
- सुरक्षा को लेकर थाना प्रभारी ने किया चाक चौकस, चप्पे चप्पे पुलिस तैनात
सिमरिया:- अनुमण्डल मुख्यालय के सिमरिया चौक छठ महापर्व को लेकर सभी तरह का फलों और पूजा सामग्रियों से सज धज कर तैयार है। फलों में केला ,संतरा, सेव आदि सभी तरह का फल सभी दुकानदारों के पास मौजूद है। छठ महापर्व को लेकर सभी तरह के फल एवं पर्व पर चढाए जाने वाले सामग्री महंगी है। केला की बात करें तो 7 सौ रुपये कांधी, सेव 7 सौ पच्चास रुपये पेटी है। इस तरह सभी तरह के फलों की कीमत और दिन की अपेक्षा अधिक है। किन्तु पर्व होने के कारण फलों की खरीदारी बहुत काफी है। फलों और पूजा सामग्री की खरीदारी कल शाम 4 बजे तक खूब रहेगी। छठ पर्व को लेकर चौक पर रौनक बढ़ गयी है। वहीं भीड़ को नियंत्रित एवं सुरक्षा को लेकर सिमरिया थाना प्रभारी ने सभी जगह पुलिस के जवान तैनात कर दिया है। ताकि किसी तरह का अनहोनी ना हो सके।छठ महापर्व क्यों मनाया जाता हैछठ महापर्व नहाय खाय के साथ शुरुआत हो चुकी है।साथ हीं इस पर्व से मन आस्था से ओतप्रोत हो जाता है। चार दिनों कि छठ महापर्व के लिए महीनों पहले से तैयारियां होना शुरू हो जाता है। पर्व को लेकर उत्साह एवं उमंग इतना होता है कि इस व्रत की कठिनाई महसूस ही नहीं होती। पर्व में आस्था की एक नई ऊर्जा का संचार होने लगती है। महापर्व छठ की शुरुआत नहाय-खाय के साथ ही लोक आस्था का पर्व कहें या प्रकृति पर्व सूर्योपासना के पर्व की शुरुआत हो जाती है। चार दिनों तक चलने वाले यह महापर्व का समापन सोमवार सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य के साथ समाप्त हो जाती है। वैसे तो यह बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा झारखण्ड का प्रमुख पर्व है।लेकिन समय के साथ दूसरे प्रदेश के लोग भी अब इस महापर्व को मनाने लगे हैं। खासकर दिल्ली और एनसीआर में देश के विभिन्न हिस्से के लोग एक साथ एक ही घाट पर यह पर्व मनाते है।छठमहापर्व में छठ व्रतियों का 36 घंटे के करीब निर्जला उपवास रहते हैं,जो शनिवार को खरना के साथ शुरू होगा और सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद खत्म हो जाता है। मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य उपासना के लिए किया जाता है, ताकि पूरे परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहे। साथ ही यह व्रत संतान के सुखद भविष्य के लिए भी किया जाता है। मान्यता है कि छठ का व्रत करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। यह महापर्व चार दिन का होता है और छठ माई के लिए व्रत रखा जाता है। जिसमें पहला दिन नहाय खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते हीं समाप्त हो जाती है।
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