2 0 lang="en-US"> सरहुल पर्व जल,जंगल जमीन से जुड़ा हुआ पर्व हैं:बैजनाथ राम
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सरहुल पर्व जल,जंगल जमीन से जुड़ा हुआ पर्व हैं:बैजनाथ राम

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सरहुल पर्व जल,जंगल जमीन से जुड़ा हुआ पर्व हैं:बैजनाथ राम

लातेहार :- प्रकृति के पर्व सरहुल जिला मुख्यालय में गुरूवार को धूमधाम से मनाया गया। मुख्य कार्यक्रम वासाओड़ा में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में लातेहार विधायक वैद्यनाथ राम, वहीं विशिष्ट अतिथि आईटीडीए निदेशक प्रवीण कुमार गागराई,सीओ अरविंद देवाशीष टोप्पों ,एनआईपी के कार्यपालक अभियंता प्रदीप सिंह शामिल हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लातेहार विधायक वैद्यनाथ राम ने कहा कि सरहुल पर्व जल,जंगल जमीन से जुड़ा हुआ पर्व है। हमारे पूर्वज इस प्रकृति के पर्व को कई वर्ष पहले से मनाते आए हैं। जिसे हमलोग को बरकरार रखना है। उन्होंने आगे कहा कि प्रकृति के साथ जोड़कर सभी को रहना चाहिए।

आज हम लोग प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। जिससे वर्षा कम हो रही है। जीव, जंतु जंगल छोड़ रहे हैं। कहा कि प्रकृति समूह को जोड़कर एकसाथ रखने का प्रतिक हैं। विशिष्ट अतिथि आईटीडीए निदेशक श्री गागराई ने कहा कि सरहुल एक पर्व-त्योहार मात्र नहीं है, बल्कि सरहुल झारखंड के गौरवशाली प्रतिक धरोहर का नाम है। यही धरोहर मानव-सभ्यता, संस्कृति एवं पर्यावरण का रीढ़ भी है। प्रकृति का रक्षा करना हम सबों का कर्तव्य है। आज कई गांव शहरी क्षेत्र में विकसित हो रहे हैं। ऐसे में जल, जंगल सिमटता जा रहा है। इसलिए लोग जल, जंगल को बचाते रहे, ताकि प्रकृति का संरक्षण होता रहे। उन्होने वासाओड़ा में जर्जर भवन को आईटीडीए विभाग से बनवाने की घोषणा भी की। सीओ श्री टोप्पों ने कहा कि प्रकृति के महत्व को समझना होगा। पानी का दोहन किया जा रहा है।

इसके संरक्षण के लिए कर कोई कार्य नहीं हो रही है। इसे बचाना जरूरी है। पेड़ का तेजी से कटाव हो रहा है। जिससे वर्षा कम हो रही है। इसे संरक्षण कर रखना जरूरी है। महुआ चुनने के दौरान जंगल में आग लगाने से जंगल तबाह हो रही है। वहीं जिप सदस्य विनोद उरांव ने कहा कि यह गांव के देवता की पूजा है, जिन्हें इन जनजातियों का रक्षक माना जाता है। सरहुल पर्व में लोग खूब-नाचते गाते हैं, जब साल के नए फूल खिलते है। तब देवताओं की पूजा साल की फूलों से की जाती है। श्री उरांव ने कहा कि इस पर्व के माध्यम से पाहनों द्वारा बारिश होने की भविष्यवाणी की जाती है और यदि पानी का स्तर सामान्य रहता है, तो वह एक अच्छी बारिश का संकेत माना जाता है। सरना समिति के सचिव बिरसा मुंडा ने कहा कि खेती के लिए प्रकृति का पर्व सरहुल को लेकर पूरा गांव गायन और नृत्य के साथ सरहुल का त्योहार मनाता है। सरहुल वसंत के मौसम के दौरान मनाया जाता है, जब साल के पेड़ की शाखाओं पर नए फूल खिलते है। कार्यक्रम से पहले अतिथियों को पगड़ी पहनाकर व महिलाएं को शॉल भेंटकर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों द्वारा शोभा यात्रा का शुभारंभ मांदर के थाप बजाकर किया गया। इसके बाद विभिन्न गांव से आए मंडलियों द्वारा आदिवासी परंपरा पर आधारित नृत्य व गीत प्रस्तुत करते हुए महिलाएं मांदर के थाप के साथ नाचते हुए वासाओड़ा से मेन रोड होते हुए उरदा टांड रेहड़ा पहुंचे और पुन: उरदा टांड रेहड़ा से वासाओड़ा पहुंचे।

इस दौरान बुढ़ा,जवान,युवक,युवतीयां नाचते हुए देखे गए। ग्रामीण क्षेत्रों से भी काफी संख्या में अपने-अपने अखाड़ों के टोली बनाकर पहुंचे आदिवासी परंपरा गीत में खुब ठुमकी लगाया। मंच का संचालन रंथु उरांव ने किया जबकि स्वगत भाषण समिति के सचिव बिरसा मुंडा ने दिया। मौके पर जिला परिषद सदस्य विनोद उरांव,आशा देवी,पड़हा समिति के अध्यक्ष पहलू उरांव, पहड़ा राजा सुकू उरांव ,उपाध्यक्ष राजकिशोर उरांव, आर्सन तिर्की, मोहन लोहारा ,रमेश उरांव ,मोती उरांव ,हरिदयाल भगत ,रिंकू कच्छप, मुखिया, रामप्रवेश उरांव,संतोष पासवान, बाबू लालू उरांव, शांति देवी, सुनीता देवी, सुरेंद्र उरांव, विनोद लोहरा, सरोज लोहरा, बसंती देवी समेत ग्रामीण क्षेत्र के काफी संख्या में लोग मौजूद थे।इधर बालूमाथ में भी सरहुल’ को लेकर उल्लास देखने को मिला।

इस मौके पर बालूमाथ सरना पूजा समिति के मुख अतिथि  के रूप में जिला परिषद उपाध्यक्ष अनीता देवी सरना स्थल में पूरे विधि विधान से पूजा अचना की। उन्होंने कहा कि जल -जंगल -जमीन है, तभी मनुष्य का वजूद है। अगर सभी प्रकृति को संरक्षित नहीं कर पाए तो आने वाली पीढ़ी को कई बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ को रोकने के लिए सभी को आगे आना होगा।लुफ्त उठाया।

शोभा यात्रा के समय भंवरे का आतंक

चंदवा में शोभायात्रा कृषि फार्म से मुख्य मार्ग रांची चतरा पर शोभायात्रा निकाली और बुध बाजार से मिशन स्कूल होते हुए रांची डालटेनगंज मुख्य पथ पर शोभायात्रा लौट रही थी, उसी क्रम में चंदवा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सेमल पेड़ में लगे हुए भंवरे डीजे के धड़कने से भंवरा भयभीत हो गए और कई लोगों को भंवरा अपने चपेट में ले लिया जिससे शोभायात्रा में आये हुए कई लोगों को भंवरा खूब काटा अचानक मैच जाने से पुलिस प्रशासन भी सकते में आ गयी। कमान संभालने की कोशिश की तो पता चला कि यह भगदड़ भंवरे के काटने से हो रही है और अचानक रांची डालटेनगंज मूक पद पर इंदिरा गांधी चौक के समीप सन्नाटा छा गया लोग लगभग आधे घंटे तक उसे आसपास नजर ही नहीं आए और कुछ देर के बाद भंवरे शांत पड़ गये।

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