0 0 lang="en-US"> "भारत है भारत!" – लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का डीएमके सांसद को करारा जवाब
NEWS APPRAISAL

“भारत है भारत!” – लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का डीएमके सांसद को करारा जवाब

Read Time:5 Minute, 3 Second
"भारत है भारत!" – लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का डीएमके सांसद को करारा जवाब
Oplus_131072

नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में उस समय तीखी नोकझोंक देखने को मिली जब डीएमके सांसद ने संस्कृत भाषा को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस की विचारधारा के कारण लोकसभा की कार्यवाही का संस्कृत में अनुवाद किया जा रहा है, जिससे टैक्सपेयर्स के पैसे बर्बाद हो रहे हैं। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कड़ा जवाब देते हुए कहा, “माननीय सदस्य, आप दुनिया के किस देश में रह रहे हैं? यह भारत है, भारत!”

संस्कृत अनुवाद पर उठे सवाल

डीएमके सांसद ने लोकसभा में आरोप लगाया कि संसद की कार्यवाही का संस्कृत में अनुवाद करना अनावश्यक है और यह जनता के पैसे की बर्बादी है। उनका कहना था कि यह केवल एक खास विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है, जबकि देश की आम जनता संस्कृत नहीं समझती।

सांसद के इस बयान पर संसद में हलचल मच गई। कई अन्य सांसदों ने इस पर अपनी राय रखी, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने तुरंत हस्तक्षेप किया और डीएमके सांसद को जवाब दिया।

लोकसभा अध्यक्ष का करारा जवाब

ओम बिरला ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “संस्कृत हमारे देश की प्राथमिक भाषा रही है। यह हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि भारत में संविधान द्वारा सभी भाषाओं को समान महत्व दिया गया है, और संस्कृत को बढ़ावा देना कोई अपराध नहीं है।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि संस्कृत को संरक्षित करना और बढ़ावा देना सरकार की जिम्मेदारी है, क्योंकि यह न केवल एक भाषा है, बल्कि भारतीय सभ्यता का आधार भी है।

संसद में उठा भाषा का मुद्दा

यह पहली बार नहीं है जब संसद में भाषा को लेकर बहस छिड़ी हो। इससे पहले भी हिंदी बनाम क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेजी के उपयोग को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों में मतभेद देखे गए हैं। दक्षिण भारतीय राज्यों के कई दल हिंदी और संस्कृत को प्राथमिकता देने का विरोध करते रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए।

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई। कुछ लोगों ने डीएमके सांसद का समर्थन किया, तो कई लोगों ने लोकसभा अध्यक्ष के बयान की सराहना की। संस्कृत प्रेमियों ने इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के रूप में देखा, जबकि कुछ लोगों ने इसे भाषाई असमानता से जोड़कर देखा।

संस्कृत का महत्त्व और सरकारी प्रयास

संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है और कई आधुनिक भारतीय भाषाओं की जननी मानी जाती है। सरकार ने हाल के वर्षों में इसे बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि संस्कृत विश्वविद्यालयों की स्थापना, संस्कृत शिक्षा को प्रोत्साहित करना और इसे डिजिटल रूप में संरक्षित करना।

हालांकि, डीएमके सहित कई दलों का मानना है कि सरकार को समावेशी भाषा नीति अपनानी चाहिए, ताकि सभी क्षेत्रीय भाषाओं को समान सम्मान मिले।

लोकसभा में हुई इस बहस ने एक बार फिर भारतीय भाषाओं के महत्व और उनकी राजनीति पर चर्चा को तेज कर दिया है। एक ओर जहां सरकार संस्कृत को संरक्षित करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर क्षेत्रीय भाषा समर्थकों को डर है कि उनकी भाषाओं को उचित महत्व नहीं मिल रहा।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का बयान “यह भारत है, भारत!” संस्कृत प्रेमियों के लिए गर्व की बात हो सकती है, लेकिन यह भी तय है कि भाषा से जुड़ा यह मुद्दा आने वाले दिनों में और अधिक राजनीतिक बहस को जन्म देगा।

About Post Author

NEWS APPRAISAL

It seems like you're looking for information or an appraisal related to news. However, your request is a bit vague. News can cover a wide range of topics and events. If you have a specific news article or topic in mind that you'd like information or an appraisal on,
Happy
0 0 %
Sad
0 0 %
Excited
0 0 %
Sleepy
0 0 %
Angry
0 0 %
Surprise
0 0 %
Exit mobile version