंत सिंह, दरोगी प्रसाद यादव, सुरेंद्र पासवान, बलि यादव, विश्वनाथ पासवान, सुरेंद्र भारती, मनिका ग्राम प्रधान रजत कुमार, मुखिया देवेंद्र कुजूर, राजकिशोर उरांव, बहादुर उरांव, कामेश्वर प्रसाद यादव, वृंद बिहारी प्रसाद यादव, दिलेश्वर उरांव, रामनंदन उरांव, पंचायत समिति सदस्य उषा देवी सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। समिति के कार्यकर्ताओं ने अतिथियों का पगड़ी पहनाकर स्वागत किया।

सरना स्थल पर विधिवत पूजा-अर्चना
कार्यक्रम से पूर्व स्थानीय सरना स्थल पर विधिवत पूजा-अर्चना की गई। आदिवासी पुजारियों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ प्रकृति की आराधना की और सामूहिक रूप से मंगलकामना की। इसके बाद समिति के अध्यक्ष ने सभी उपस्थित अतिथियों के साथ हाई स्कूल मैदान से सरहुल का भव्य जुलूस निकाला।
जुलूस में उमड़ा जनसैलाब
जुलूस में प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के ग्रामों से आए आदिवासी समुदाय के लोगों ने भाग लिया। ढोल, मांदर और नगाड़े की थाप पर नृत्य करते हुए जुलूस हाई स्कूल मैदान से पंचफेड़ी चौक तक पहुंचा और वहां से पुनः हाई स्कूल मैदान लौटा। पारंपरिक गीतों और नृत्यों से सजी इस शोभायात्रा में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। इस दौरान हर मंडली ने अपने अनूठे नृत्य और प्रस्तुतियों से लोगों का मन मोह लिया।
प्रतिभागियों को किया गया पुरस्कृत
सरहुल महोत्सव के अंत में जुलूस में शामिल नृत्य मंडलियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कृत किया गया। उनकी नृत्य कला और संस्कृति को संरक्षित करने के प्रयासों को सराहा गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मनिका विधायक रामचंद्र सिंह भी शामिल हुए और उन्होंने इस आयोजन की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
संस्कृति और एकता का पर्व
सरहुल पर्व आदिवासी समुदाय के लिए केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ाव और सामूहिक एकता का प्रतीक भी है। यह पर्व सामाजिक सौहार्द्र, सांस्कृतिक संरक्षण और सामूहिक सहभागिता को बढ़ावा देता है। इस दौरान हर आयु वर्ग के लोग उल्लास और उमंग के साथ जश्न में डूबे नजर आए।