
प्रेम कुमार साहू, घाघरा गुमला
घाघरा प्रखंड के रूकी पंचायत मुख्यालय एवं जलका में भीषण आग लगने से मनरेगा योजना के तहत विकसित 16 एकड़ से अधिक भूमि में लगे आम के पौधे जलकर नष्ट हो गए। इस आगजनी में करीब तीन एकड़ भूमि पर की गई राहड़ की मिश्रित खेती भी पूरी तरह नष्ट हो गई। वहीं, लगभग डेढ़ एकड़ में केवल राहड़ की फसल थी, जो फल-bearing अवस्था में थी, लेकिन आग की चपेट में आकर पूरी तरह बर्बाद हो गई।
स्थानीय किसानों का कहना है कि यह आग लगभग एक किलोमीटर के दायरे में फैली, जिससे व्यापक पैमाने पर फसलें नष्ट हो गईं। मनरेगा योजना के तहत आम बागवानी के लाभार्थियों को ट्रेंच खुदाई, मजदूरी, खेराबंदी और देखरेख के लिए पांच वर्षों में करीब 3.5 लाख रुपये की सरकारी सहायता मिलती है। इस योजना के तहत लगाए गए पौधों में एक, दो और तीन वर्ष पुराने आम के पेड़ थे, जो पूरी तरह से जलकर राख हो गए। अनुमान के मुताबिक, इस आपदा में करीब 30 से 35 लाख रुपये की सरकारी लागत बर्बाद हो गई, जिसमें मजदूरों की मजदूरी और अन्य योजनागत खर्च शामिल हैं।
घटना की जानकारी और प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना की सूचना मिलते ही पत्रकारों ने गुमला के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी को जानकारी दी, जिसके बाद दमकल की गाड़ी मौके पर पहुंची। हालांकि, तब तक स्थानीय किसानों ने अपने स्तर पर पानी डालकर और राहड़ की झाड़ियों का उपयोग करके आग पर काफी हद तक काबू पा लिया था।
मौके पर घाघरा के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) दिनेश कुमार और पुलिस प्रशासन से एसआई राहुल पासवान पहुंचे। बीडीओ ने प्रभावित किसानों से जले हुए पौधों के फोटो, आधार कार्ड, पासबुक और भूमि के दस्तावेज अंचल कार्यालय में जमा करने को कहा, ताकि उन्हें सरकारी प्रावधानों के तहत मुआवजा मिल सके।
लाभुक किसानों की मांग
आग से प्रभावित आम बागवानी योजना के लाभुक किसानों ने बीडीओ से मांग की कि इस योजना को बंद कर पुनः नई योजना के तहत लाभ दिया जाए, जिससे वे दोबारा आम बागवानी कर सकें। किसानों को प्रशासन से काफी उम्मीदें हैं और वे जल्द से जल्द मुआवजा मिलने की अपेक्षा कर रहे हैं।
आग लगने का संभावित कारण
स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि यह आग महुआ चुनने वाले लोगों द्वारा लापरवाही से फैली हो सकती है। महुआ चुनने के दौरान अक्सर आग जलाई जाती है, जिससे खेतों और फसलों को नुकसान होने का खतरा रहता है।
प्रभावित किसान और उनकी भूमि
इस आपदा में जिन किसानों की आम बागवानी जलकर नष्ट हुई, उनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित लाभुक शामिल हैं:
- जम्बू उरांव
- रामलाल यादव
- दीपक साहू
- शंकर साहू
- ललिता देवी
- अरुण साहू
- सुखम मुंडा
- दुखन मुंडा
- जयपति देवी
- हरिश्चंद्र मुंडा
- सुरेंद्र उरांव
- बीरेंद्र उरांव
- बासु उरांव
- सरहुलिया उराईन
वहीं, धुमा उरांव और राधा साहू सहित अन्य किसानों की राहड़ की फसल भी पूरी तरह बर्बाद हो गई।
किसानों की चिंता और प्रशासन की जिम्मेदारी
लाभुक किसानों को प्रशासन से मुआवजा और पुनर्वास की आशा है। इस घटना ने न केवल उनकी आजीविका पर संकट खड़ा किया है, बल्कि मनरेगा के तहत चल रही योजनाओं की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि प्रशासन द्वारा जल्द उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह किसानों के लिए एक बड़ी आर्थिक क्षति साबित हो सकती है।