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राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन: व्यावहारिक न्यायालय लातेहार में 14,100 वादों का निपटान, 5.87 करोड़ रुपए का सेटलमेंट

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राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन: व्यावहारिक न्यायालय लातेहार में 14,100 वादों का निपटान, 5.87 करोड़ रुपए का सेटलमेंट

लातेहार, 10 मई 2025 – झारखंड उच्च न्यायालय एवं झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त आदेशानुसार और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मनोज कुमार सिंह के मार्गदर्शन में आज व्यावहारिक न्यायालय लातेहार में राष्ट्रीय लोक अदालत का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का ऑनलाइन उद्घाटन झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष श्री सुजीत नारायण प्रसाद ने किया। लोक अदालत में 14,100 वादों का त्वरित निष्पादन किया गया तथा लगभग 5.87 करोड़ रुपये का सम्मिलित मुआवजा एवं सेटलमेंट प्रभावित पक्षों को प्रदान किया गया।

ऑनलाइन उद्घाटन एवं मुख्य संदेश

कार्यक्रम की शुरुआत उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश श्री सुजीत नारायण प्रसाद के ऑनलाइन उद्घाटन सत्र से हुई। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से न केवल देय वादों का शीघ्र निष्पादन सुनिश्चित होता है, बल्कि अपराजयता को कम करके न्याय की पहुँच आम जन तक विस्तार पाती है। उन्होंने न्यायिक पदाधिकारियों, जिला प्रशासन, अधिवक्ताओं और पीएलवी (पैरा लीगल वॉलेंटियर्स) का लोक अदालत में सक्रिय सहयोग सराहा तथा कहा:

“लोक अदालत में भाग लेने वाले सभी पक्षों को धन्यवाद। यह पहल समय एवं धन दोनों की बचत के साथ ही न्याय को शीघ्रता से पहुँचाने में निर्णायक भूमिका निभाती है।”

उन्होंने विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संचालित मुफ्त कानूनी जागरूकता कार्यक्रमों एवं नि:शुल्क परामर्श शिविरों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन पहलों से झारखंड में विधिक साक्षरता बढ़ी है, जो लोक अदालत की सफलता का मुख्य आधार है।

14,100 वादों का निष्पादन, 5.87 करोड़ रुपए का सेटलमेंट

राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लीटिगेशन एवं लंबित मामलों का समावेश करते हुए कुल 14,100 वादों का त्वरित निष्पादन किया गया। इनमें स्थायी वादों के साथ-साथ उन वादों का समावेश था, जो कानूनी प्रक्रियाओं में लम्बे समय से अटके हुए थे। आयोजन के दौरान लगभग 5 करोड़ 87 लाख रुपयों का समन्वित मुआवजा और सेटलमेंट पक्षकारों को देकर न्यायिक दायरों में वर्षों से प्रतीक्षित वित्तीय राहत प्रदान की गई।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार:

इस उपलब्धि के लिए जिला लातेहार के अधिवक्ता संघ, पीएलवी एवं न्यायालय कर्मचारियों ने अपना पूर्ण सहयोग दिया।

सखी मंडल को 16 लाख रुपये का चेक

कार्यक्रम में विशेष रूप से एस.जे.एल.पी.एस. (Jharkhand State Legal Services Authority) के तत्वावधान में संचालित ‘सखी मंडल’ को भी आर्थिक सहायता प्रदान की गई। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मनोज कुमार सिंह ने स्थानीय सखी मंडल के प्रतिनिधियों को ₹16,00,000 का चेक सौंपा।

श्री सिंह ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा:

“यह आर्थिक सहायता आपके सामूहिक उद्यमों और स्वयंरोजगार योजनाओं को सशक्त करेगी। इसे सही दिशा में उपयोग कर आप अपने परिवारों का जीवन स्तर ऊँचा उठाएँगी।”

सखी मंडल की सदस्याओं ने इस पहल के लिए न्यायालय और विधिक सेवा प्राधिकरण का आभार व्यक्त किया तथा आश्वासन दिया कि उपलब्ध राशि का प्रयोग स्वयं सहायता समूह की गतिविधियों के लिए किया जाएगा।

कानूनी जागरूकता प्रतियोगिताएं: प्रतिभाओं का उत्सव

राष्ट्रीय लोक अदालत के अवसर पर विधिक जागरूकता बढ़ाने हेतु जिला स्तर पर निबंध एवं पेंटिंग प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं। इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले छात्रों को सम्मानित किया गया:

यह कार्यक्रम झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संचालित 90-दिनी व्यापक जागरूकता अभियान के अंतर्गत आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य विधिक साक्षरता को बढ़ावा देना एवं युवा पीढ़ी में न्यायिक प्रक्रियाओं के प्रति जागरूकता लाना है।


उपस्थित गणमान्य अतिथि एवं कार्यक्रम संचालन

कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथियों एवं अधिकारियों की सूची इस प्रकार रही:

कार्यक्रम का संचालन उप-न्यायाधीश तथा लोक अदालत संयोजक प्रणव कुमार ने किया, जिन्होंने पूरे आयोजन को सुव्यवस्थित रूप से संचालित किया। लोक अदालत के दौरान प्रतिनिधियों ने तकनीकी सहायता, लॉजिस्टिक्स और प्रशासनिक समन्वय में भरपूर योगदान दिया।

लोक अदालत की विशेषताएँ एवं लाभ

राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन एक समन्वित न्यायिक सुधार पहल है, जिसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:

  1. तत्काल निष्पादन: लंबित और प्री-लीटिगेशन मामलों का त्वरित निपटान।
  2. लागत एवं समय में बचत: पक्षकारों का बार-बार न्यायालय आने का श्रम तथा समय दोनों ही बचते हैं।
  3. साक्षरता एवं जागरूकता: कानूनी जागरूकता प्रतियोगिताएं एवं परामर्श शिविरों से आमजन विधिक ज्ञान प्राप्त करते हैं।
  4. सामाजिक समरसता: पीएलवी तथा स्थानीय समुदाय का सहयोग न्यायिक प्रक्रियाओं में विश्वास को बढ़ाता है।
  5. वित्तीय राहत: बड़े पैमाने पर मुआवजा वितरण से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को लाभ मिलता है।

व्यावहारिक न्यायालय लातेहार में आयोजित इस राष्ट्रीय लोक अदालत ने झारखंड में न्याय के तेज गति से वितरण और कानूनी जागरूकता के प्रसार में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। 14,100 वादों का निष्पादन और 5.87 करोड़ रुपये का सेटलमेंट संवेदनशील समुदायों को न्यायिक राहत प्रदान करते हुए सामाजिक न्याय के उच्चतम आदर्श को साकार करता है।

आगे भी इस तरह के आयोजन समय-समय पर होते रहेंगे, जिससे आम जनता को न्यायिक व्यवस्था के साथ जुड़ने में सुविधा हो और न्यायालयों पर लंबित मामलों का बोझ हल्का हो सके।

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