
लातेहार:- अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शशि भूषण शर्मा की अदालत ने सीएफ वाद संख्या 36/92 की सुनवाई करते हुए बाघ मारने के तीन आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया है। अभियोजन अधिकारी ने बताया कि गत पांच मार्च 1992 को बारेसांड कंपार्टमेंट नंबर 13 अंतर्गत करौंदा पानी जंगल में आरोपियों ने जहरीला कील ठोक कर बाघ की हत्या कर दिया था। बाघ मारने के आरोप में सुकूल महतो, विशुन महतो ,विमल महतो, लखन महतो एवं जगदयाल महतो सभी निवासी ग्राम पहाड़ कोचा थाना गारू के विरुद्ध गत पांच मार्च 1992 को अपराध प्रतिवेदन समर्पित की गई थी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुनील कुमार ने बताया कि आरोपियों में सुकूल महतो, विमल महतो एवं लखन महतो ट्रायल फेस कर रहे थे। अधिवक्ता सुनील कुमार ने बताया कि वन अधिकारियों ने अदालत में गवाहों को पेश नहीं कर सके।आरोपियों में लखन महतो पर बाघ की हत्या कर उसके छाल , दांत एवं मूछ को निकाल कर छत्तीसगढ़ ले जाकर बेचने का आरोप था। जबकि मांस को आरोपियों ने जंगल में गाड़ दिया था। अभियोजन के अनुसार आरोपियों में लखन महतो के घर से बाघ का मांस, छाल एवं मोछ बरामद किया गया था, जबकि आरोपियों की निशानदेही पर बाघ की हड्डी जमीन खोदकर निकाला गया था। वन अधिकारियों के द्वारा साक्ष्य नहीं पेश किए जाने पर अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद साक्ष्य के अभाव में शुकुल महतो, विमल महतो एवं लखन महतो को बाइज्जत बरी कर दिया है। मालूम हो यह वाद लातेहार जजशिप का सबसे पुराने वादों में से एक था।