0 0 lang="en-US"> नाबालिक की छात्रा के सिर से उठा माँ-बाप का साया: पढ़ाई छोड़ मजदूरी करने के लिये हुई विवस
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नाबालिक की छात्रा के सिर से उठा माँ-बाप का साया: पढ़ाई छोड़ मजदूरी करने के लिये हुई विवस

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नाबालिक की छात्रा के सिर से उठा माँ-बाप का साया: पढ़ाई छोड़ मजदूरी करने के लिये हुई विवस

प्रेम कुमार साहू घाघरा की रिपोर्ट,

माता एवं पिता की मृत्यु के बाद रिश्तेदारों ने भी मुंह फेर लिया

घाघरा प्रखंड मुख्यालय के ग्रीन गोला रोड निवासी 16 वर्षीय राजकुमारी के माता-पिता के आकस्मिक मृत्यु के बाद बिल्कुल अनाथ हो गई। वही इस घटना के 5 माह गुजर जाने के पश्चात भी न तो प्रशासनिक अधिकारी और ना ही जनप्रतिनिधिओ ने इसकी शुद्ध लेना मुनासिब समझा। घर की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि उसे अपनी पढ़ाई छोड़ मजदूरी करने को विवश होना पड़ा। वही पत्रकारों के पूछे जाने पर अनाथ राजकुमारी ने बताया कि उसकी माता पिता ने नामांकन कस्तूरबा स्कूल में नामांकन करा दिया था। और वह कक्षा 9 में कस्तूरबा गांधी घाघरा में पड़ रही थी, लेकिन जब राजकुमारी गर्मी छुट्टी में अपने घर आई तो उसे दाने-दाने को मोहताज होना पड़ा। अपने पेट की आग बुझाने के लिए पढ़ाई को दरकिनार कर मजदूरी करने के लिए राजकुमारी विवश हो गई।

राजकुमारी को ना तो खाने के लिए घर में कुछ है और ना ही रहने के लिए अच्छी मकान टूटे-फूटे घर में किसी तरह मजदूरी कर अपना जीवन व्यतीत कर रही है वही इस संबंध में बताते हुए अनाथ राजकुमारी ने कहा जहां एक और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे देश और राज्य के कोने-कोने में गूंजती है वहीं दूसरीओर मेरी स्थिति को ध्यान देने वाला कोई नहीं है इधर मेरी बेबसी को देखने वाला ना तो मेरे सगी संबंधी है और ना ही प्रशासन व व जनप्रतिनिधि ।

बातचीत के क्रम में अनाथ बच्ची ने बतलाया कि न तो उसे रहने के लिए घर और ना ही शौच के लिए शौचालय की व्यवस्था है किसी तरह मजबूर होकर मैं यहां राह रही हूँ और मजदूरी कर अपना पेट पाल रही हूँ। वही राजकुमारी ने बताया कि उसके पिता की मृत्यु लगभग 4 साल पहले हो चुकी इसके बाद उसकी माँ लाखिया देवी मजदूरी कर उसे पढ़ा रही थी। इसके बाद मां की भी मृत्यु विगत 9 फरवरी 2024 को हो और वह बिल्कुल बेसहारा हो गई।

पढ़ाई छोड़कर ₹250 की रेजा मजदूरी कर किसी तरह मैं अपनी पेट पाल रही हूं अनाथ राजकुमारी

बातचीत के दौरान राजकुमारी ने बताया कि मुझे पढ़ने की तो इच्छा है पर मैं पढ़ाई देखूं या मैं अपना पेट पालु मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं

मेरे माता-पिता की मृत्यु के बाद न ही कोई सरकारी अधिकारी और ना ही जनप्रतिनिधि ने ली मेरी इस हालत की शुद्ध

मेरी इतनी खराब स्थिति होते हुए भी ना तो कोई जनप्रतिनिधि हमारा हाल पूछने आए और ना ही कोई प्रशासन के अधिकारी मुझे यह चिंता सता रही है पिता के मृत्यु के बाद एक सहारा मेरी मां थी जो मुझे मजदूरी कर पढ़ती थी जो उनकी भी मृत्यु हो गई जिससे मैं काफी अकेली सा हो गई ।

मुझे सरकारी सुविधा मिलेगी तो मैं आगे की पढ़ाई करुंगी और बड़े अधिकारी बनकर दिखाऊंगी

इस दौरान अनाथ राजकुमारी ने बताते हुए यह भी कहा अगर मुझे आज भी सरकारी सुविधा मिले तो मैं पढ़ लिखकर में बड़े से बड़े अधिकारी बनना चाहता हूं पर पता नहीं अब मेरा सपना कभी पूरा होगा या नहीं। इतना बोल कर निराश होकर नाबालिक राजकुमारी फुट फुट कर रोने लगी।

घर में शौचालय नहीं होने के कारण शौच जाने के लिए करती है सूर्यास्त होने का इंतजार करना पड़ता है अनाथ राजकुमारी को

वही अनाथ राजकुमारी ने बताया कि हमारे टूटे हुए मकान है एवं हमारे मकान में शौचालय की सुविधा नहीं होने के कारण सुबह के अंधेरे या सूर्यास्त होने का इंतजार करना पड़ता है

टूटे-फूटे मकान एवं जमीन पर सोने को मजबूर है अनाथ राजकुमारी

माता लाखिया देवी के नाम से अबुआ आवास पास हुआ था पर अधिकारी बोलते है कि तुम्हारी माँ की मृत्यु हो गई इसलिए अब तुम्हें आवास नहीं मिलेगा

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