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धारा 303 भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की एक महत्वपूर्ण धारा है, जो हत्या के अपराध से संबंधित है। यहाँ इसकी विस्तृत जानकारी है:
धारा 303: हत्या के लिए दंड
- जो कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की हत्या करेगा, वह दोषी होगा और मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा।
- अगर हत्या के मामले में अपराधी ने पहले से ही अपराध की योजना बनाई हुई थी या अपराध के दौरान अन्य अपराध भी किए गए हों, तो मृत्युदंड की सिफारिश की जा सकती है।
धारा 303 के तहत अपराध
- किसी अन्य व्यक्ति की हत्या करना
- हत्या की योजना बनाना और उसे अंजाम देना
- हत्या के दौरान अन्य अपराध करना
धारा 303 के तहत दंड
- मृत्युदंड
- आजीवन कारावास
- जुर्माना
धारा 303 के तहत अपवाद
- अगर अपराधी ने हत्या की नहीं थी, लेकिन अन्य अपराध किया था, तो उसे अलग से दंडित किया जाएगा।
- अगर अपराधी पागलपन या मानसिक बीमारी से ग्रस्त था, तो उसे अलग से दंडित किया जाएगा।
यह धारा भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हत्या के अपराध को रोकने और न्याय प्रदान करने में मदद करती है।
धारा 379 भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की एक महत्वपूर्ण धारा है, जो चोरी के अपराध से संबंधित है। यहाँ इसकी विस्तृत जानकारी है:
धारा 379: चोरी की परिभाषा
चोरी करना यानी किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति को उसकी जानकारी और सहमति के बिना हटाना या ले जाना।
धारा 379 के तहत अपराध
- किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति को चोरी करना
- चोरी की गई संपत्ति को छिपाना या बेचना
- चोरी की गई संपत्ति को अपने कब्जे में रखना
धारा 379 के तहत दंड
- चोरी की गई संपत्ति की कीमत के अनुसार जुर्माना
- 3 साल तक की जेल या दोनों
- अगर चोरी की गई संपत्ति की कीमत 25 रुपये से कम है, तो 6 महीने तक की जेल या जुर्माना या दोनों
धारा 379 के तहत अपवाद
- अगर चोरी की गई संपत्ति का मूल्य बहुत कम है और अपराधी को पहली बार पकड़ा गया है, तो अदालत अपराधी को छोड़ सकती है
- अगर अपराधी ने चोरी की गई संपत्ति को वापस कर दिया है और अपराधी को पहली बार पकड़ा गया है, तो अदालत अपराधी को छोड़ सकती है
यह धारा भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो चोरी के अपराध को रोकने और न्याय प्रदान करने में मदद करती है।