0 0 lang="en-US"> लोहरदगा में मटर खाने से डेढ़ साल के बच्चे की मौत,सांस की नली में फंसा दाना
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लोहरदगा में मटर खाने से डेढ़ साल के बच्चे की मौत,सांस की नली में फंसा दाना

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लोहरदगा में मटर खाने से डेढ़ साल के बच्चे की मौत,सांस की नली में फंसा दाना

लोहरदगा। झारखंड के लोहरदगा जिले में एक दर्दनाक हादसे में डेढ़ वर्षीय बच्चे की मटर खाने से मौत हो गई। यह घटना कैरो थाना क्षेत्र के गुड़ी करंज टोली में घटी, जहां खेल-खेल में मटर का दाना गले में फंस जाने से मासूम की सांसें थम गईं

कैसे हुई घटना?

गांव के रहने वाले खुदी उरांव का डेढ़ साल का बेटा शिवम उरांव गुरुवार को अपने परिजनों के साथ खेत पर गया था। वहां खेलते-खेलते उसने मटर के पौधे को उखाड़ लिया और घर ले आया। घर पहुंचकर बच्चे ने मटर की फली तोड़ी और दाने निकालकर खाने लगा। इसी दौरान एक दाना उसकी सांस की नली में अटक गया, जिससे उसकी सांसें रुकने लगीं

जब बच्चे ने तड़पना शुरू किया तो परिजनों की नजर उस पर पड़ी। घबराए हुए माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य उसे तुरंत लेकर लोहरदगा सदर अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया

बच्चों के लिए कितना खतरनाक हो सकता है यह खतरा?

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के जिला अध्यक्ष और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गणेश प्रसाद ने इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा कि छोटे बच्चों में इस तरह के हादसे अक्सर हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि –
🟢 हमारी सांस की नली (विंडपाइप) और खाने की नली (फूड पाइप) बहुत करीब होती हैं
🟢 जब हम खाते हैं, तो सांस की नली अस्थायी रूप से बंद हो जाती है, जिससे भोजन गलत नली में जाने से बचता है।


🟢 लेकिन बच्चे जब जल्दी-जल्दी खाते हैं या खेलते-खेलते कुछ खाने लगते हैं, तो कई बार भोजन सांस की नली में चला जाता है
🟢 ऐसी स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है, क्योंकि सांस का मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है और कुछ ही मिनटों में दम घुटने से मौत हो सकती है।

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

डॉ. गणेश प्रसाद ने बताया कि ऐसा ही एक मामला पहले भी सामने आया था, जब तीन साल के एक बच्चे की सांस की नली में इमली का बीज फंस गया था। काफी प्रयास के बावजूद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। ऐसे मामलों में तुरंत इलाज की जरूरत होती है, लेकिन छोटे अस्पतालों और ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रोंकोस्कोपी जैसी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं, जिससे मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है।

बच्चों को खाने के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

चिकित्सकों के अनुसार, छोटे बच्चों की देखभाल में कुछ जरूरी सावधानियां रखी जाएं, तो ऐसे हादसों से बचा जा सकता है

✔️ छोटे बच्चों को अकेले खाना न दें – बच्चों को खिलाते समय हमेशा उन पर नजर रखें, ताकि वे कोई चीज जल्दबाजी में न निगलें।
✔️ सख्त और गोल आकार वाली चीजों से बचें – मूंगफली, अंगूर, इमली के बीज, टॉफ़ी, च्यूइंग गम जैसी चीजें छोटे बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती हैं।
✔️ बच्चे को सही तरीके से खाने की आदत सिखाएं – बच्चों को धीरे-धीरे और चबाकर खाने की आदत डालें।


✔️ खेलते समय खाने से बचें – छोटे बच्चे अक्सर खेलते-खेलते कुछ खा लेते हैं, जिससे उनके गले में फंसने का खतरा अधिक रहता है।
✔️ बच्चों की तुरंत जांच कराएं – अगर बच्चा अचानक खांसने लगे, सांस लेने में दिक्कत हो, चेहरा नीला पड़ जाए या बेहोश हो जाए, तो तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाएं।

ब्रोंकोस्कोपी से बच सकती है जान

डॉक्टरों का कहना है कि अगर अस्पतालों में ब्रोंकोस्कोपी (Bronchoscopy) की सुविधा हो, तो ऐसे मामलों में मरीज की जान बचाई जा सकती हैब्रोंकोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक पतली ट्यूब के जरिए सांस की नली से फंसी हुई चीज को निकाला जाता है। लेकिन छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में यह सुविधा नहीं होने से कई बच्चों की समय पर इलाज न मिलने से मौत हो जाती है

स्थानीय लोग सकते में,गांव में मातम

मासूम शिवम की मौत के बाद से गांव में मातम पसरा हुआ है। परिजन गहरे सदमे में हैं और गांव के लोग भी इस घटना से काफी दुखी हैं। गांव के बुजुर्गों ने कहा कि पहले कभी ऐसी घटना नहीं हुई थी, लेकिन अब सभी माता-पिता को सतर्क रहना होगा

सरकार को क्या करना चाहिए?

✔️ जिला अस्पतालों में ब्रोंकोस्कोपी जैसी सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि ऐसे आपातकालीन मामलों में तुरंत इलाज हो सके।
✔️ ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, ताकि वे ऐसे मामलों में त्वरित इलाज कर सकें।
✔️ माता-पिता और अभिभावकों को जागरूक किया जाना चाहिए, ताकि वे बच्चों की देखभाल में अतिरिक्त सतर्कता बरतें।

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