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मकान मालिक किरायेदार को नहीं कर सकता हैं परेशान: जानें क्या हैं नियम कानून

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मकान मालिक किरायेदार को नहीं कर सकता हैं परेशान: जानें क्या हैं नियम कानून

मकान मालिक और किरायेदार के लिए मॉडल किरायेदारी अधिनियम में तय किये गए हैं किरायेदार और मकान मालिक के अधिकार

देश भर में किराएदार और मकान मालिकों के बीच विवाद चलते रहते हैं। ऐसे मामलों से निपटने के लिए भारत सरकार ने नया कानून को बनाया है। इस कानून में किरायेदार और मकान मालिक के अधिकार (Tenant and Landlord Rights) तय किए गए हैं, जिसमें बताया गया है कि एक साल में मकान मालिक कितना किराया बढ़ा सकता है।

किरायेदार और मकान मालिक के बीच किराये या किसी अन्य सुविधा को लेकर वाद-विवाद के मामले सामने आते रहते हैं। इन विवादों के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने 2021 में नया किराये कानून को मंजूरी दी थी। इसमें मकान मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकार तय किए गए हैं। हालांकि, अब भी ज्यादातर लोग इस कानून से अनजान हैं।

केंद्र सरकार के Model Tenacny Act यानी मॉडल किरायेदारी अधिनियम में कई प्रावधान हैं, जो किरायेदार और मकान मालिक दोनों के हितों की रक्षा करते हैं। इस कानून के अंतर्गत राज्य सरकारों को नए नियम लागू करने की अनुमति भी दी गई है। आइये जानते हैं इस कानून में मकान मालिक और किरायेदार को क्या-क्या अधिकार दिए गए हैं।

क्या है मॉडल किरायेदारी अधिनियम

मॉडल किरायेदारी अधिनियम, का उद्देश्य 2021 घर-दुकान या किसी परिसर के किराये को विनियमित करने और मकान मालिकों और किरायेदारों के हितों की रक्षा करना और किराया प्राधिकरण की स्थापना करना है। इसके जरिए सरकार देश में एक समान रेंटल मार्केट बनाने का मकसद रखती है।

इस कानून के तहत संपत्ति मालिक और किरायेदार के बीच एक लिखित समझौता यानी रेंट एग्रीमेंट अनिवार्य है। रेंट एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन के लिए प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में एक स्वतंत्र प्राधिकरण और यहां तक ​​कि किरायेदारी से संबंधित विवादों को लेने के लिए एक अलग अदालत की स्थापना की गई है।

नहीं तोड़ सकते हैं ये नियम

किसी भी संपत्ति को किराये पर लेने से पहले सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा कराना होता है, लेकिन किरायेदारी कानून में इसके कुछ तय नियम हैं। आवासीय परिसर के लिए किरायेदार को सिक्योरिटी डिपॉजिट के तौर पर अधिकतम 2 महीने का किराया और गैर-आवासीय परिसर के लिए अधिकतम 6 महीने तक का किराया देना होता है। याद रखें मकान मालिक इससे ज्यादा सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं ले सकता है।किरायेदार के मकान छोड़ने के 1 महीने के अंदर मकान मालिक को सिक्योरिटी डिपॉजिट वापस देना होगा। वहीं, मकान मालिक द्वारा किराया बढ़ाने के लिए कम से कम 3 महीने पहले किरायेदार को नोटिस देगा।

किराये की प्रॉपर्टी की देखरेख मकान मालिक और किरायेदार, दोनों को मिलकर करनी होगी। घर की पुताई और रंगरोगन आदि की जिम्मेदारी मकान मालिक की होगी, जबकि पानी के कनेक्शन को ठीक करवाना और बिजली कनेक्शन की मरम्मत आदि की जिम्‍मेदारी किरायेदार की ही होगी।

इस कानून के अनुसार, मकान मालिक जब चाहे तब किरायेदार के घर नहीं आ सकता है। मकान मालिक को आने से पहले से 24 घंटे पहले किरायेदार को सूचित करना होगा। वहीं, किसी भी प्रकार का विवाद होने पर मकान मालिक किरायेदार को बिजली-पानी की आपूर्ति को रद्द नहीं कर सकता है।यदि किसी मकान मालिक ने रेंट एग्रीमेंट में बताई गई सभी शर्तों को पूरा कर लिया है। इसके बाद भी किरायेदार, अवधि समाप्त होने पर परिसर खाली करने में विफल रहता है, तो मकान मालिक मासिक किराए को दोगुना करने का हकदार है और 2 महीने और उसे 4 गुना तक कर सकता है।

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