
रांची | 18 जून 2025
झारखंड में आखिरकार मानसून ने अपनी दस्तक दे दी है। दक्षिण-पश्चिम मानसून 17 जून को संताल परगना क्षेत्र के रास्ते राज्य में प्रवेश कर चुका है। इसके साथ ही राज्य के अधिकांश जिलों में रुक-रुक कर बारिश हो रही है। राजधानी रांची में बुधवार को अहले सुबह से ही वर्षा का सिलसिला जारी है, जिससे भीषण गर्मी से तो राहत मिली है लेकिन शहरी इलाकों में जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो गई है।
मौसम विभाग ने दी चेतावनी
मौसम विज्ञान केंद्र, रांची के वरीय वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने जानकारी दी कि मानसून के प्रवेश के साथ ही आने वाले दो-तीन दिनों तक राज्य के कई जिलों में अच्छी बारिश की संभावना है। कुछ स्थानों पर भारी बारिश को लेकर यलो और ऑरेंज नहीं, बल्कि रेड अलर्ट जारी किया गया है।
राज्य में इस बार मानसून सामान्य से बेहतर रहने के संकेत हैं। हालांकि वर्षा का वितरण सभी जिलों में एक समान नहीं रहेगा। कहीं अधिक तो कहीं कम वर्षा की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग ने साथ ही बिजली गिरने की आशंका को लेकर भी चेतावनी जारी की है और लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।
किन जिलों में रेड, ऑरेंज और यलो अलर्ट जारी
मौसम विभाग द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार:
- रेड अलर्ट: उत्तर-पूर्वी झारखंड के जिलों — देवघर, दुमका, गोड्डा, पाकुड़, जामताड़ा, गिरिडीह, धनबाद और साहिबगंज में 18 जून को भारी बारिश की संभावना को देखते हुए रेड अलर्ट जारी किया गया है।
- ऑरेंज अलर्ट: रांची, रामगढ़, हजारीबाग, गुमला, बोकारो और खूंटी जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना है।
- यलो अलर्ट: राज्य के दक्षिणी एवं उत्तर-पश्चिमी जिलों — पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा, लातेहार और लोहरदगा में भारी वर्षा के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है।
अभी तक सामान्य से 52% कम बारिश
राज्य में 1 जून से 17 जून तक केवल 31.9 मिमी वर्षा दर्ज की गई है, जबकि इस अवधि में सामान्य वर्षापात 67 मिमी होता है। यानी अब तक झारखंड में औसतन 52 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। मौसम विभाग को उम्मीद है कि मानसून के सक्रिय होने के साथ ही इस अंतर की भरपाई संभव हो सकेगी।
खेती और जलसंकट पर असर
झारखंड में करीब 80 प्रतिशत खेती मानसून पर ही निर्भर है। समय पर अच्छी वर्षा न होने से न केवल खेती प्रभावित होती है, बल्कि कई क्षेत्रों में पेयजल संकट भी उत्पन्न हो जाता है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि मानसून के समय से आगमन से किसान खुश हैं और खरीफ फसलों की बुआई में तेजी आएगी।
पिछले 10 वर्षों में नहीं हुई सामान्य वर्षा
मौसम विज्ञान केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में झारखंड में एक भी वर्ष ऐसा नहीं रहा जिसमें सामान्य वर्षापात हुआ हो। वर्ष 2013 में सामान्य वर्षा का जो आंकड़ा तय था, उसे समय के साथ कम किया गया, लेकिन तब भी उस लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका।
सावधानी है ज़रूरी
मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे खराब मौसम के दौरान अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें। खुले इलाकों, जलजमाव वाले क्षेत्रों और बिजली गिरने की संभावना वाले स्थानों से दूरी बनाए रखें।