
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद रेपो रेट में 0.25% (25 बेसिस प्वाइंट) की कटौती की घोषणा की है। इस कटौती के बाद रेपो रेट अब 6.25% हो गया है, जो पहले 6.50% था। यह बदलाव लगभग डेढ़ साल बाद हुआ है, क्योंकि 2023 से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया था। इस फैसले का असर होम लोन, ऑटो लोन और अन्य प्रकार के ऋणों पर पड़ेगा, जिससे उधारकर्ताओं को राहत मिलेगी और उनकी मासिक ईएमआई में कमी आएगी।
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। जब यह दर घटती है, तो बैंकों के लिए उधारी सस्ती हो जाती है और वे भी अपने ग्राहकों को सस्ता लोन देने में सक्षम होते हैं। इससे बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है और उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा मिलता है, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलती है।
रेपो रेट में कटौती का कारण
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह निर्णय मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और आर्थिक वृद्धि को संतुलित करने के उद्देश्य से लिया गया है। भारत में महंगाई दर बीते कुछ महीनों में स्थिर रही है, जिससे आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करने का अवसर मिला। केंद्रीय बैंक ने संकेत दिया है कि आगे भी यदि परिस्थितियाँ अनुकूल रहीं, तो ब्याज दरों में और कटौती हो सकती है।
लोन लेने वालों को कैसे होगा फायदा?
रेपो रेट में कटौती का सीधा फायदा होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन लेने वालों को मिलेगा। चूंकि बैंक आरबीआई से कम दर पर उधार लेंगे, वे अपने ग्राहकों को भी कम ब्याज दरों पर लोन देने की स्थिति में होंगे। इससे नई लोन ईएमआई कम होगी और पहले से चल रहे फ्लोटिंग रेट वाले लोन पर भी ब्याज दर घट सकती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी ग्राहक का होम लोन 8% ब्याज दर पर था, तो अब यह 7.75% हो सकता है, जिससे मासिक ईएमआई में बचत होगी।
शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था पर असर
ब्याज दरों में कटौती से निवेशकों को भी फायदा होगा, क्योंकि कम ब्याज दरें कंपनियों के लिए निवेश और विस्तार को प्रोत्साहित करती हैं। इससे शेयर बाजार में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उद्योग जगत और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए यह राहत की खबर है, क्योंकि कम ब्याज दरें कर्ज लेने और घर खरीदने को प्रोत्साहित करेंगी।
बैंकों की प्रतिक्रिया
बैंकों ने आरबीआई के फैसले का स्वागत किया है। उम्मीद की जा रही है कि बड़े बैंक जल्द ही अपनी ब्याज दरों में कटौती की घोषणा कर सकते हैं। भारतीय स्टेट बैंक (SBI), एचडीएफसी बैंक और अन्य निजी बैंकों के ग्राहकों को आने वाले दिनों में ब्याज दरों में राहत मिलने की संभावना है।
भविष्य की संभावनाएँ
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि महंगाई दर नियंत्रित रहती है और वैश्विक आर्थिक स्थिति स्थिर रहती है, तो आरबीआई भविष्य में और ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। इससे भारत में ऋण लेने की लागत और घटेगी, जिससे छोटे व्यापारियों, स्टार्टअप्स और मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत मिलेगी।
आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 0.25% की कटौती से आम जनता को लोन की कम ब्याज दरों का लाभ मिलेगा। इससे होम लोन, ऑटो लोन और अन्य ऋणों की ईएमआई घटेगी, जिससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बैंक इस फैसले को ग्राहकों तक कितनी जल्दी पहुंचाते हैं और बाजार पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव क्या पड़ता है।