
पानी के बीच बच्चों की पढ़ाई, हादसे को दावत दे रहा भवन, अब तक कहीं नहीं हुई सुनवाई –
बब्लू खान
लातेहार:- बालूमाथ झारखंड के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. समय-समय पर ऐसी तस्वीरें भी सामने आती हैं, जिसे देखकर लगता है कि ऐसी हालत में बच्चे आखिर गुणवत्तापरक शिक्षा कैसे हासिल कर पाएंगे. कुछ ऐसा ही हाल है बालूमाथ प्रखंड अंतर्गत गनेशपुर के एक प्राथमिक विद्यालय पाहन टोला का.एक ओर जहां स्कूली शिक्षा और सुविधा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें और घोषणाएं की जाती हैं. शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस खोले गये हैं. वहीं दूसरी ओर लातेहार जिला का एक ऐसा प्राथमिक विद्यालय जहां आज भी बच्चे जर्जर भवन के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. स्थिति ऐसी विकट है कि भवन की छत टूटकर नीचे फर्श पर गिर रही है,बारिस में छत से पानी टपकते रहता है इसके बावजूद छोटे-छोटे बच्चे इसी छत के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. इस विद्यालय की बात करें तो कक्षा एक से 5 तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं, जिनकी संख्या करीब 130 है. जर्जर भवन के कारण शिक्षक एवं बच्चों को हमेशा डर बना रहता है कि कब उनके ऊपर छत का टुकड़ा आकर गिर जाएगा इन सब कारणों से बच्चों का पठन-पाठन काफी हद तक प्रभावित हो रहा है.
पीने के पानी के लिए दर दर भटकते है बच्चे, कुँआ और तालाब का लेते है सहारा
गनेशपुर प्राथमिक विद्यालय में पेयजल की भी विकट समस्या है आप तस्वीरों में देख सकते है कि बच्चे मध्याह्न भोजन के बाद अपनी हाथ निकट के तालाब में धोते नजर आ रहे है और कुछ बच्चे उसी तालाब का दुसित पानी पी रहे है बच्चों ने बताया कि विद्यालय में पीने के पानी का कोई साधन नही है हमलोग कुँवा या तालाब का पानी इस्तेमाल करते हैं।
बिद्यालय सीसीएल के अधिग्रहण क्षेत्र में आता है लेकिन सीसीएल के कोई भी अधिकारी का इस में ध्यान नही
एशिया की सबसी बड़ी कोल परियोजना मगध संघमित्रा के अधिग्रहण क्षेत्र में आता है गनेशपुर पंचायत जहाँ के स्कूल की बुनियादी सुविधा से आपको अवगत कराया गया है सीसीएल के सीएसआर फंड में इतनी भी राशि नही है कि अपनी अधिग्रहण क्षेत्र में आने वाले शिक्षा के मंदिरों में बुनियादी सुविधा दी जा सके सीसीएल भले ही अपनी उपलब्धियों को ढिंढोरा पिट पिट कर गिनवा ले लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बया कर रही है।
क्या कहते हैं स्कूल के छात्र
स्कूल के छात्र-छात्राओं ने बताया कि जब पानी बरसता है तो इस बिल्डिंग से पानी टपकने लगता है और धीरे-धीरे छत टूट कर गिरता है जिससे हम लोग डर जाते हैं और स्कूल से बाहर आ जाते हैं।
वही इस विषय पर ग्रामीण क्या कहते हैं।
जब गणेशपुर पंचायत में नाव प्रदेश की टीम ने ग्रामीणों से बात की तो ग्रामीणों ने कहा कि यह स्कूल जब से बना है यहां बच्चो को पानी पीने के लिए कोई बोरिंग या जल मिनार नही लगाया गया है। बच्चे पास के ही तालाब में खाना खाने के बाद हाथ धोने प्लेट धोने जाते हैं तालाब में काफी गहराई है ऐसे में कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है। और तो और स्कूल में मध्यान भोजन बनाने के लिए रसोईया को बहुत दूर से पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है खाना बनाने के लिए।
क्या कहते हैं धर्मेंद्र उरांव सहायक अध्यापक
प्रधान अध्यापक कहते हैं कि मैं तीन-चार दिन पहले ही ब्रा को आवेदन लिखकर दिए हैं और विद्यालय की जर्जर हालत का फोटो भी और वीडियो बनाकर बीआरसी में दिए हैं अग्रेतर करवाई हेतु चला गया है । जब से स्कूल बना है यहां पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। रसोईया मिड डे मील बनाने के लिए दूसरे जगह से पानी लाते है । जिससे उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बिल्डिंग जो जो जर्जर रेसिपी पुराने भवन जो है पूरी तरह जर्जर स्थिति में है कभी भी कोई भी घटना घट सकती है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
क्या कहते हैं जिला शिक्षा अधीक्षक गौतम कुमार साहू
जब इस संबंध में जिला शिक्षा अधीक्षक गौतम कुमार साहू से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामला आपके द्वारा जानकारी मिली है जहां तक जर्जर बिल्डिंग का सवाल है अगर बच्चे जर्जर भवन में पढ़ रहे हैं और तालाब का दूषित पानी पी रहे हैं तो अगली बैठक में की समस्या को प्रस्ताव में पास कर समस्या का समाधान किया जाएगा
क्या कहते हैं लातेहार विधायक सह झारखंड शिक्षा मंत्री बैजनाथ राम
झारखंड के शिक्षा मंत्री बैजनाथ राम ने दूरभाष पर बात की तो उन्होंने कहा मुझे इसकी जानकारी नहीं है यह जानकारी आप लोगों के द्वारा मिल रही है इस मामले में मैं जल्दी संज्ञान लूंगा और स्कूल में जो भी कठिनाइयां है तत्काल समाधान करने का प्रयास किया जाएगा।