
अनुज तिवारी की रिपोर्ट,
संवाददाता:-सदर सदर मेदिनीनगर प्रखंड के सिंदुरिया निवासी इस्लाम खलीफा द्वारा मदरसे के लिए ज़कात और फितरा कलेक्शन किए जाने पर विवाद खड़ा हो गया था। नगर ऊटारी सदर तौहीद आलम खान और लातेहार सदर मोहम्मद हकीम अंसारी के आदेशानुसार वे कलेक्शन का कार्य कर रहे थे, लेकिन हैदरनगर के मौलाना अहमद अली खान ने उन पर शक जताते हुए उन्हें फ्रॉड करार दिया था।
मौलाना अहमद अली खान ने जताया संदेह
मौलाना अहमद अली खान ने आरोप लगाया कि इस्लाम खलीफा के पास ज़कात और फितरा कलेक्शन करने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं थे। उन्होंने कहा, “जब मैंने इस्लाम खलीफा से दस्तावेज़ दिखाने को कहा, तो वे उस समय मौजूद नहीं थे, जिससे शक गहराया।”
इस्लाम खलीफा ने दी सफाई
इस विवाद के बाद इस्लाम खलीफा ने अपनी सफाई पेश की। उन्होंने सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा, “मैं पूरी ईमानदारी से मदरसे के लिए ज़कात और फितरा कलेक्शन कर रहा था। मुझ पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। मेरे पास कलेक्शन का पूरा अधिकार है और मेरे पास सभी आधिकारिक दस्तावेज मौजूद हैं।”
गलतफहमी या साजिश?
इस्लाम खलीफा ने कहा कि यह विवाद सिर्फ एक गलतफहमी का परिणाम है, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह जानबूझकर किया गया षड्यंत्र हो सकता है। उन्होंने आगे कहा, “जो लोग मुझे गलत बता रहे थे, उन्होंने बाद में मेरे दस्तावेज़ों को स्वीकार कर लिया।”
मौलाना अहमद अली खान ने दिया स्पष्टीकरण
मौलाना अहमद अली खान ने बाद में सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने इस्लाम खलीफा को गलत नहीं ठहराया, बल्कि उनके पास मौके पर दस्तावेज़ न होने की वजह से संदेह जताया था। उन्होंने कहा, “मेरी मंशा केवल यह सुनिश्चित करने की थी कि ज़कात और फितरा सही जगह पहुंचे और इसका दुरुपयोग न हो।”
मुस्लिम समाज में विवाद की चर्चा
इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय मुस्लिम समाज में चर्चा तेज हो गई है। कई लोगों का मानना है कि इस तरह के आरोप लगाने से धार्मिक संगठनों की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि ज़कात और फितरा कलेक्शन को लेकर पूरी पारदर्शिता बनाए रखने की ज़रूरत है, ताकि कोई गलत व्यक्ति इसका दुरुपयोग न कर सके.