
पंकज कुमार यादव की रिपोर्ट,
लातेहार, बारेसाढ़: मंगलवार को लातेहार जिले के बारेसाढ़ स्थित ऐतिहासिक सुग्गाबांध फॉल पर मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों का उमड़ा सैलाब। इस सर्दी में भी यहां आस्था और उल्लास का माहौल देखा गया, जहां लोग प्रकृति के इस अद्भुत सौंदर्य का आनंद लेने पहुंचे।
इस दिन यहां स्नान, पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रही।अधिकारियों का आगमन, फूलों और पारंपरिक संगीत से स्वागतइस मौके पर पलामू टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर कुमार आशुतोष, कृषि पशुपालन सहकारिता विभाग के सचिव श्री अबुबकर सिद्दीक पी. हा., प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) कुमार आशीष, गारू पश्चिम के रेंजर तरुण सिंह, प्रभारी वनपाल परमजीत तिवारी और अन्य वन विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।
इन अधिकारियों का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। फूलों की माला, ढोल की धुन और मंदार के गाने के साथ उनका अभिनंदन किया गया, जिसने पूरे माहौल में उत्साह का संचार किया।प्राकृतिक सौंदर्य की सराहना, “कुदरत का करिश्मा”सुग्गाबंध फॉल की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अधिकारियों ने फॉल का दौरा करने के बाद इसकी सराहना करते हुए इसे “कुदरत का करिश्मा” करार दिया। पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने कहा, “यह जगह न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। हमें इसे बचाए रखना और इसके प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से प्रबंधन करना चाहिए।
“कृषि पशुपालन सहकारिता विभाग के सचिव श्री अबुबकर सिद्दीक ने भी सुग्गाबंध फॉल की तारीफ की और कहा, “यह क्षेत्र केवल पर्यटन के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय समुदाय और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक अहम स्थल बन सकता है।
सांस्कृतिक उल्लास और लोक धरोहर का प्रदर्शनसुग्गाबंध फॉल पर इस दिन आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों ने अपनी पारंपरिक कला का प्रदर्शन किया। ढोल-मंदार की थाप पर सभी लोग झूम उठे और पूरा क्षेत्र गूंज उठा। इस सांस्कृतिक उत्सव ने आयोजन को और भी खास बना दिया।
स्थानीय समुदाय ने अपनी लोक धरोहर और परंपराओं का गर्व से प्रदर्शन किया, जो इस आयोजन को और भी भव्य और यादगार बना गया।सुरक्षा, सफाई और पर्यावरण संरक्षण पर जोरसुग्गाबंध फॉल पर आयोजित इस आयोजन में सुरक्षा और सफाई के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
अधिकारियों ने स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के कर्मचारियों की प्रशंसा की, जिन्होंने श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की और साथ ही पर्यावरण की स्वच्छता बनाए रखी।निष्कर्षमकर संक्रांति पर सुग्गाबंध फॉल का यह आयोजन एक बार फिर यह साबित करता है कि प्रकृति, आस्था और संस्कृति का मेल एक अद्भुत अनुभव होता है।
इस दिन का उत्सव न केवल स्थानीय लोगों के लिए एक आस्था का प्रतीक था, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम भी है। अधिकारियों और स्थानीय समुदाय की साझा कोशिशों ने इसे एक ऐतिहासिक और यादगार आयोजन बना दिया, जो आने वाले वर्षों में भी लोगों के दिलों में जीवित रहेगा।