
रांची: झारखंड में सरकारी और निजी निर्माण कार्य करने वाले बिल्डरों एवं ठेकेदारों को अब निर्माण कार्यों की कुल लागत का एक प्रतिशत सेस अनिवार्य रूप से जमा करना होगा। यह राशि झारखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड में जमा की जाएगी, जिससे निबंधित मजदूरों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा सकेंगी।
अब तक इस सेस की वसूली मैनुअल रूप से की जाती थी, जिससे कई बार बिल्डर और ठेकेदार पूरी राशि जमा नहीं करते थे। लेकिन अब इस प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन किया जा रहा है, जिससे इसकी निगरानी विभिन्न स्तरों पर की जा सकेगी।
ऑनलाइन प्रणाली से होगा सेस वसूली का प्रबंधन
राज्य सरकार ने केंद्रीय भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण अधिनियम, 1996 को अपनाते हुए वर्ष 2007 में इससे संबंधित नियमावली लागू की थी। इसके तहत राज्य में झारखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड का गठन किया गया था। अब सरकार ने इस प्रणाली को डिजिटलीकरण करने का फैसला किया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी बिल्डर और ठेकेदार निर्माण लागत का एक प्रतिशत सेस बोर्ड के खाते में जमा करें।
इस नए ऑनलाइन सिस्टम के माध्यम से निम्नलिखित कार्य होंगे:
- निर्माण कार्यों की लागत के अनुसार सेस की वसूली
- बिल्डरों और लाभुकों का निबंधन ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से
- डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए योजनाओं की राशि सीधे मजदूरों के खाते में
- विभिन्न विभागों द्वारा की गई वसूली की ऑनलाइन निगरानी
- डैशबोर्ड के माध्यम से लाभुकों और बिल्डरों को सेस वसूली एवं खर्च की जानकारी
इस प्रणाली के तहत प्रत्येक जिले को लक्ष्य भी दिया जाएगा और नियमित रूप से डाटा समीक्षा की जाएगी, ताकि सेस वसूली में पारदर्शिता बनी रहे।
बिल्डरों और ठेकेदारों के लिए अनिवार्य होगा पोर्टल पर निबंधन
झारखंड सरकार अब निर्माण क्षेत्र में कार्यरत बिल्डरों और ठेकेदारों को पोर्टल पर निबंधित करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है। यह निबंधन पूर्ण रूप से ऑनलाइन होगा और सभी बिल्डरों एवं ठेकेदारों को निर्माण कार्य आरंभ करने से पहले निर्माण स्थल एवं लागत का पूरा विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।
इसके साथ ही, बोर्ड में निबंधित मजदूरों को उनके लाभ सीधे उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से प्रदान किए जाएंगे। इस कदम से सेस वसूली की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी निर्माण परियोजनाओं से उचित सेस वसूला जाए।
कौन देगा सेस और कितना?
झारखंड सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार, सभी सरकारी और निजी निर्माण परियोजनाओं पर उनकी कुल लागत का 1% सेस के रूप में देना अनिवार्य होगा। इस राशि का उपयोग झारखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड द्वारा निबंधित मजदूरों के कल्याण के लिए किया जाएगा।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, पहले मैनुअल वसूली की प्रक्रिया में कई गड़बड़ियां होती थीं। लेकिन अब ऑनलाइन प्रणाली लागू होने से इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की धांधली नहीं हो सकेगी।
निर्माण श्रमिकों के लिए 13 कल्याणकारी योजनाएं
बोर्ड द्वारा निबंधित मजदूरों को विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जाता है। वर्तमान में झारखंड सरकार 13 योजनाएं संचालित कर रही है, जिनमें शामिल हैं:
- श्रमिक औजार सहायता योजना: निर्माण श्रमिकों को औजार खरीदने के लिए वित्तीय सहायता।
- मेधावी छात्र-छात्रा छात्रवृत्ति योजना: कामगारों के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति।
- चिकित्सा प्रतिपूर्ति योजना: श्रमिकों के इलाज के लिए वित्तीय सहायता।
- विवाह सहायता योजना: श्रमिकों की बेटियों की शादी के लिए आर्थिक सहायता।
- पेंशन योजना: निर्माण कार्यों में संलग्न मजदूरों के लिए वृद्धावस्था पेंशन।
- निश्शक्त पेंशन योजना: दिव्यांग मजदूरों के लिए मासिक पेंशन।
- परिवार पेंशन योजना: मजदूर की मृत्यु के बाद उनके परिवार को वित्तीय सहायता।
- अनाथ पेंशन योजना: मजदूर की मृत्यु के बाद उनके अनाथ बच्चों को आर्थिक सहयोग।
- मातृत्व प्रसुविधा योजना: गर्भवती श्रमिक महिलाओं को वित्तीय सहायता।
- अंत्येष्टि योजना: श्रमिकों की मृत्यु के बाद अंत्येष्टि के लिए सहायता।
- मृत्यु/दुर्घटना सहायता योजना: कार्य के दौरान मजदूर की मृत्यु या दुर्घटना होने पर सहायता राशि।
- सेफ्टी किट योजना: निर्माण कार्यों में संलग्न मजदूरों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराना।
- श्रमिक आवास योजना: श्रमिकों के लिए रहने के लिए आवासीय सुविधाएं प्रदान करना।
सेस चोरी पर होगी सख्त कार्रवाई
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई बिल्डर या ठेकेदार सेस की चोरी करता है या गलत जानकारी देकर राशि जमा करने से बचता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- बिल्डरों और ठेकेदारों पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
- उनकी निर्माण परियोजनाएं रोक दी जा सकती हैं।
- उनका निबंधन रद्द किया जा सकता है।
- उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इस नई प्रणाली के लागू होने के बाद, कोई भी बिल्डर या ठेकेदार सेस की चोरी नहीं कर सकेगा।
डैशबोर्ड से मिलेगी पूरी जानकारी
सरकार एक डैशबोर्ड भी विकसित कर रही है, जिससे आम नागरिक, लाभुक और बिल्डर यह जानकारी प्राप्त कर सकेंगे कि अब तक सेस के रूप में कितनी राशि जमा हुई है और उस राशि का उपयोग किन-किन योजनाओं में किया गया है।
इस पहल से झारखंड सरकार निर्माण कार्यों में पारदर्शिता लाने और निर्माण श्रमिकों को अधिकतम लाभ देने के लिए प्रयासरत है।
झारखंड सरकार द्वारा लागू की जा रही नई ऑनलाइन सेस वसूली प्रणाली निर्माण कार्यों में पारदर्शिता बढ़ाएगी और मजदूरों के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।
इससे बिल्डरों और ठेकेदारों के लिए सेस चोरी करना नामुमकिन हो जाएगा और निर्माण क्षेत्र में कार्यरत मजदूरों को सीधे उनके खातों में लाभ मिलेगा। इसके अलावा, सरकारी विभाग भी सेस वसूली में लापरवाही नहीं बरत सकेंगे।
राज्य सरकार के इस कदम से न केवल बिल्डरों और ठेकेदारों की जवाबदेही सुनिश्चित होगी, बल्कि निर्माण श्रमिकों के जीवन स्तर में भी सुधार आएगा।