
अमीन अंसारी,
रांची।झारखण्ड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन की ज़ूम बैठक एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद कुमार की अध्यक्षता में की गई, उन्होंने कहा कि राज्य में पहली बार गैर मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों के सम्बंध में राज्य सरकार बहुत ही संजीदगी से मान्यता दिलाने हेतु आवश्यक कदम उठा कर लगातार कई दिनों तक क्रमवार चर्चा किया गया।
विदित हो कि झारखण्ड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा लगातार पूर्व शिक्षा मंत्री स्व जगनाथ महतो, पूर्व केबिनेट मंत्री माननीय आलमगीर आलम, माननीय विधायक राजेश कच्छप, केबिनेट मंत्री माननीय दीपिका पांडेय, माननीय विधायक लुइस मरांडी, पूर्व शिक्षा मंत्री माननीय बन्धु तिर्की जी से कई चरणों में प्रतिनिधि मंडल मिला और इनलोगों के अथक प्रयास से माननीय मुख्यमंत्री और माननीय शिक्षा मंत्री एक कमिटी गठन करने का निर्णय लिए, इस कार्य के लिए पूरे झारखण्ड के निजी स्कूलों के संचालकों की ओर से धन्यवाद दिया.
उन्होंने कहा कि निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2019 में संशोधित नियम प्रमुखता से जमीन सम्बन्धी बाध्यता जिसमें वर्ग आठवीं तक मध्य विद्यालय के लिए शहरी क्षेत्र में 75 डिसमिल और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 1 एकड़ और प्राथमिक विद्यालय वर्ग पांचवी तक के लिए शहरी क्षेत्र में 40 डिसमिल और ग्रामीण क्षेत्र में 60 डिसमिल किया गया था जिसे वर्तमान सरकार जमीन सम्बन्धी बाध्यता को खत्म कर कम करने जा रही है।
जो एक स्वागत योग्य कदम है , लेकिन सच्चाई ठीक इसके विपरीत है, माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी और माननीय शिक्षा मंत्री श्री राम दास सोरेन जी को अवगत कराते हुए कई बार झारखण्ड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा मांग पत्र के माध्यम से जमीन संबधी बाध्यता को पूर्ण रूप से खत्म कर भवन की संरचना के अनुसार मान्यता दिया जाय।
क्योंकि (1) स्कूल के अगल बगल में खाली जमीन नहीं है जो खरीद कर रकबा बढाया जा सकता है। (2) अब जमीन का कीमत इतना हो गया है कि शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण क्षेत्र सभी जगह कीमत आसमान छूने लगा है जो किसी भी कीमत पर जमीन खरीद कर विद्यालय चलाना सम्भव नहीं है।
अतः इसे रकबा में न बांध कर भवन संरचना में निर्धारित करना चाहिये। इसके लिए शिक्षा विभाग अपनी एक कमिटी बना कर प्राथमिक या मध्य विद्यालय तक मान्यता दे।
झारखण्ड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के
मोजाहिददुल इस्लाम महासचिव ने कहा कि सरकार का यह मानना है कि इस तरह के निजी विद्यालय बिना मान्यता के चल रहे हैं । इस सम्बंध में कहना है कि इन सभी विद्यालयो को शिक्षा विभाग के माध्यम से यू डायस कोर्ड उपलब्ध कराया गया है.
जिसके अंर्तगत ये सभी विद्यालय प्रति वर्ष स्कूल का सम्पूर्ण डाटा सरकार को उपलब्ध कराती है जिसमें विद्यालय का संरचना, कमरे का साइज, वॉशरूम की व्यवस्था, लाईब्रेरी से लेकर बच्चों का और शिक्षकों का सम्पूर्ण विवरण रहता है। इतना तक कि कितने बच्चे किस वर्ग में किस कैटेगरी के लड़का लड़की सहित दिया जाता है।
एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष आलोक बिपिन टोप्पो ने कहा कि सभी बच्चों को झारखण्ड अधिविद्य परिषद (JAC) के माध्यम से वर्ग आठवीं का परीक्षा भी करती है। सिर्फ मान्यता का सर्टिफिकेट नहीं है बाकी सब किया जाता है। ऐसी परिस्थिति में झारखण्ड सरकार को जल्द से जल्द बिना शर्त मान्यता देना चाहिए।
सचिव अमीन अंसारी ने कहा कि हम लोग कम से कम शुल्क ले कर उत्तम क्वालिटी के साथ गुणवत्ता पूर्ण अच्छी शिक्षा देते हैं , अभिभावकों के विश्वास पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करते हैं तभी बच्चे हम जैसे छोटे निजी विद्यालयों में आते हैं।
संगठन सचिव रणधीर कौशिक ने कहा कि सरकार का ये जो आंकड़ा 5879 यू डायस कोर्ड विद्यालय हैं ऐसी बात नहीं है इससे तीन गुना ज्यादा विद्यालय हैं जिन्हें यू डायस कोर्ड नहीं मिला है, वहाँ पर भी लाखों बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं उनके भविष्य के लिए सभी विद्यालयों को यू डायस कोर्ड देना चाहिए। सरकारी आंकड़ा के मुताबिक 837879 छात्र और 46 421 शिक्षक हैं । सरकार को सोचना चाहिए कि हम इतने बच्चों का भविष्य बना रहे हैं ।
साथ ही 46 हजार से ज्यादा शिक्षक, 6 हजार विद्यालय संचालक, गैर शैक्षणिक कर्मचारी, ऑटो रिक्शा वाले, स्टेशनरी दुकान वाले खोमचे वाले कई तरह से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक रूप से जुड़े लोग आखिर इन निजी स्कूलों पर ही आश्रित हैं। अतः सरकार ऐसे विद्यालयों को साथ लेकर चले बल्कि सी एन टी एक्ट और एस पी टी एक्ट , के साथ गैर मजूरवा जमीन उपलब्ध करा कर हमें मजबूत करें।
बैठक में मुकेश सिंह, सुभोजित अधिकारी, सुभाष कुमार, सचिदानन्द कुमार, नीलम शर्मा, कैलाश कुमार, अब्दुल मजीद, अजय सिंह, अब्दुल बारीक, मो शामी, अजय किशोर, मो नौशाद, लक्ष्मी नाथ, प्रकाश महतो, संजय कुमार, हेमंत तिवारी, रामजीत साहू, साबिर हुसैन, सहित कई विद्यालय के संचालक उपस्थित थे।